विशेष तथ्य :-
- कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
- कुन्डलिनी जागरण साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
- यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
- इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
- यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
- यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
- यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||
- यह एक अद्भुत मंत्र है.
- इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है.
- प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
- जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
- मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः