23 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 11 : रुद्र साधना




|| ओम  रुद्राय नमः ||

  1. रूद्र  शिव  का  मंत्र है.
  2. रूद्र रुदन अर्थात रोने के देवता हैं. वे रुलाते हैं तो उससे बचने का मार्ग भी प्रदान करते हैं. जब जीवन में हर तरफ निराशा ही निराशा हो, मन पीड़ा से भर गया हो , रोने के सिवा कोई विकल्प न दिखे तो यह साधना पूरी श्रद्धा से करें. 
  3. इस साधन में कोई नियम नहीं है. स्नान करना भी आवश्यक नहीं है. आप जितना ज्यादा से ज्यादा जाप कर सकते हैं करें. बैठकर न कर सकें तो चलते फिरते , लेटे हुए , बैठे हुए , जैसे कर सकें वैसे करें. अत्यंत विवशता के समय में मार्ग प्रदान करेगा.

22 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 10 : पशुपतिनाथ साधना





॥ ऊं पशुपतिनाथाय नमः ॥

  1. दिगंबर रहकर साधना करें. संभव न हो तो काले रंग के वस्त्र धारण करें.
  2. तीन लाख मंत्र जाप का पुरश्चरण होगा.
  3. तिन लकीरों वाला टिका (त्रिपुंड) लगाकर साधना करें.
  4. कम से कम भोजन करें.
  5. कर सकें तो साधना स्थल पर भूमि शयन करें.
  6. क्रोध, बकवास , गप्पबाजी लड़ाई न करें.
  7. किसी को आशीर्वाद/श्राप न दें.
  8. किसी के पैर साधना काल में न छुएँ न किसी को पैर छूने दें.
  9. रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  10. जाप के बाद दिन भर माला गले में धारण करें.
  11. पहले दिन जितना जाप करें रोज उतना ही करें. कम ज्यादा न करें.
  12. पहले दिन दायें हाथ में जल लेकर अपनी इच्छा भगवान् शिव के सामने बोलकर जल छोड़ दें.
  13. अपने सामने शिवलिंग रखकर साधना करें.


21 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 9 : बेल पत्र चढाने का मंत्र




----------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

निखिलधाम






परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













19 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 7 : दक्षिणामूर्ति शिव साधना


दक्षिणामूर्ति शिव भगवान शिव का सबसे तेजस्वी स्वरूप है । यह उनका आदि गुरु स्वरूप है । इस रूप की साधना सात्विक भाव वाले सात्विक मनोकामना वाले तथा ज्ञानाकांक्षी साधकों को करनी चाहिये ।







॥ऊं ह्रीं दक्षिणामूर्तये नमः ॥


  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • ब्रह्ममुहूर्त यानि सुबह ४ से ६ के बीच जाप करें.
  • सफेद वस्त्र , आसन , होगा.
  • दिशा इशान( उत्तर और पूर्व के बीच ) की तरफ देखकर करें.
  • भस्म से त्रिपुंड लगाए . 
  • रुद्राक्ष की माला पहने .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप करें.

18 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 6 : रूद्र पशुपति साधना






||  ऊं रुद्राय पशुपतये साम्ब सदाशिवाय नमः ||





  • शिवलिन्ग के सामने १०८ बार बेल पत्र चढाते हुए यथाशक्ति जाप करें ।
  • अपने जीवन मे पशुवृत्तियों से उठ कर देवत्व प्राप्ति के लिये सहयोगी साधना ।

17 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 5 : आनंद तांडव शिव साधना




॥ क्रीं आनंद ताण्डवाय नमः ॥

आनंद और उल्लास के साथ नृत्य के साथ इस मन्त्र का जाप करें.....

और फ़िर कहीं कुछ होगा, ऐसा जो अद्भुत होगा 
बाकी शिव इच्छा.......

15 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 3 : पंचाक्षरी मंत्र




॥ ऊं नमः शिवाय ॥


इस मंत्र का जाप आप चलते फ़िरते कर सकते हैं.तीन लाख जाप से शिव कृपा मिलती है....
----------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

13 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 1 : अघोर शिव साधना

नोट -  
  • केवल अघोर पंथ में दीक्षित  साधकों के लिए है.
  • यह साधना अनुभवी साधक की देख रेख में ही करें.
  • गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करेंगे.





॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
  • १,२५,००० मंत्र का जाप .
  • दिगंबर/नग्न  अवस्था में जाप करें
  • अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं. 
  • लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए  चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं  करें. यह गम्भीर  नुकसान कर सकता है.
  • गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे  की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
  • जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
  • जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
  • शिव कृपा होगी.
  • रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
 .
 ---------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

श्री बगलामुखी रहस्यम

4 जुलाई 2014

पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम



पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-

यदि खुद कर रहे हैं तो:-

॥ ॐ जूं सः  मां  पालय पालय सः जूं ॐ॥

यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥

  • यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
  • यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
  • रुद्राक्ष माला धारण करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • बेल पत्र चढायें.
  • भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.

3 जुलाई 2014

निखिल निर्वाण दिवस : ३ जुलाई : अश्रुपूरित श्रद्धांजलि


-:निखिलम शरणम :-


डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी)

    तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र के सिद्धहस्त आचार्य, ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, कर्मकांड के पुरोधा, प्राच्य विद्याओं के विश्वविख्यात पुनरुद्धारक,अनगिनत ग्रन्थों के रचयिता तथा पूरे विश्व में फ़ैले हुए करोडों शिष्यों को साधना पथ पर उंगली पकडकर चलाने वाले मेरे परम आदरणीय गुरुवर.....
जिनके लिये सिर्फ़ यही कहा जा सकता है कि....






२ जुन १९९२ 



जब मैने परम पुज्य गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी [परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ] से दीक्षा ली तब से आज तक मै गुरु कृपा से साधना के मार्ग पर गतिशील हूं.


अक्टूबर - १९९३

जब गुरुदेव भिलाई की धरती पर पधारे.....



.....

.....

.....

जब जब मेरे कदम लडखडाये गुरुवर की कृपा सदैव मुझपर बनी रही.जो मेरे जीवन का आधार है.

३ जुलाई १९९८

एक अपूरणीय क्षति का दिन जब मेरे गुरुवर ने अपनी भौतिक देह का त्याग किया .एक ममता भरा वात्सल्यमय साथ जो नही रहा.........



 

और फ़िर.......

गुरु देह की सीमा से परे होते हैं यह एह्सास गुरुवर ने करा दिया और फिर यह बालक निश्चिंत होकर निकल पडा खेल के मैदान में........

ब्रह्माण्डमय निखिलेश्वरानंद साधना





परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.