(बृहत गणेश पूजन )
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जो लोग बडा पुजन कर सकते है वे इस पुजन को जरुर करे ..
पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करे ..
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
अब आप 4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )
गं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
गं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
गं शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
गं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
अब आप घंटा नाद करे और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे
घंटा देवताभ्यो नमः
अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
आसन देवताभ्यो नमः
अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे
दीप देवताभ्यो नमः
अब आप कलश का पूजन करे ..उसमेगंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..उसे तिलक करे .
कलश देवताभ्यो नमः
अब आप अपने आप को तिलक करे
उसके बाद हाथ मे जल अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प करे कि आज के दिन मै अपनी समस्या निवारण हेतु ( जो समस्य हो उसे स्मरण करे ) या अपनी मनोकामना पूर्ती हेतु ( अपनी मनोकामना का स्मरण करे ) श्री गणपती का पूजन कर रहा हूं
फिर संक्षिप्त गुरु पुजन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ परम गुरुभ्यो नम:
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
उसके बाद गणपती का ध्यान करे
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा
गजाननं भूतगणाधिसेवितं
कपित्थ जंबूफलसारभक्षितं
उमासुतं शोकविनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजं
श्री महागणपति आवाहयामि
मम पूजन स्थाने रिद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि
अगर आपको आवाहनादि मुद्राये आती है तो दिखाये
फिर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करे
यहा पर षोडशोपचार पूजन दे रहा हु
ॐ श्री गणेशाय नम: पाद्यं समर्पयामि ( दो आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री गणेशाय नम: अर्घ्य समर्पयामि ( एक आचमनी जल मे दूर्वा पुष्प अक्षत मिलाकर अर्पण करे )
ॐ श्री गणेशाय नम: आचमनीयं समर्पयामि ( एक आचमनी जल अर्पण करे)
ॐ श्री गणेशाय नम: स्नानं समर्पयामि
( स्नान कराते समय आप जल से या दुध से या पंचामृत से गणपति अथर्वशीर्ष या अन्य स्तोत्रोसे अभिषेक कर सकते है )
ॐ श्री गणेशाय नम: वस्त्र उपवस्त्र समर्पयामि ( अक्षत पुष्प या मौली धागा अर्पण करे )
ॐ श्री गणेशाय नम: यज्ञोपवीतम समर्पयामि ( यज्ञोपवीत या अक्षत अर्पण करे )
फिर एक आचमनी जल अर्पण करे
ॐ श्री गणेशाय नम: हरिद्रा कुंकुम चंदन अष्टगंधं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: अक्षतां समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: पुष्पं पुष्पमालां समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: दूर्वाकुरान समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: धूपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: दीपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: नैवेद्यं समर्पयामि
(फिर एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री गणेशाय नम: ऋतुफलं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: तांबुलं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: द्रव्यदक्षिणां
समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: कर्पूरार्तिकं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नम: नमस्कारं समर्पयामि
गणेश अंगपूजन
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अब गणेश जी के एकेक अंग का स्मरण करते हुये पुष्प अक्षत अर्पण करे )
गं पार्वतीनंदनाय नम: पादौ पूजयामि
गं गणेशाय नम: गुल्फौ पूजयामि
गं जगद्धात्रे नम: जंघे पूजयामि
गं जगद्वल्लभाय नम: जानुनि पूजयामि
गं उमापुत्राय नम: उरु पूजयामि
गं विकटाय नम: कटिं पूजयामि
गं गुहाग्रजाय नम: गुह्यं पूजयामि
गं महत्तमाय नम: मेढ्रं पूजयामि
गं नाथाय नम: नाभिं पूजयामि
गं उत्तमाय नम: उदरं पूजयामि
गं विनायकाय नम: वक्षस्थलं पूजयामि
गं पाशच्छिदे नम: पार्श्वौ पूजयामि
गं हेरंबाय नम: हृदयम पूजयामि
गं कपिलाय नम: कण्ठं पूजयामि
गं स्कंदाग्रजाय नम: स्कंधौ पूजयामि
गं हरसुताय नम: हस्तान पूजयामि
गं ब्रह्मचारिणे नम: बाहून पूजयामि
गं सुमुखाय नम: मुखं पूजयामि
गं एकदंताय नम: दंतौ पूजयामि
गं विघ्नहंत्रे नम: नेत्रे पूजयामि
गं शूर्पकर्णाय नम: कर्णौ पूजयामि
गं भालचंद्राय नम: भालं पूजयामि
गं नागाभरणाय नम: नासिकां पूजयामि
गं चिरंतनाय नम: चिबुकं पूजयामि
गं स्थूलौष्ठाय नम: औष्ठौ पूजयामि
गं गलन्मदाय नम: कण्ठं पूजयामि
गं कपिलाय नम: कचान पूजयामि
गं शिवप्रियाय नम: शिर: पूजयामि
गं सर्वमंगलासुताय नम: सर्वांगे पूजयामि
एकविंशति पत्र पूजा
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अगर आपके पास गणेश जी को अर्पण करने की 21 पत्री उपलब्ध है तो उसे अर्पण करे .. नही तो पुष्प अक्षत अर्पण करे .
