एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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26 अक्तूबर 2011
23 अक्तूबर 2011
21 अक्तूबर 2011
11 अक्तूबर 2011
निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन
साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.
भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.
वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.
तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.
मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......
यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें
गुरु दीक्षा फोटो द्वारा निशुल्क प्राप्त करने के लिये
पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.
साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न. ५ प्लाट न. २१०
एम.पी.नगर
भोपाल [म.प्र.] ४६२०११
सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क दीक्षा तथा मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
नोट - आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.
9 अक्तूबर 2011
मानसिक शांति के लिये : सोsहं साधना
सोsहं का तात्पर्य होता है
" बाहर ब्रह्मांड में जो कुछ है वह मै ही हूं"
इस मंत्र का जाप आप चौबीसों घंटे अपनी हर सांस के साथ कर सकते हैं.
इस मंत्र से जहां आपको मानसिक शांति मिलेगी वहीं धीरे धीरे आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होगा.
श्वास लेते समय अंदर आती सांस को महसूस करते हुए "सो" का उच्चारण बिना आवाज के करें.
श्वास छोडते समय बाहर जाती सांस को महसूस करते हुए "हम" का उच्चारण बिना आवाज के करें.
" बाहर ब्रह्मांड में जो कुछ है वह मै ही हूं"
इस मंत्र का जाप आप चौबीसों घंटे अपनी हर सांस के साथ कर सकते हैं.
इस मंत्र से जहां आपको मानसिक शांति मिलेगी वहीं धीरे धीरे आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होगा.
श्वास लेते समय अंदर आती सांस को महसूस करते हुए "सो" का उच्चारण बिना आवाज के करें.
श्वास छोडते समय बाहर जाती सांस को महसूस करते हुए "हम" का उच्चारण बिना आवाज के करें.
6 अक्तूबर 2011
रावण साधना मंत्र
रावण एक महासिद्ध तांत्रिक भी था.
वह महामाया और भगवान शिव का परम शिष्य था.
उनके द्वारा रचित तंत्र ग्रंथ है "क्रियोड्डीश तंत्रम".
रावण के द्वारा लिखे गये शिव तांडव स्तोत्र का ही पाठ शिवपूजन के अंत में किया जाता है.
रावण की साधना का एक मंत्र :-
" लां लां लां लंकाधिपतये लीं लीं लीं लंकेशं लूं लूं लूं लोल जिह्वां, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ चंद्रहास खङेन मम शत्रुन विदारय विदारय मारय मारय काटय काटय हूं फ़ट स्वाहा "
- यह एक अति उग्र मंत्र है.
- कमजोर दिल वाले तथा बच्चे और महिलायें इस मंत्र को न करें.
- अपने गुरु से अनुमति लेकर ही इस साधना को करें.
- साधना काल में भयानक अनुभव हो सकते हैं.
- दक्षिण दिशा में देखते हुए दोनों हाथ ऊपर उठाकर जाप करना है.
- २१००० मंत्र जाप रात्रि काल में करें.
- २१०० मंत्र से हवन करें.
- बिना डरे जाप पूर्ण करें.
- दशानन रावण की कृपा प्राप्ति होगी.
27 सितंबर 2011
गुरु श्रृंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
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भगवान वेद व्यास
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गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य
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ब्रह्मानंद सरस्वती
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महेश योगी करपात्री महाराज
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पूज्यपाद सद्गुरुदेव
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]
[1933-1998]
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह जी गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
जानकरी स्त्रोत-> साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०
26 सितंबर 2011
नवरात्रि विशेष : कामकला काली बीज मन्त्रम
कामकला काली [ KAMAKALA KALI ] साधना साधनात्मक जगत की सर्वोच्च साधना है. जब साधक का सौभाग्य अत्यंत प्रबल होता है तब उसे इस साधना की दीक्षा तथा अनुमति मिलती है.
यह साधना साधक को एक शक्तिपुंज में बदल देती है.
