दक्षिणामूर्ति शिव भगवान शिव का सबसे तेजस्वी स्वरूप है । यह उनका आदि गुरु स्वरूप है । इस रूप की साधना सात्विक भाव वाले सात्विक मनोकामना वाले तथा ज्ञानाकांक्षी साधकों को करनी चाहिये ।
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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23 फ़रवरी 2017
काल भैरव साधना
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अनुसार शिवरात्रि भैरव साधना का सिद्ध मुहूर्त है |
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.
22 फ़रवरी 2017
गृह बंधन
आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.
नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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- वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
- सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
- इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
- नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
- लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
- अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
- लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .
- नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें ऐसा 11 दिन तक करें.
"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"
अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-
यदि खुद कर रहे हैं तो:-
॥ ॐ जूं सः मां पालय पालय सः जूं ॐ॥
यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥
- यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
- यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
- रुद्राक्ष माला धारण करें.
- रुद्राक्ष माला से जाप करें.
- बेल पत्र चढायें.
- भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.
21 फ़रवरी 2017
महाशिवरात्रि शिविर : 23 एवं 24 फरवरी, भोपाल
महाशिवरात्रि शिविर
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी एवं गुरुमाता डॉ.साधना सिंह के सानिध्य में
शिविर में होगा :
- महाशिव पूजन एवं मन्त्र |
- ब्रह्मांडीय रक्षा कवच पाठ |
- अन्य साधनाएं |
आप शिविर में भाग लेकर पा सकते हैं :-
- विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं एवं उनके मन्त्र |
- गुरुदेव तथा गुरुमाता से व्यक्तिगत साधनात्मक मार्गदर्शन |
- व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए साधना |
- "साधना सिद्धि विज्ञान" पत्रिका कि सदस्यता तथा नवीनीकरण |
- "स्वास्थ्य साधना" पत्रिका कि सदस्यता तथा नवीनीकरण |
विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क करें :-
साधना सिद्धि कार्यालय - 0755- 4269368
आयोजक :-
MANOHARDAS SARJAAL 9009160861,
BAHUR SING 9009757914
19 फ़रवरी 2017
अष्टकाली मन्त्र साधना
॥ ऊं अष्टकाल्यै क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं सिद्धिं मे देहि दापय नमः ॥
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
- दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
- रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
- पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.
- रात्रिकाल में जाप करें.
- दशमी के दिन काली मिर्च/ तिल/दशांग/घी/ चमेली के तेल से दशांश हवन करें |
पद्मावती
पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है
जैन संप्रदाय
और उनकी अधिष्टात्री देवी है
पद्मावती
दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धन्य सुतान्वदै च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||
धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
सन्यस्त रूप मपरम पूर्ण गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमालत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
विधि :-
- सबसे पहले तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- इस स्तोत्र को अमावस्या से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें |
- नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
- सात्विक आहार /विचार /व्यवहार रखें |
- क्रोध ना करें |
- किसी स्त्री का अपमान ना करें |
- जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
- लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
- घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
- फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
- इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |
18 फ़रवरी 2017
नवग्रह पूजन विधि
नवग्रह मन्त्रों के जाप के लिये ग्रहानुसार दिन,वस्त्रों का रंग[दान तथा धारण], ।
सोमवार - चन्द्र,सफ़ेद
मंगलवार - मंगल,लाल
बुधवार - बुध,गुलाबी
गुरुवार - गुरु,सफ़ेद
शुक्रवार - शुक्र,सफ़ेद
शनिवार - शनि,काला
रविवार - सुर्य. लाल
जपसंख्या - कम से कम १०८ बार । प्रातः स्नानादि के बाद ।
सोमवार - चन्द्र,सफ़ेद
मंगलवार - मंगल,लाल
बुधवार - बुध,गुलाबी
गुरुवार - गुरु,सफ़ेद
शुक्रवार - शुक्र,सफ़ेद
शनिवार - शनि,काला
रविवार - सुर्य. लाल
जपसंख्या - कम से कम १०८ बार । प्रातः स्नानादि के बाद ।
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि सुतो बुधश्च
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः
सर्वे ग्रहाः शान्तिकराः भवन्तु ....
सर्वे ग्रहाः शान्तिकराः भवन्तु ....
======
इस स्तोत्र के पाठ से ब्रह्मा विष्णु महेश तथा नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है
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किसी भी कार्य को करने के पहले इसका पाठ करके कार्य प्रारंभ करें.
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किसी भी कार्य को करने के पहले इसका पाठ करके कार्य प्रारंभ करें.
16 फ़रवरी 2017
गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशन
गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-
गीताप्रेस द्वारा
मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता है, किन्तु अहिन्दीभाषी
लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़, बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी
पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी
भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें
भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी
यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं ।
गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं के लिए क्लिक करें :-
कुन्डलिनी जागरण साधना
विशेष तथ्य :-
- कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
- कुन्डलिनी जागरण साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
- यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
- इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
- यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
- यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
- यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||
- यह एक अद्भुत मंत्र है.
- इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है.
- प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
- जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
- मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः
13 फ़रवरी 2017
अघोर साधना
अघोर साधनाएं जीवन की सबसे अद्भुत साधनाएं हैं
अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं.
इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए.
- यह साधना अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
- यह दिगंबर साधना है.
- एकांत कमरे में साधना होगी.
- स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
- भोजन कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
- यथा संभव मौन रहना है.
