नागपंचमी के दिन किये जाने वाले आध्यात्मिक साधना को प्रस्तुत कर
रहा हूँ। इसे आप उस दिन संपन्न करे।
अगर आप उस दिन राहु काल में इसे कर सकते है तो और
भी अच्छा। इस बार नाग पंचमी सोमवार को है
उस दिन सुबह 07.45 से 9.15 बजे तक राहु काल है .. आपको यह समय सुविधाजनक नहीं है तो
आप कभी भी सुबह या रात में करे।
सामान्य पूजन सामग्री जमाकर रखे। यह पूजन आप किसी भी शिवलिंग पर या
रुद्राक्ष पर कर सकते है।
यहां पर बहुत ही संक्षिप्त पूजन दे रहा हूँ ताकि नए साधक
भी इसे आसानी से कर सके।
सबसे पहले आचमन करे (बाए हाथ से आचमनी से जल दाए हाथ में लेकर पिए
)
,
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा
ॐ विद्यातत्वाय स्वाहा
ॐ शिवतत्वाय स्वाहा
फिर आसन पूजन और दिशा बंधन करकै संकल्प करे।
आसन पूजा के लिए निम्न मन्त्र पढ़कर आसन पर
पुष्प अर्पण करे।
" ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी ,त्वं
विष्णूनां धृता
त्वां च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम् "
दिशाबन्धन के लिए अपने चारो दिशाओं में थोड़े अक्षत फेके।
फिर गुरु और गणेश जी का स्मरण करे
और उनसे प्रार्थना करे की आपकी साधना सफल बना दे।
गुरु मन्त्र की एक माला जाप करे।
"गुरु ब्रम्हा … " श्लोक
से ध्यान कर
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः इस मन्त्र से सदगुरु
का पंचोपचार पूजन करे।
"वक्रतुंड महाकाय … " या और किसी
श्लोक से ध्यान कर गणेशजी का स्मरण करे।
ॐ श्री गणेशाय नमः इस मन्त्र का 11 या 21
बार जाप करे
फिर सबसे पहले
मृत्युंजय शिव का ध्यान कर उनका आवाहन करे।
यह आप महामृत्युंजय मन्त्र से कर सकते है।
" ओम त्र्यम्बकं यजामहे .... " इस मन्त्र से
या तंत्रोक्त मन्त्र " ॐ ह्रौं जूं सः " इस मन्त्र से
करे।
श्री महामृत्युंजय शिव इह आगच्छ इह तिष्ठ।
त्वाम चरणे पंचोपचार पूजनम समर्पयामि।
और गंध ,अक्षत,पुष्प
अर्पण करे।
फिर मनसा देवी का ध्यान करे और मन्त्र से
गंध अक्षत पुष्प अर्पण करे
ॐ मनसादेव्यै नमः
मनसा देवी आवाहयामि मम पूजा स्थान
स्थापयामि पूजयामि नमः
फिर राहु केतु का पूजन करे
राहु का ध्यान मन्त्र
अर्धकायम महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्
सिंहिकागर्भ सम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्
ॐ रां राहवे नमः
राहु आवाहयामि मम पूजा स्थान स्थापयामि
पूजयामि नमः
केतु का ध्यान मन्त्र
पलाशपुष्प संकाशं तारकाग्रह मस्तकम्
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्
ॐ कें केतवे नमः
केतु आवाहयामि मम पूजा स्थान स्थापयामि
पूजयामि नमः
सर्प का पूजन करे
एह्येहि नागेन्द्र धराधेश सर्वामरैवदन्ति पादपद्म
नानाफणा मंडल राजमान गृहाण पूजां भगवान नमस्ते
अब मुख्य नौ नागों का आवाहन कर गंध अक्षत पुष्प से
पूजन करे
१. अनंत :-
अनन्तं विप्रवर्गं च तथा कुंकुमवर्णकम्
सहस्रफण सयुंक्तम् तं देवं प्रणमाम्यहम्
अगर आप इनके ध्यान मन्त्र नहीं पढ़ सकते
तो निचे के मन्त्र सिर्फ पढ़ सकते है।
