- यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.
- यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
- इसका जाप आप नवरात्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
- अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
- २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
- विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.
- सात्विक आहार आचार विचार रखें ।
- हर स्त्री को मातृवत सम्मान दें ।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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15 मार्च 2020
सर्व मनोकामना प्रदायक : महादुर्गा साधना
14 मार्च 2020
नवरात्रि : महाकाली शाबर मंत्र
प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार,
तत सार मध्ये ज्योत,
ज्योत मध्ये परम ज्योत,
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली,
कृष्ण वर्णी, शव वाहनी, रुद्र की पोषणी,
हाथ खप्पर खडग धारी,
गले मुण्डमाला हंस मुखी ।
जिह्वा ज्वाला दन्त काली ।
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी ।
मांस खाये रक्त-पी-पीवे ।
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई ।
सत की नाती , धर्म की बेटी ।
इन्द्र की साली , काल की काली ।
जोग की जोगीन, नागों की नागीन ।
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे ।
अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली ।
अजर महाकाली ।
बजर अमर काली ।
भख जून निर्भय काली ।
बला भख, दुष्ट को भख,
काल भख, पापी पाखण्डी को भख ।
जती सती को रख ।
ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।
मूल मंत्र -
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।
विधि -
- महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
- अपनी क्षमतानुसार 1, 3,9,11,21,51,108 बार जाप रात्रिकाल मे करें।
- नवरात्रि मे करने से विशेष लाभदायक होगा।
- धूप जलाकर रखें ।
13 मार्च 2020
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं स्वाहा ।
शुचिजाया, महापिशाचिनी, दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी, वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं महालक्ष्म्ये ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ हसकहल ह्रीँ हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।
खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ ह्रीँ नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच । मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय ।
मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे । घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ श्रीँ हसौः सौँ वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ क्रीँ क्रीँ कति कति स्वाहा |
काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।
हृदयाये ॐ ह्रीँ क्रीँ मे स्वाहा ।
ठः ठः ठः क्रीँ ह्रं ह्रीँ चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके । श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके । करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ । निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।
रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ क्रीँ क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट् स्वाहा ।
शक्तिरुपायै । रोँ वा गणपायै । रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै । प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके । शक्ति । मार्तण्ड । भैरवि । विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।
पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके । स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।
- 108 पाठ से लाभ मिलेगा |
- चमेली के तेल का दीपक जलाएंगे ।
- रात्रिकालीन साधना है |
- दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए जाप करें
- काला वस्त्र तथा काले कंबल का आसन रहेगा ।
12 मार्च 2020
नवरात्रि विशेष : छिन्नमस्ता साधना
॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....
- प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
- यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें.
- यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है.
- काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें.
- रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें.
- सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें.
- साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
साधना में गुरु की आवश्यकता
ॐ मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.
ॐ साधना से उठने वाली उर्जा को गुरु नियंत्रित और संतुलित करता है, जिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
ॐ गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए. अगर बैठकर ना कर पायें तो चलते फिरते भी आप मन्त्र जाप कर सकते हैं.
गुरु के बिना साधना
ॐ स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
ॐ जिन मन्त्रों में 108 से ज्यादा अक्षर हों उनकी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
ॐ शाबर मन्त्र तथा स्वप्न में मिले मन्त्र बिना गुरु के जाप कर सकते हैं .
ॐ गुरु के आभाव में स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरश्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y बकवास और प्रलाप न करें.
Y किसी पर गुस्सा न करें.
Y यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
Y किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न हो, अपमान न करें.
Y जप और साधना का ढोल पीटते न रहें, इसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
मंत्र जाप में दिशा, आसन, वस्त्र का महत्व
Y साधना के लिए नदी तट, शिवमंदिर, देविमंदिर, एकांत कक्ष श्रेष्ट माना गया है .
Y आसन में काले/लाल कम्बल का आसन सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ट माना गया है .
Y अलग अलग मन्त्र जाप करते समय दिशा, आसन और वस्त्र अलग अलग होते हैं .
Y इनका अनुपालन करना लाभप्रद होता है .
माला तथा जप संख्या
Y रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला धारण करने से आध्यात्मिक अनुकूलता मिलती है .
Y रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती अगर अलग से निर्देश न हो तो सभी साधनाओं में रुद्राक्ष माला से मन्त्र जाप कर सकते हैं .