गं उमापुत्राय नम: माचीपत्रं समर्पयामि
गं हेरंबाय नम: बृहतीपत्रं समर्पयामि
गं लंबोदराय नम: बिल्वपत्रं समर्पयामि
गं द्विरदाननाय नम: दूर्वापत्रं समर्पयामि
गं धूम्रकेतवे नम: दुर्धूरपत्रं समर्पयामि
गं बृहते नम: बदरीपत्रं समर्पयामि
गं अपवर्गदाय नम: अपामार्गपत्रं समर्पयामि
गं द्वैमातुराय नम: तुलसीपत्रं समर्पयामि
गं चिरंतनाय नम: चूतपत्रं समर्पयामि
गं कपिलाय नम: करवीरपत्रं समर्पयामि
गं विष्णुस्तुताय नम: विष्णुक्रांतपत्रं समर्पयामि
गं अमलाय नम: आमलकीपत्रं समर्पयामि
गं महते नम: मरुवकपत्रं समर्पयामि
गं सिंधुराय नम: सिंधूरपत्रं समर्पयामि
गं गजाननाय नम: जातीपत्रं समर्पयामि
गं गण्डगलन्मदाय नम: गण्डलीपत्रं समर्पयामि
गं शंकरीप्रियाय नम: शमीपत्रं समर्पयामि
गं भृंगराजत्कटाय नम: भृंगराजपत्रं समर्पयामि
गं अर्जुनदंताय नम: अर्जुनपत्रं समर्पयामि
गं अर्कप्रभाय नम: अर्कपत्रं समर्पयामि
गं एकदंताय नम: दाडिमीपत्रं समर्पयामि
एकविंशति दूर्वा पूजन
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अब आप 21 दूर्वा अर्पण करे
१) गं गणाधिपाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
२) गं पाशांकुशधराय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
3) गं आखुवाहनाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
४) गं विनायकाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
५) गं ईशपुत्राय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
६) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
७) गं एकदंताय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
८) गं इभवक्त्राय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
९) गं मूषकवाहनाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१०) गं कुमारगुरवे नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
११) गं कपिलवर्णाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१२) गं ब्रह्मचारिणे नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१३) गं मोदकहस्ताय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१४) गं सुरश्रेष्ठाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१५) गं गजनासिकाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१६) गं कपित्थफलप्रियाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१७) गं गजमुखाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१८) गं सुप्रसन्नाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
१९) गं सुराग्रजाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
२०) गं उमापुत्राय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
२१) गं स्कंदप्रियाय नम: दूर्वायुग्मं समर्पयामि
अष्टविनायक पूजन
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अब आप अष्टविनायक स्वरुप के पूजन हेतु दूर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे ..
