23 सितंबर 2014

नवार्ण मन्त्र








॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥

जिस प्रकार एक बीज में सम्पूर्ण वृक्ष समाहित होता है वैसे ही बीज मन्त्र होते हैं.
  • ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
  • ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
  • क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
  1. नवरात्री में नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है.
  2. रात्रि में कर सकें तो बेहतर है. न कर सकें तो दिन में भी कर सकते  हैं. 
  3. रुद्राक्ष या काली हकिक या मूंगे की माला से जाप करें.
  4. लाल या काला वस्त्र तथा आसन रखें.
  5. ११०००, २१०००,५१०००,१२५००० जितनी आपकी क्षमता हो उतना जाप करें.
  6. हो सके तो रोज बराबर मन्त्र जाप करें.
  7. संयमित रहें.
  8.  प्रलाप और बकवास न करें.
  9. किसी को आशीर्वाद या श्राप न दें.
  10. कम भोजन करें.

22 सितंबर 2014

धूमावती मंत्रम




॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

  • सर्व बाधा निवारण हेतु.

  • मंगल या शनिवार से प्रारंभ करें.

  •  ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 

  • यथा संभव मौन रहें. 

  • अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 

  • सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 

  • बेसन के पकौडे का भोग लगायें. 

  • जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.

  • ११००० जाप करें. ११०० मंत्रों से हवन करें.मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर हवन सामग्री को आग में छोडें. हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.

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  • जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

21 सितंबर 2014

छिन्नमस्ता साधना मन्त्र




॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....







प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.

यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है. 





गुरु दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:-
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681 

20 सितंबर 2014

सरल पितृ शांति विधि

पितृ पक्ष चल रहा है. सभी लोग विधि विधान से पूजन नहीं कर पते हैं .उनके लिए एक सरल विधि:-
|| ॐ सर्व पित्रेभ्यो नमः ||

  • आपके घर में जो भोजन बना हो उसे एक थाली में सजा ले.
  • उसको पूजा स्थान में अपने सामने रखकर इस मंत्र का १०८  बार जाप करें.
  • हाथ में पानी लेकर कहें " मेरे सभी ज्ञात अज्ञात पितरों की शांति हो " इसके बाद जल जमीन पर छोड़ दे.
  • अब उस थाली के भोजन को किसी गाय को या किसी गरीब भूखे को खिला दें.


मातंगी साधना




॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.
  • उल्लास और आनंद के साथ अपनी क्षमतानुसार ज्यादा से ज्यादा जाप नवरात्रि में करें.
  • जाप रुद्राक्ष की माला से करें. न हो तो जो उपलब्ध हो उससे कर लें.
  • पूर्णिमा के दिन १००८ मन्त्रों से हवंन  सामग्री में शहद मिला कर आहुति दें.
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10 सितंबर 2014

शाबर रक्षा नारियल

आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.
नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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  1. वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
  2. सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
  3. इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
  4. नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
  5. लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
  6. अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
  7. नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

4 सितंबर 2014

शिव शक्ति मन्त्र





॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

 लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.

11 अगस्त 2014

निखिल पंचकम







आदोवदानं परमं सदेहं, प्राण प्रमेयं पर संप्रभूतम ।
पुरुषोत्तमां पूर्णमदैव रुपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ १॥


अहिर्गोत रूपं सिद्धाश्रमोयं, पूर्णस्वरूपं चैतन्य रूपं ।
दीर्घोवतां पूर्ण मदैव नित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ २॥


ब्रह्माण्ड्मेवं ज्ञानोर्णवापं,सिद्धाश्रमोयं सवितं सदेयं ।
अजन्मं प्रवां पूर्ण मदैव चित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ३॥


गुरुर्वै त्वमेवं प्राण त्वमेवं, आत्म त्वमेवं श्रेष्ठ त्वमेवं ।
आविर्भ्य पूर्ण मदैव रूपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ४॥


प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं परेशां,प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं विवेशां ।
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं सुरेशां, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ५॥




28 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव 16 : पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना

|| ॐ ह्रीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं पारदाय क्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ||