Y एक साधना के लिए एक माला का उपयोग करें |
Y सवा लाख मन्त्र जाप का पुरश्चरण होगा |
Y गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं. इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
सामान्य हवन विधि
Y जाप पूरा होने के बाद किसी गोल बर्तन, हवनकुंड में हवन अवश्य करें | इससे साधनात्मक रूप से काफी लाभ होता है जो आप स्वयं अनुभव करेंगे |
Y अग्नि जलाने के लिए माचिस का उपयोग कर सकते हैं | इसके साथ घी में डूबी बत्तियां तथा कपूर रखना चाहिए
Y जलाते समय “ॐ अग्नये नमः” मन्त्र का कम से काम 7 बार जाप करें | जलना प्रारंभ होने पर इसी मन्त्र में स्वाहा लगाकर घी की 7 आहुतियाँ देनी चाहिए |
Y बाजार में उपलब्ध हवन सामग्री का उपयोग कर सकते हैं |
Y हवन में 1250 बार या जितना आपने जाप किया है उसका सौवाँ भाग हवन करें | मन्त्र के पीछे “स्वाहा” लगाकर हवन सामग्री को अग्नि में डालें |
भावना का महत्व
Y जाप के दौरान भाव सबसे प्रमुख होता है , जितनी भावना के साथ जाप करेंगे उतना लाभ ज्यादा होगा.
Y यदि वस्त्र आसन दिशा नियमानुसार ना हो तो भी केवल भावना सही होने पर साधनाएं फल प्रदान करती ही हैं .
Y नियमानुसार साधना न कर पायें तो जैसा आप कर सकते हैं वैसे ही मंत्र जाप करें , लेकिन साधनाएं करते रहें जो आपको साधनात्मक अनुकूलता के साथ साथ दैवीय कृपा प्रदान करेगा |
Y देवी या देवता माता पिता तुल्य होते हैं उनके सामने शिशुवत जाप करेंगे तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगेगा |
10 मार्च 2020
गुरु मंत्र
मेरे पूज्यपाद गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी अब सशरीर हमारे बीच नहीं है ।
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
इस वीडियो के माध्यम से आप मानसिक रूप से उन्हे गुरु मानकर गुरु दीक्षा ग्रहण कर सकते हैं । और गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं ।
जैसे जैसे आपका गुरु मंत्र का जाप बढ़ता जाएगा आपको स्वप्न मे या किसी न किसी माध्यम से साधनात्मक निर्देश या मार्ग प्राप्त हो जाएगा ....
गुरु मंत्र
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
1. गुरु मंत्र जाप के लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात 3 से 6 बजे का समय सबसे बढ़िया है । संभव न हो तो कभी भी कर सकते हैं ।
2. मंत्र जाप के काल मे शुद्ध आचार व्यवहार और विचार रखें ।
3. सभी स्त्रियों को मातृवत समझें तथा उनका सम्मान करें ।
4. यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
5. संभव हो तो नित्य एक निश्चित समय पर बैठें ।
6. जाप पूरा हो जाने के बाद उस स्थान पर कम से कम पाँच मिनट आँख बंद करके बैठे रहें ।
7. 108 मनकों की माला से मंत्र जाप किया जाता है ।
8. रुद्राक्ष या स्फटिक माला श्रेष्ठ है ।
9. मंत्र जाप की गिनती करते समय एक माला के जाप को 100 मंत्र माना जाता है ।
10. मंत्र जाप करते समय एक माला के 108 मे से बचे 8 मंत्र के जाप को उच्चारण की त्रुटि या किसी प्रकार की अन्य त्रुटि के समाधान के लिए छोड़ दिया जाता है ।
11. सवा लाख मंत्र जाप का एक पुरश्चरण माना जाता है ।
12. इसके लिए आपको 1250 माला मंत्र जाप करना होगा ।
13. किसी भी प्रकार की साधना करते समय सबसे पहले गुरु पूजन करें तथा उसके बाद आप गुरु मंत्र की एक माला करें तथा उसके बाद ही मंत्र जाप करें । इससे सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।
9 मार्च 2020
पति अनुकूलन प्रयोग : होलीका दहन विशेष
पति से झगड़ा और कडवे संबंध गृहस्थ जीवन की सबसे बड़ी समस्या है....
अपने पति से समरसता बनाने के लिए ... इस मंत्र का प्रयोग करें ।
॥ यह केवल आपस मे विवाहित पति पत्नी के लिए काम करेगा, दूसरे की पत्नी/पति को अनुकूल बनाने या प्रेमी/प्रेमिका को अनुकूल बनाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग आपको नुकसान और अपयश प्रदान करेगा ॥
"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार ।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार ।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर ।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे ।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?
