3 जुलाई 2011

Sadgurudev : Dr. Narayan Dutta Shrimali Ji



|| Om param tatvaay naaraayanaay gurubhyo namaha ||




सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी : श्रद्धांजलि


परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.

2 जुलाई 2011

गुरु : साधना


  • गुरु साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
  • गुरु साधक को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है, तभी साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...

गुरु मंत्रम:-

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥


  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
  • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
  • माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.
  • यथा शक्ति जाप करें.

30 जून 2011

गुप्त नवरात्रि





वर्ष में दो नवरात्रियां गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. इनका महत्व साधकों के लिये नवरात्रि के समान ही होता है.


इनमें से एक आषाढ माह में आती है, तथा शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि से प्रारंभ होती है.
इस वर्ष यह २ जुलाइ से प्रारंभ होगी.


इस अवसर पर महाविद्याओं से संबंधित साधनायें करें.

29 जून 2011

काली साधना : ककारादि सहस्रनाम



महाकाली का प्रिय स्तोत्र है "ककारादि सह्स्रनाम"


प्राप्ति के लिये संपर्क करें:
परा वाणी आध्यात्मिक शोध संस्थान
श्री चंडी धाम, अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग [उ.प्र.]

फ़ोन - 9450222676

गुप्त नवरात्रि : महाकाली साधना मंत्रम




॥ क्रीं ॥

  • यथा शक्ति जप करें.

27 जून 2011

हनुमान मन्त्र



॥ ॐ नमो हनुमते महाशरभाय रुद्र रुपाय नमः ॥

  • गंभीर शत्रुबाधा में प्रयोग करें.
  • अपने लिये मार्ग प्राप्ति की इच्छा रखें.
  • किसी के अहित का ना सोचें.
  • कम से कम प्रतिदिन १०८ बार जाप करें. क्षमतानुसार अधिकाधिक जाप करें.
  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन रहेगा.
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • सात्विक आहार, आचार, विचार रखें.




21 जून 2011

शिव ताण्डव स्तोत्र




शिव ताण्डव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं, चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम्‌ ॥१॥
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी, विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके, किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥





॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥



6 जून 2011

नवग्रह स्तुति






ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि सुतो बुधश्च


गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकराः भवन्तु ....

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इस स्तोत्र के पाठ से ब्रह्मा विष्णु महेश तथा नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है

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किसी भी कार्य को करने के पहले इसका पाठ करके कार्य प्रारंभ करें.

4 जून 2011

डा. साधना सिंह : जन्म दिवस


मेरी आदरणीय गुरुमाता : डा. साधना सिंह


आज जिनका जन्मदिवस है.

निखिलकृपा से आप शतायु हों.....

शिष्यों पर आप अपना वात्सल्य इसी प्रकार लुटाती रहें......

और

साधकॊं को मार्गदर्शन देती रहें...........



 निरोगधाम तथा अन्यान्य पत्रिकाओं में होम्योपैथी तथा योग पर विहंगम लेख लिखने वाली योग विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होमियोपैथी विशेषज्ञ, और गुरुदेव डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी की प्रिय शिष्या, गुरुमाता डा. साधना सिंह

डा. साधना सिंह तन्त्र क्षेत्र की गिनी चुनी स्त्री गुरुओं में से एक हैं, जो दश महाविद्या साधनाओं मे अग्रणी हैं.


 -:   गुरुवचन  :-




ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.

गुरु माता डा. साधना सिंह जी से सीधे सम्पर्क का समय :
दोपहर १ से  बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4221116








31 मई 2011

धूमावती मंत्रम



॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

  • सर्व बाधा निवारण हेतु.

  • मंगल या शनिवार से प्रारंभ करें.

  •  ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 

  • यथा संभव मौन रहें. 

  • अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 

  • सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 

  • बेसन के पकौडे का भोग लगायें. 

  • जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.

  • ११००० जाप करें.
  •  
  • जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

25 मई 2011

शिव




शिव शक्ति मंत्रम:-

॥ ॐ सांब सदाशिवाय पशुपतये नमः ॥

  • इस मंत्र का ३ लाख जाप करें.
  • रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
  • साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • ईशान [ पूर्व और उत्तर के बीच की दिशा {North-East}] की ओर देखते हुए जाप करें.