1) मयुरेश्वर
गं ऐं ह्रीं श्रीं मयूर आरुढाय सिंधुदैत्यविनाशाय श्री मयूरेश्वराय नम:
2) चिंतामणी
गं ऐं ह्रीं श्रीं कपिलऋषी सुपुज्याय चिंतामणि प्रदानाय श्री चिंतामणि गणेशाय नम:
3) महागणपति
गं ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरासुरवध कारणाय शिवसुपूजिताय श्रीमहागणपतये नम:
4) सिद्धिविनायक
गं ऐं ह्रीं श्रीं विष्णुपूजिताय मधुकैटभवध कारणाय दक्षिणशुंडधारणाय समस्त सिद्धिप्रदानाय श्रीसिद्धिविनायकाय नम:
5) विघ्नेश्वर
गं ऐं ह्रीं श्रीं इंद्रसुपूजिताय विघ्नासुरप्राण हरणाय श्रीविघ्नेश्वराय नम:
6) गिरिजात्मक
गं ऐं ह्रीं श्रीं गिरिजासुपुजिताय शक्तिपुत्राय श्रीगिरिजात्मकाय नम:
7) बालेश्वर
गं ऐं ह्रीं श्रीं बाल्यस्वरुपाय भक्तप्रियाय श्रीबालेश्वराय नम:
8) वरदविनायक
गं ऐं ह्रीं श्रीं वरदहस्ताय सर्वबाधा प्रशमनाय श्रीवरदविनायकाय नम:
गणेश अष्ट अवतार पूजन
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अब आप गणेश जी के अवतारो के पूजन हेतु दूर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे
१) गं ॐ नमो भगवते मत्सरासुरहंताय सिंहवाहनाय वक्रतुंडाय नम:
२) गं ॐ नमो भगवते मदासुरहंताय मूषकवाहनाय एकदंताय नम:
३) गं ॐ नमो भगवते मोहासुरहंताय ज्ञानदाताय मूषकवाहनाय महोदराय नम:
४) गं ॐ नमो भगवते लोभासुरहंताय सांख्यसिद्धिप्रदानाय मूषकवाहनाय गजाननाय नम:
५) गं ॐ नमो भगवते क्रोधासुरहंताय मूषकवाहनाय लंबोदराय नम:
६) गं ॐ नमो भगवते कामासुरहंताय मयूरवाहनाय विकटनाय नम:
७) गं ॐ नमो भगवते मयासुर प्रहर्ताय शेष वाहनाय विघ्नराजाय नम:
८) गं ॐ नमो भगवते अहंतासुर हंताय मूषकवाहनाय धूम्रवर्णाय नम:
(यहाँ पर भगवान गणेश जी के 16 नामावली दी है उससे पूजन करे ..दूर्वा या पुष्प अक्षत या जल अर्पण करे )
1. ॐ गं सुमुखाय नम: ।
2. ॐ गं एकदंताय नमः।
3. ॐ गं कपिलाय नमः।
4. ॐ गं गजकर्णकाय नमः।
5. ॐ गं लंबोदराय नमः।
6. ॐ गं विकटाय नम: !
7. ॐ गं विघ्नराजाय नमः।
8. ॐ गं गणाधिपाय नम: !
9. ॐ गं धूम्रकेतवे नम : ।
10 . ॐ गं गणाध्यक्षाय नमः।
11. ॐ गं भालचंद्राय नमः।
12. ॐ गं गजाननाय नम: !
13. ॐ गं वक्रतुंडाय नमः।
14. ॐ गं शूर्पकर्णाय नमः।
15. ॐ गं हेरंबाय नमः।
16. ॐ गं स्कंदपूर्वजाय नमः।
इसके बाद अगर आपके पास समय हो तो दुसरे अलग पोस्ट मे जो आवरण पूजन एवं गणेशजी के द्वात्रिशद (32 ) स्वरुप और गणेश 108 नामावली पूजन दिया है उसे करे
अब नीचे दिये हुये गणपती माला मंत्र का पाठ कर पुष्प अर्पण करे
श्री गणपती माला मंत्र
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ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं ऐं ग्लौं ॐ ह्रीं क्रौं गं ॐ नमो भगवते महागणपतये स्मरणमात्रसंतुष्टाय सर्वविद्याप्रकाशकाय सर्वकामप्रदाय भवबंधविमोचनाय ह्रीं सर्वभूतबंधनाय क्रों साध्याकर्षणाय क्लीं जगतत्रयवशीकरणाय सौ: सर्वमनक्षोभणाय श्रीं महासंपत्प्रदाय ग्लौं भूमंडलाधिपत्यप्रदाय महाज्ञानप्रदाय चिदानंदात्मने गौरीनंदनाय महायोगिने शिवप्रियाय सर्वानंदवर्धनाय सर्वविद्याप्रकाशनप्रदाय द्रां चिरंजिविने ब्लूं सम्मोहनाय ॐ मोक्षप्रदाय ! फट वशी कुरु कुरु! वौषडाकर्षणाय हुं विद्वेषणाय विद्वेषय विद्वेषय ! फट उच्चाटय उच्चाटय ! ठ: ठ: स्तंभय स्तंभय ! खें खें मारय मारय ! शोषय शोषय ! परमंत्रयंत्रतंत्राणि छेदय छेदय ! दुष्टग्रहान निवारय निवारय ! दु:खं हर हर ! व्याधिं नाशय नाशय ! नम: संपन्नय संपन्नय स्वाहा ! सर्वपल्लवस्वरुपाय महाविद्याय गं गणपतये स्वाहा !