- क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
- गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
- स्नान करने के बाद बिना शरीर पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
- अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
- जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
- माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
- जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
- आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.
- जाप के बाद भूमि पर सोयें.
- उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
- यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
- साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
- गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
- जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.
|||| अघोरेश्वराय हूं ||||
12 फ़रवरी 2017
साधना सूत्र
FAQ : साधनात्मक जानकारियां
1.साधना कौन कर सकता है ?
सनातन धर्म में जाति या धर्म का कोई बंधन नही माना जाता है. किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति जो सनातन धर्म पर निष्ठा रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह साधनायें कर सकता है.
२.क्या गुरु के बिना भी साधनायें की जा सकती हैं ?
गुरु के बिना साधनायें स्तोत्र तथा सहस्रनाम पाठ के रूप में की जा सकती हैं. मंत्र की सिद्धि के लिये गुरु का होना जरूरी माना गया है.
३. गुरु का साधनाओं में क्या महत्व है ?
गुरु का तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है. वह साधना के मार्ग पर चला है इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है. मंत्र साधनाओं से शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है, इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है. गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है.
४. क्या साधनाओं से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है ?
.साधनाओं से जीवन की विविध समस्याओं का समाधान का मार्ग मिलता है.
५. क्या आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो सकता है ?
. हाँ आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन संभव है. इसके लिए तीन बातें अनिवार्य हैं :-
- एक सक्षम गुरु का शिष्यत्व.
- इष्ट और मंत्र में पूर्ण विश्वास.
- शुद्ध ह्रदय से लगन और समर्पण के साथ साधना.
६. कुछ साधनाओं में ब्रह्मचर्य को अनिवार्य क्यों माना जाता है ?
.ब्रह्मचर्य से शरीर का आतंरिक बल बढ़ता है, उग्र साधनाएँ जैसे बजरंग बली या भैरव साधना में यह आतंरिक बल साधक को जल्द सफलता दिलाता है.
७. क्या साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा का निवारण संभव है ?
.मातंगी , हरगौरी, तथा शिव साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा दूर हो सकती है. इनका फल तब ज्यादा होता है जब वही व्यक्ति साधना करे जिसके विवाह में बाधा आ रही है.
८. क्या साधनाओं से धन की प्राप्ति संभव है ?
.साधना के द्वारा आसमान से धन गिरने जैसा चमत्कार नहीं होता है . लक्ष्मी, कुबेर जैसी साधनाएँ करने से धनागमन के मार्ग अवश्य खुलने लगते हैं. इसमें साधक को प्रयत्न तो स्वयं करना होता है , लेकिन सफलता दैवीय कृपा से जल्द मिलने लगती है.
.९. क्या यन्त्र चमत्कारी होते हैं ?
.यन्त्र मात्र एक धातु का टुकड़ा होता है जिसपर सम्बंधित देवी या देवता का यन्त्र अंकित होता है. यह चमत्कारी नहीं होता यदि ऐसा होता तो श्री यंत्र रखने वाला हर व्यक्ति धनवान होना चाहिये. लेकिन ऐसा नही होता.यंत्र की भी प्राण प्रतिष्ठा करनी पडती है.जब एक उच्च कोटि का गुरु या साधक उसका पूजन करके उस देवी या देवता की प्राण प्रतिष्टा यन्त्र में करता है तब वह चमत्कारी बन जाता है.
.तांत्रिक विग्रह क्या है ? उसके क्या लाभ हैं ?
.तांत्रिक विग्रह देवी या देवता के तांत्रोक्त स्वरूप होते है. इनका निर्माण जिस पदार्थ /धातु/रत्न से किया जाता है वह उस देवी या देवता की कृपा प्राप्ति को और सहज बना देता है. यूं समझ लें कि ८० प्रतिशत काम ऐसे विग्रह की स्थापना से ही हो जाता है. बाकी २० प्रतिशत काम उसके पूजन द्वारा हो जाता है.
- पारद शिवलिंग.
- पारद काली.
- पारद लक्ष्मी.
- पारद श्री यंत्र.
- पारद कवच.
- रत्न निर्मित गणपति/काली/लक्ष्मी/शिवलिंग.
- श्वेतार्क गणपति.
- तांत्रोक्त काली/भैरवि/योगिनी विग्रह. इत्यादि
ये विग्रह गुरुदेव के निर्देशानुसार ही प्राप्त /स्थापित और पूजित करें.
11 फ़रवरी 2017
बगलामुखी महाविद्या
भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-
- साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
- साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
- साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
- साधनाकाल में क्रोध ना करें.
- साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
- साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
- सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
- हवन पीली सरसों से किया जायेगा.
विभिन्न साधनात्मक जानकारियों
तथा
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से
भगवती बगलामुखि दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
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साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
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साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
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10 फ़रवरी 2017
वज्र वैरोचनीया छिन्नमस्ता
॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....
- प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
- यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें.
- यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है.
- काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें.
- रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें.
- सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें.
- साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
9 फ़रवरी 2017
नवार्ण मन्त्रम
॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥
यह नवार्ण मन्त्र है.
इसमे
ऐं = भगवती महासरस्वती का बीज मन्त्र है.
ह्रीं = भगवती महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
क्लीं = भगवती महाकाली का बीज मन्त्र है.
क्लीं = भगवती महाकाली का बीज मन्त्र है.
इससे तीनों देवियों की कृपा मिलती है.
इस मन्त्र का यथा शक्ति जप करने से महामाया की कॄपा प्राप्त होती है .
विधि ---
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
- बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.
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