॥ स्फ़्रें ॥
- अत्यंत प्रेम तथा मधुरता से जाप करें.
- जप काल में रुद्राक्ष धारण करें.
- यदि संभव हो तो गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करें.
- बैठकर जाप रात्रि काल ११ से ३ में करें.
- किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- क्रोध ना करें.
- किसी प्रकार का प्रलाप , श्राप या बुरी बात ना कहें.
- यदि विवाहित हैं तो अपनी पत्नी के साथ बैठ कर जाप करें.
- साधना काल में अपनी पत्नी को भगवती का अंश समझकर उसे सम्मान दें, भूलकर भी उसका अपमान ना करें.
- साधना प्रारंभ करने से पहले किसी समर्थ गुरु से दीक्षा अवश्य ले लें.
23 सितंबर 2011
नवरात्रि विशेष : सर्व कार्य सिद्धि दायक :चामुन्डा हवन
॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै स्वाहा ॥
इस मन्त्र से आप नवरात्रि में यज्ञ करें.
११००० जाप के बाद ११०० मंत्रों से हवन करें.
इच्छित कार्य >>>>>>> हवन सामग्री
सर्व कार्य >>>>>>> द्शांग
शत्रु बाधा >>>>>>> पीली सरसों
प्रेत बाधा >>>>>>> काली मिर्च
लक्ष्मी >>>>>>> कमलगट्टा
विवाह हेतु >>>>>>> चमेली के फ़ूल
व्यापार बाधा >>>>>>> खडी हल्दी
गृह कलह >>>>>>> शहद मिश्रित चावल
चामुंडा कृपा >>>>>>> रुद्राक्ष के दाने
22 सितंबर 2011
21 सितंबर 2011
गुरु को कैसे प्राप्त करें ?
- गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
- गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
- जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है, तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
- ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...
गुरु मंत्रम:-
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
- ऊपर छपे चित्र को फ्रेम करा लें. नित्य जाप उसी के सामने करेंगे .
- जाप पूरा हो जाने के बाद ऊंचे स्थान पर उसे टांग दें .
- सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
- रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
- यदि न हो तो तूलसी माला या किसी भी माला से जाप कर सकते हैं .
- नित्य अपनी क्षमतानुसार 5 माला या अधिक मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी या गुरु प्राप्ति के सम्बन्ध में दिशा मिलेगी.
13 सितंबर 2011
पितृ पक्ष : पितरॊं की कृपा प्राप्ति
१३-९-११ से २७-९-११ तक पितृ पक्ष है .
- पितृ पक्ष में यथा शक्ति तुलसी की माला से जाप करें ।
- एक स्थान पर बैठ कर न कर सकें तो चलते फिरते जाप करें |
- पितृमोक्ष अमावस्या के दिन जाप के बाद इस माला को भी नदी में प्रवाहित करदें | हाथ जोड़कर सभी पूर्वजों का आशीर्वाद मांगें.
- इससे पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा आपकॊ प्राप्त होगी ।
॥ ऊं सर्व पितरेभ्यो नमः ॥
पितरॊं की कृपा प्राप्ति
अपने पूर्वजो को सम्मान देने का विधान है श्राद्ध | इसे करने के ढेर सारे विधान हैं | एक अत्यंत सरल और सहज विधि प्रस्तुत है जो कोई भी आसानी से कर सकता है .
- एक थाली में भोजन सजाकर सामने रखें।
- तीन बार पानी से उसके चारों ओर गोल घेरा बनायें।
- अपने पितरॊं को याद करके इस भोजन को गाय कॊ खिला दें।
- इससे पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा आपकॊ प्राप्त होगी ।
॥ ऊं सर्व पितरेभ्यो, मम सर्व शापं प्रशमय प्रशमय, सर्व दोषान निवारय निवारय, पूर्ण शान्तिम कुरु कुरु नमः ॥
यदि हो सके तो इस मंत्र का श्राद्ध पक्ष में यथा सम्भव जाप करें ।
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