  • कम से कम १०८ बार पारद शिवलिंग पर आचमनी से जल चढ़ाएं.
  • हर बार चढाते समय मंत्र का उच्चारण करें .
  • पूरा होने पर उस जल को अपने मुह आँख तथा शारीर पर छिडकें.
  • शेष जल को पी जाएँ.
  • ऐसा कम से कम १२० दिन तक करें.
  • जटिलतम रोगों में भी लाभप्रद है. 
  • पारद शिवलिंग यदि श्रेष्ट तांत्रिक गुरु द्वारा निर्मित हो तो अत्यंत श्रेष्ट होता है. उसमे भी यदि स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त हो तो सर्वश्रेष्ट होता है.
  • जो गुरु युगल रूप में अपनी शक्ति के साथ युक्त होते हैं उनके द्वारा प्रदत्त पारद शिवलिंग ज्यादा प्रभावशाली होता है.
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27 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव 15 : सर्व रोग हर मृत्युंजय मन्त्र

||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||

  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रावण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • पुरस्चरण सवा लाख का होगा.

25 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव-14 : शबरेश्वर महादेव

|| ॐ शबरेश्वराय महागुरुवे नमः ||

देवाधिदेव महादेव 13 : सदाशिव जगदम्बा मंत्र


भगवान सदाशिव तथा जगदम्बा की क्रिपा प्राप्ति के लिये मन्त्र :-  
॥ ओम साम्ब सदाशिवाय नम: ॥ 

  1. सवा लाख मन्त्र का एक पुरस्चरण होगा.
  2. शिवलिंग सामने रखकर साधना करें.
  3. समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ती के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
  4. किसी अनुचित अनैतिक इच्छा से न करें गंभीर  नुक्सान हो सकता है. 
  5.  

24 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 12 : रावण कृत : शिव तांडव स्तोत्र

भगवान शिव के प्रिय शिष्य लंकाधिपति रावण के द्वारा अनेक प्रचंड स्तोत्रों की रचना की गयी है...

उनमे से भगवान शिव का सबसे प्रिय स्तोत्र है शिव तान्डव स्तोत्रम.....

यह गेय स्तोत्र है सुमधुर स्वर में इसका पाठ करने से हृदय अत्यंत आनंदित होता है..






शिव ताण्डव स्तोत्र



जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरीविलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥




॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥


23 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 11 : रुद्र साधना




|| ओम  रुद्राय नमः ||

  1. रूद्र  शिव  का  मंत्र है.
  2. रूद्र रुदन अर्थात रोने के देवता हैं. वे रुलाते हैं तो उससे बचने का मार्ग भी प्रदान करते हैं. जब जीवन में हर तरफ निराशा ही निराशा हो, मन पीड़ा से भर गया हो , रोने के सिवा कोई विकल्प न दिखे तो यह साधना पूरी श्रद्धा से करें. 
  3. इस साधन में कोई नियम नहीं है. स्नान करना भी आवश्यक नहीं है. आप जितना ज्यादा से ज्यादा जाप कर सकते हैं करें. बैठकर न कर सकें तो चलते फिरते , लेटे हुए , बैठे हुए , जैसे कर सकें वैसे करें. अत्यंत विवशता के समय में मार्ग प्रदान करेगा.

22 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 10 : पशुपतिनाथ साधना





॥ ऊं पशुपतिनाथाय नमः ॥

  1. दिगंबर रहकर साधना करें. संभव न हो तो काले रंग के वस्त्र धारण करें.
  2. तीन लाख मंत्र जाप का पुरश्चरण होगा.
  3. तिन लकीरों वाला टिका (त्रिपुंड) लगाकर साधना करें.
  4. कम से कम भोजन करें.
  5. कर सकें तो साधना स्थल पर भूमि शयन करें.
  6. क्रोध, बकवास , गप्पबाजी लड़ाई न करें.
  7. किसी को आशीर्वाद/श्राप न दें.
  8. किसी के पैर साधना काल में न छुएँ न किसी को पैर छूने दें.
  9. रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  10. जाप के बाद दिन भर माला गले में धारण करें.
  11. पहले दिन जितना जाप करें रोज उतना ही करें. कम ज्यादा न करें.
  12. पहले दिन दायें हाथ में जल लेकर अपनी इच्छा भगवान् शिव के सामने बोलकर जल छोड़ दें.
  13. अपने सामने शिवलिंग रखकर साधना करें.