ॐ अनन्ताय नमः अनंत आवाहयामि पूजयामि नमः
२. शेष :-
विप्रवर्गं श्वेतवर्ण सहस्त्रफण संयुक्तम्
आवाहयाम्यहं देवं शेष वै विश्वरूपिणम्
ॐ शेषाय नमः शेष आवाहयामि पूजयामि नमः
३. वासुकि :-
क्षत्रियवर्गं पीतवर्णं फनैसप्तशतैर्युतम्
युक्तमुत्तुगकायं च वासुकिं प्रणमाम्यहम्
ॐ वासुक्यै नमः वासुकि आवाहयामि पूजयामि नमः
४. तक्षक :-
वैश्यवर्गं नीलवर्णं फनै पञ्चशतैर्युतम्
युक्तमुत्तुगकायं च तक्षकं प्रणमाम्यहम्
ॐ तक्षकाय नमः तक्षक आवाहयामि पूजयामि नमः
५. कर्कोटक :-
शूद्रवर्ण श्वेतवर्णं शतत्रयफनैयुतम्
युक्तमुत्तुगकायं च कर्कोटकं प्रणमाम्यहम्
ॐ कर्कोटकाय नमः कर्कोटक आवाहयामि पूजयामि नमः
६. शंखपाल :-
शंखपालं क्षत्रियं च पीतं सप्तशतै:फनै :
युक्तमुत्तुगकायं च शिरसा प्रणमाम्यहम्
ॐ शंखपालाय नमः शंखपाल आवाहयामि पूजयामि नमः
७.नील :-
वैश्यवर्गं नीलवर्णं फनै: पञ्चशतैर्युतम्
युक्तमुत्तुगकायं च तं नीलं प्रणमाम्यहम्
ॐ नीलाय नमः नील आवाहयामि पूजयामि नमः
८.कम्बलक :-
कम्बलं शूद्रवर्गं च शतत्रयफनैर्युतम्
आवाहयामि नागेशं प्रणमामि पुनः पुनः
ॐ कम्बलाय नमः कंबलक आवाहयामि पूजयामि नमः
९. महापद्म :-
वैश्यवर्गं नीलवर्णं पञ्चशतैर्युतम्
युक्तमुत्तुगकायं च तं महापद्मं नमाम्यहम
ॐ महापद्माय नमः महापदम आवाहयामि पूजयामि नमः
नवनाग देवता आवाहयामि पूजयामि नमः
अब 12 नागिनी देवता का आवाहन कर गंध अक्षत पुष्प से
पूजन करे
१. ॐ जरत्कार्यै नमः
२. ॐ जगदगौर्यै नमः
३. ॐ मनसादेव्यै नमः
४. ॐ सिद्धयोगिन्यै नमः
५. ॐ वैष्णव्यै नमः
६. ॐ नागभागिन्यै नमः
७. ॐ शैव्यै नमः
८. ॐ नागेश्वर्यै नमः
९. ॐ जरत्कारुप्रियायै नमः
१०. ॐ आस्तिकमातायै नमः
११. ॐ विषहरायै नमः
१२. ॐ महाज्ञानयुतायै नमः
अब कालिया नाग का पूजन गंध अक्षत पुष्प से करे
कालियो नाम नागसौ विषरूपों भयंकर:
नारायणेन संपृष्टौ दोषो क्षेमकरो भव्
ॐ कालिया सर्पाय नमः कालिया सर्प आवाहयामि पूजयामि नमः
अब जल में कुंकुम अष्टगंध ,इत्र पुष्प मिलाकर
नाग गायत्री मन्त्र से अर्घ्य दे
ॐ नवकुल नागाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो:सर्प प्रचोदयात
अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करे और निम्न मन्त्र पढ़े
अनंतपद्म पत्राद्यं फणाननेकतोज्वलं
दिव्याम्बरंधरं देवं रत्नकुण्डल मंडितं !!1 !!
नानारत्नपरिक्षिप्तं मुकुटं द्युतिरंजितं
फणमणि सहस्त्रोदये रसंख्यै पन्नगोत्तमे !!2 !!
नानाकन्या सहस्रेण समन्तात्परिवारितम्
दिव्याभरणम् दिप्तांगं दिव्यचन्दन चर्चितम् !!3 !!
कालाग्निमिव दुर्धर्षतेजसादित्य सन्निभम्
ब्रम्हांडाधार भूतं त्वां यमुनातीर वासीनम !!4 !!
भजेहं शान्त्यैत्र पूजये कार्यसाधकम्
आगच्छ कालसर्पाख्य दोषं मम निवारय: !!5 !!
इसके बाद पुष्प अर्पण कर क्षमाप्रार्थना करे।
और ॐ नम: शिवाय मन्त्र को ११ बार जाप करे
हाथ जोडकर नीचे दिये हुये स्तोत्र का पाठ करे
श्री मनसा देवी नाम स्तोत्रम
जरत्कारु जगदगौरी मनसा सिद्धयोगिनी
वैष्णवी नागभगिनी शैवी नागेश्वरी तथा !!