कैलास-पर्वत से आया ।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया ।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार ।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल ।
दुहाई कमिया सिन्दूर की,
हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।
दुहाई महादेव पार्वती की ।
बस जाये मेरा परिवार ।
सत्य नाम, आदेश गुरु का ।
फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।
जाप के अंत मे तीन बार निम्नलिखित मंत्र बोलें ।
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
1. कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
2. कामिया सिंदूर न मिले तो उस कुमकुम को या बिंदी को रख लें जिसका आप उपयोग करती हैं ।
3. इस मन्त्र को रोज 108 बार जाप , होलिका दहन वाली पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
4. इसका जाप रात मे करना श्रेष्ठ है, लेकिन संभव न हो तो आप दिन मे भी कर सकते हैं ।
5. इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. टीका लगाते समय महामाया से प्रार्थना करें कि मेरा पति मेरे अनुकूल हो .
6. ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
7. ऐसा नहीं है कि इससे वह आपके आदेश का गुलाम हो जाएगा , वह आपके प्रति सद्भावना से युक्त होने लगेगा .
8. इसके साथ साथ अपना व्यवहार भी अच्छा और शांत रखें. बेवजह की तानाकशी और टिप्पणी से बचें. ससुराल वालों को कोसना और मीन मेख निकालना भी कम करें .
9. मुस्कुराए . क्योंकि मुस्कुराहट सबसे बड़ा सम्मोहन है. खुश रहें ।
4 मार्च 2020
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं स्वाहा ।
शुचिजाया, महापिशाचिनी, दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी, वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं महालक्ष्म्ये ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ हसकहल ह्रीँ हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।
खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ ह्रीँ नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच । मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय ।
मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे । घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ श्रीँ हसौः सौँ वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ क्रीँ क्रीँ कति कति स्वाहा |
काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।
हृदयाये ॐ ह्रीँ क्रीँ मे स्वाहा ।
ठः ठः ठः क्रीँ ह्रं ह्रीँ चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके । श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके । करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ । निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।
रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ क्रीँ क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट् स्वाहा ।
शक्तिरुपायै । रोँ वा गणपायै । रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै । प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके । शक्ति । मार्तण्ड । भैरवि । विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।
पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके । स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।
- 108 पाठ से लाभ मिलेगा |
- चमेली के तेल का दीपक जलएंगे ।
- रात्रिकालीन साधना है |
आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं ।
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
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29 फ़रवरी 2020
सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा गुरु दीक्षा की वीडियो
मेरे पूज्यपाद गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी अब
सशरीर हमारे बीच नहीं है ।
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
इस वीडियो के माध्यम से आप मानसिक रूप से उन्हे गुरु
मानकर गुरु दीक्षा ग्रहण कर सकते हैं । और गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं ।
जैसे जैसे आपका गुरु मंत्र का जाप बढ़ता जाएगा आपको स्वप्न मे या किसी न किसी माध्यम से साधनात्मक निर्देश या मार्ग प्राप्त हो जाएगा ....
गुरु मंत्र
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
1. गुरु मंत्र जाप के लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात 3 से 6 बजे का समय सबसे बढ़िया है । संभव न हो तो कभी भी कर सकते हैं ।
2. मंत्र जाप के काल मे शुद्ध आचार व्यवहार और विचार रखें ।
3. सभी स्त्रियों को मातृवत समझें तथा उनका सम्मान करें ।
4. यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
5. संभव हो तो नित्य एक निश्चित समय पर बैठें ।
6. जाप पूरा हो जाने के बाद उस स्थान पर कम से कम पाँच मिनट आँख बंद करके बैठे रहें ।
7. 108 मनकों की माला से मंत्र जाप किया जाता है ।
8. रुद्राक्ष या स्फटिक माला श्रेष्ठ है ।
9. मंत्र जाप की गिनती करते समय एक माला के जाप को 100 मंत्र माना जाता है ।
10. मंत्र जाप करते समय एक माला के 108 मे से बचे 8 मंत्र के जाप को उच्चारण की त्रुटि या किसी प्रकार की अन्य त्रुटि के समाधान के लिए छोड़ दिया जाता है ।
11. सवा लाख मंत्र जाप का एक पुरश्चरण माना जाता है ।
12. इसके लिए आपको 1250 माला मंत्र जाप करना होगा ।
13. किसी भी प्रकार की साधना करते समय सबसे पहले गुरु पूजन करें तथा उसके बाद आप गुरु मंत्र की एक माला करें तथा उसके बाद ही मंत्र जाप करें । इससे सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।
20 फ़रवरी 2020
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