यन्मंत्रे क्षितलांछिताभमनघं मृत्युश्च वज्राशिषो भूतप्रेतपिशाचका: प्रतिहता निर्घातपातादिव ! उत्पन्नं च समस्तदु:खदुरितं उच्चाटनोत्पादकं वंदेsभीष्टगणाधिपं भयहरं विघ्नौघनाशं परम ! ॐ गं गणपतये नम:
ॐ नमो महागणपतये , महावीराय , दशभुजाय , मदनकाल विनाशन , मृत्युं
हन हन , यम यम , मद मद , कालं संहर संहर , सर्व ग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मूढय मूढय , रुद्ररूप, त्रिभुवनेश्वर , सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा !
ॐ नमो गणपतये , श्वेतार्कगणपतये , श्वेतार्कमूलनिवासाय , वासुदेवप्रियाय , दक्षप्रजापतिरक्षकाय , सूर्यवरदाय , कुमारगुरवे , ब्रह्मादिसुरावंदिताय , सर्पभूषणाय , शशांकशेखराय , सर्पमालालंकृतदेहाय , धर्मध्वजाय , धर्मवाहनाय , त्राहि त्राहि , देहि देहि , अवतर अवतर , गं गणपतये , वक्रतुंडगणपतये , वरवरद , सर्वपुरुषवशंकर , सर्वदुष्टमृगवशंकर , सर्वस्ववशंकर , वशी कुरु वशी कुरु , सर्वदोषान बंधय बंधय , सर्वव्याधीन निकृंतय निकृंतय , सर्वविषाणि संहर संहर , सर्वदारिद्र्यं मोचय मोचय , सर्वविघ्नान छिंदि छिंदि , सर्ववज्राणि स्फोटय स्फोटय , सर्वशत्रून उच्चाटय उच्चाटय , सर्वसिद्धिं कुरु कुरु , सर्वकार्याणि साधय साधय , गां गीं गूं गैं गौं गं गणपतये हुं फट स्वाहा !
ॐ नमो गणपते महावीर दशभुज मदनकालविनाशन मृत्युं हन हन , कालं संहर संहर , धम धम , मथ मथ , त्रैलोक्यं मोहय मोहय , ब्रह्मविष्णुरुद्रान मोहय मोहय , अचिंत्य बलपराक्रम , सर्वव्याधीन विनाशाय , सर्वग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मोटय मोटय , त्रिभुवनेश्वर सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा !
अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे
एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात
अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े
अनेन गणपती पूजनेन श्री भगवान महागणपती प्रीयन्तां न मम .
हाथ जोड़ कर भगवान गणेश जी से प्रार्थना करे
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लंबोदराय सकलाय जगद्धिताय
नागाननाय श्रूतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते !!
भक्तार्तिनाशनपराय गणेश्वराय
सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय
विद्याधराय विकटाय च वामनाय
भक्तप्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते !!
नमस्ते ब्रह्मरुपाय विष्णुरुपाय ते नम:
नमस्ते रुद्ररुपाय करिरुपाय ते नम:
विश्वरुपस्वरुपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक !!
लंबोदर नमस्त्युभ्यं सततं मोदकप्रियं
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा !!
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति
विद्याप्रदेत्यघहरेति च ये स्तुवंति
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव !!
गणेशपूजने कर्म यन्नूनमधिकं कृतं
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोsस्तु सदा मम !!
अनया पूजया सिद्धिबुद्धिसहितो महागणपती: प्रीयंतां न मम