जरत्कारुप्रिया आस्तिकमाता विषहरीति च
महाग्यानयुता चैव सा देवी विश्वपुजिता !!
द्वादशैतानि नामानि पूजाकाले च य: पठेत !
तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोदभवस्य च !!
नागभीते च शयने नागग्रस्ते च मंदिरे
नागक्षते महादुर्गे नागवेष्टित विग्रहे !!
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु मुच्यते नात्रसंशय:
नित्यं पठेद य: तं दृष्ट्वा नागवर्ग: पलायते !!
नागौधं भूषणं कृत्वा स भवेत नागवाहना :
नागासनो नागतल्पो महासिद्धो भवेन्नर: !!
फिर हाथ जोडकर नीचे दिये हुये सर्प स्तोत्र का पाठ करे
ब्रम्हलोके च ये सर्पा: शेषनागपुरोगमा: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!१!!
विष्णुलोके च ये सर्पा: वासुकि: प्रमुखादय: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!2!!
काद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!3!!
इंद्रलोके च ये सर्पा: तक्षको प्रमुखादय: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!4!!
सत्यलोके च ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!5!!
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोट: प्रमुखादय: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!6!!
समुद्रतीरे च ये सर्पा: ये सर्पा: जलवासिन : !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!7!!
रसातले च ये सर्पा: अनंतादि महाबला : !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!8!!
सर्पसत्रे तु ये सर्पा: आस्तिकेन च रक्षिता : !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!9!!
धर्मलोके च ये सर्पा: वैतरण्यां समाश्रिता : !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!10!!
पर्वताणां च ये सर्पा: दरिसंधिषु संस्थिता: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!11!!
खांडवस्य तथा दाहे स्वर्ग ये च समाश्रिता: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!12!!
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये च साकेत वासिन: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!13!!
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंति सर्वे स्वछंदा: !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!१४!!
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा: प्रचरंति च !
नमोस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा !!१५ !!
एक आचमनी जल ले और छोडे
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर
यत्पुजितं मया देवी परिपूर्णम तदस्तु मे !!
अनेन ध्यानावाहनादि उपचारै: पूजनेन अमृतरक्षिणि च मनसादेवी सहिता:
अनंतादि नवनागा: प्रीयंताम !
एक आचमनी जल पात्र मे अर्पण करे
ॐ गच्छ गच्छ नागदेवता गच्छ गच्छ सर्पदेवता
नागलोकादि पीठं गच्छन्तु मनसादेवी सह !!
पुष्पअक्षत अर्पण करे और एक आचमनी जल अर्पण करे
शिवकंठभूषणाय नागदेवता शिवशोभिताय मम समस्त सर्पदोष , समस्त पाप दोष , ग्रहबाधा दोष शांताय श्री
सदाशिवार्पणमस्तु !!
अनेन नागपंचमी पर्व अवसरे श्री अनंतादि नवकुल नागदेवता प्रीत्यर्थे
समस्त सर्प दोष परिहारार्थे नागमंडल पूजनम पुर्णतरां कुरु .. ॐ तत सत ब्रम्हार्पण
अस्तु ..
इस साधना का एक भाग आवरण पूजन का भी है
और उसके बाद नाग की अष्ट्टोत्तर शतनामावली और सहस्त्र नामावली से
पूजन कर सकते है लेकिन संक्षिप्त पूजन देने के कारण यहां पर
उसे प्रस्तुत नहीं किया है साधक उसे
करना चाहते वे संपर्क करे।अष्टोत्तर शतनामावली को अलग पोस्ट मे
प्रस्तुत करेंगे जिसे आप कर सकते है ..
नाग का बीज मन्त्र है " ब्रीं "
और एक मन्त्र है
ब्रीं नागेन्द्राय सर्वविषहराय स्वाहा
वैसे कई सारे मन्त्र है लेकिन गुरु से
प्राप्त मन्त्र का जाप करना चाहिए
इसके साथ मनसादेवी स्तोत्र , नीलकंठ स्तोत्र
का पाठ भी इस साधना का अंग है। लेकिन इन सब चीजों से साधना संक्षिप्त नहीं रहेगी
और इतना सारा
पूजन टाइप करना भी मुश्किल है। फिर कभी इसे विस्तृत रूपसे प्रस्तुत
करेंगे।
नाग पंचमी की नाग मंडल साधना को आप अगर चिकित्सक बुद्धी पक्ष से
देखे या श्रद्धा पक्ष से देखे यह आपके उपर निर्भर है ..
अगर आपकी बुद्धि नहीं मानती है तो इसे कल्पना मानकर छोड़ दे.
जय श्री गुरुदेव । ॐ माँ …