8 अप्रैल 2020

साधना सिद्धि विज्ञान PDF : श्री हनुमान विशेषांक



साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका 
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना भैरव साधनाकाली साधनाअघोर साधनाअप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी . इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा . देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी . 
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श्री हनुमान सामान्य हवन विधि





  • पहले एक हवन कुंड या पात्र में लकडियां जमायें.
  • अब उसमें "आं अग्नये नमः" मंत्र बोलते हुए आग लगायें.
  • ७ बार "ॐ अग्नये स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • ३ बार "ॐ गं गणपतये स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • ३ बार "ॐ भ्रं भैरवाय स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • २१ बार "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • 11 बार  "ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • अब जिस हनुमान मन्त्र का जाप कर रहे थे उस मन्त्र से स्वाहा लगाकर  १०८ बार आहुति डालें.
  • अंत में अपने दोनों कान पकडकर गलतियों के लिये क्षमा मांगे.

बीज मंत्रात्मक हनुमान साधना



॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॐ ॥

  • यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है. 
  • जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें.
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • एक समय भोजन करें.
  • बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
  • दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें.
  • रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें.
  • लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर  जाप करें.
  • गुड तथा चने का भोग लगायें.
  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.

  • ११००० जाप करें
  • ११०० मन्त्रों से हवन करें.
  • साधना पूर्ण होने पर एक छोटे बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.

हनुमान जी पर सिन्दूर चोला



  • हनुमान जी पर सिन्दूर घोलकर लेप करने को चोला चढाना कहते हैं .

  • हनुमान जी पर चोला चढाने के लिये सिन्दूर को तेल में घोलकर पूरी मूर्ति पर लेप किया जाता है.

  • लेप करने के बाद उनके चरणों से सिन्दूर लेकर अपने माथे तथा हृदय पर लगाना चाहिये.कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें.
  •  यदि संभव हो तो सुंदर कांड का पाठ भी लाभदायक रहेगा.
  • चोला चढाने से पहले कम से कम एक दिन का ब्रह्मचर्य जरूर रखें. चोला चढाने के बाद कम से कम एक दिन सात्विक आहार आचार व्यवहार रखें तो ज्यादा लाभ होगा.

साथ में बंदरों को चने या उनके पसंद की कोई सामग्री खिलाना भी लाभ प्रद होगा.








रुद्ररूप हनुमान साधना





॥ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं रुद्ररूपाय महासिद्धाय ह्रीं ह्रीं ह्रीं नमः 

यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है.  
जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें. 
ब्रह्मचर्य का पालन करें. 
एक समय भोजन करें. बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें. 
रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें. 
लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर  जाप करें. 
गुड तथा चने का भोग लगायें. 
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
११००० जाप करें ११०० मन्त्रों से हवन करें. 


साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.

3 अप्रैल 2020

कोरोना वाइरस से बचाव और पाशुपत मंत्र





पाशुपत मंत्र


पशुपति अर्थात पशुओं के पति....


जो पशुओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं... 


जो अनियंत्रित पशुओं को भी नियंत्रित करने की
क्षमता रखते हैं .... 


आपने चरवाहों को देखा होगा...  
गायों के और भैंसों के झुंड भी आपने देखे होंगे…


इसमें से बहुत सारे नियंत्रित होते हैं
और कुछ एक ऐसे होते हैं
जो अनियंत्रित होते हैं …


अपनी अलग ही चाल में चलते हैं.....


उनको नियंत्रित करने की क्षमता
रखने वाला व्यक्ति ही
एक अच्छा चरवाहा
अर्थात पशुपति बन सकता है..... 


यह संपूर्ण सृष्टि भी पशुओं से भरी हुई है.....
जिसमें सबसे विकसित पशु मनुष्य है......
अमीबा से लेकर वायरस तक
सब कुछ एक किस्म का पशु ही है... 
इन सब के अधिपति
इन सब को नियंत्रित करने
की क्षमता रखने वाले है ..... 
पशुपति.... 
अर्थात भगवान शिव.....


उनका सबसे तेजस्वी मंत्र है पाशुपत मंत्र 


यह एक ऐसा मंत्र है
जो सभी प्रकार के अनियंत्रित स्थितियों
को नियंत्रित करने में मदद करता है....


कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति
भी लगभग अनियंत्रित अवस्था में पहुंच चुकी है .... 


अगर आप ध्यान से देखें तो कोरोना भी
एक किस्म का अत्यंत सूक्ष्म पशु ही है
जो अनियंत्रित हो गया है ।
अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए
वह हर तरफ त्राहि-त्राहि की स्थिति
उत्पन्न कर रहा है .... 
जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है
तो उसका इलाज
केवल देवाधिदेव
महादेव शिव का
पाशुपत मंत्र ही कर सकता है....... 


इस विपरीत परिस्थिति में अनुकूलता लाने के लिए…
अपने परिवार की रक्षा के लिए.....
अपने समाज की रक्षा के लिए..... 
अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए..... 
मानवता की रक्षा के लिए.... 
आप पाशुपत मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं..... 


मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव  सुदर्शन नाथ जी
के द्वारा प्रदान किए गए
पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं। 
यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप
आदि शंकराचार्य के द्वारा
भगवान पशुपति की आराधना
के लिए प्रयुक्त हुआ था ....
इसलिए
यह बेहद प्रभावशाली
और शक्तिशाली मंत्र है ।
यह शिव के अवतार द्वारा
अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने
और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥ 
यह एक ऐसा अचूक मंत्र है
जो सभी प्रकार के संकटों से
रक्षा करने में सहायक है.... 


इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं ।
आपकी पत्नी कर सकती है,
आपके बच्चे कर सकते हैं ।
आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं
जो भगवान शिव पर और
सनातन धर्म में आस्था रखते हो
और अ
पने परिवार तथा राष्ट्र की
रक्षा के प्रति जागरूक हो.... 



पाशुपत मंत्र :- 
॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥ 

इसका उच्चारण होगा :- 
( ॐ श्लीम पशुम हुम फट) 
(om shleem pashum hoom fat)


विधि :-
  • मंत्र जाप से पहले
  • 3 या 11, 21,51 या 108 बार
  • गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले । 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥ 
यदि आपने गुरू  बनाया हो
और उन्होंने आपको कोई मंत्र दिया हो
तो आप उस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं । 

इसके बाद आप पशुपत मंत्र का
जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।
पशुपति मंत्र के जाप के लिए

किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।
भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण

इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का
बंधन भी नहीं है ।
अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं । 
इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं ।
नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं ।
इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं
तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं ।
इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में,
अपने ऑफिस में ,
अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं, 

शर्त यही है कि आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो.....

बाकी वह देख लेंगे। 

25 मार्च 2020

अकाल मृत्यु टालने वाला दुर्लभ मंत्र

कोरोना का कहर पूरे विश्व को अपनी चपेट मे ले चुका है .....
पूज्यपाद गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ने एक अकाल मृत्यु निवारण मंत्र बताया था । जो अवश्य परिस्थितियों को संभालने मे मदद करेगा ।

इसे बार बार सुनें और सुनाएँ


19 मार्च 2020

तारा साधना


तारा साधना मंत्रम
तारा साधना जीवन का सौभाग्य है। 
यह साधना मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
शक्ति साधकों के लिए गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ने तारा शाक्त मन्त्र नवरात्री शिविर 1995 कराला में प्रदान किया था. यह साधना आर्थिक लाभ प्रदायक है .


·      यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.

·      भगवती तारा महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप करें। कम ज्यादा जाप ना करें  

  • ·      सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
  • ·      भगवती तारा अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने शिशु को ले जाती है.

|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तारायै नमः ||
·      इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
·      साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
·      रात्रिकालीन साधना है |
·      उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
·      एकांत कमरा होना चाहिए साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये |
·      दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप करते रहें .

·         



18 मार्च 2020

महाविद्या धूमावती साधना

किसी प्रकार की तंत्र बाधा ऊपरी बाधा भूत प्रेत आदि की आशंका हो तो प्रयोग करें ।




॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

  • सर्व बाधा निवारण हेतु.
  • नवरात्रि मे सम्पन्न करें.
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.फिल्म /टी.वी./गाना /नाच से दूर रहें.
  • किसी स्त्री का स्पर्श न करें. यदि स्त्री हों तो पुरुष का स्पर्श न करें.
  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  • यथा संभव मौन रहें.
  • अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें.
  • सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें. 
  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
  • बेसन के पकौडे का भोग लगायें.
  • जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.
  • सबसे पहले हाथ मे एक चम्मच पानी लेकर माता के सामने समस्या बताकर उसे जमीन मे छोड़ दें। 
  • सबसे पहले एक माला गुरु मंत्र का जाप करे
  • यदि आपका कोई गुरु हो तो उसका मंत्र करें ।
  • न हो तो " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " का एक माला जाप कर लें । 
  • इसके बाद 11 माला जाप करें.
  • यह रोज का क्रम रहेगा ...  
  • अंतिम दिन एक माला या 1008 मंत्रों से हवन करें.इसके लिए मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर हवन सामग्री को आग में छोडें. 
  • हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.
  • जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

16 मार्च 2020

शिव शक्ति मंत्र

शिव भक्तों के लिए विशेष



॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

यह मन्त्र सतत [ चलते फ़िरते] जाप करें.
यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

15 मार्च 2020

धूमावती साधना : समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट





  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना नवरात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें



जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.


  • अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
  • उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
अब रुद्राक्ष की माला से 11 माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


अंतिम दिन काला धागा तीन बार अपनी कमर मे लपेट कर बांध दें । उस दिन मंत्र जाप पूरा होने के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल को तीन बार सिर से पांव तक उतारा कर लें इसके लिए उसे सिर से पाँव तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.

अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. 

हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को बाहर फ़ेंक दें इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडि होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें ... 

किसी विधवा स्त्री को धन या भोजन कुछ भी दान करें .... 

सर्व मनोकामना प्रदायक : महादुर्गा साधना


॥ ॐ क्लीं दुर्गायै नमः ॥

  • यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.
  • यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
  • इसका जाप आप नवरात्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
  • अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
  • २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
  • विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.
  • सात्विक आहार आचार विचार रखें ।
  • हर स्त्री को मातृवत सम्मान दें ।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें । 

14 मार्च 2020

नवरात्रि : महाकाली शाबर मंत्र

प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।




ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार
तत सार मध्ये ज्योत
ज्योत मध्ये परम ज्योत
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता 
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली
कृष्ण वर्णीशव वाहनीरुद्र की पोषणी
हाथ खप्पर खडग धारी
गले मुण्डमाला हंस मुखी । 
जिह्वा ज्वाला दन्त काली । 
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । 
मांस खाये रक्त-पी-पीवे । 
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । 
सत की नाती , धर्म की बेटी । 
इन्द्र की साली , काल की काली । 
जोग की जोगीननागों की नागीन । 
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे । 
अकेली चार वीर अष्ट भैरोंघोर काली अघोर काली । 
अजर महाकाली । 
बजर अमर काली । 
भख जून निर्भय काली । 

बला भखदुष्ट को भख
काल भख, पापी पाखण्डी को भख । 

जती सती को रख । 

ॐ काली तुम बाला ना वृद्धादेव ना दानवनर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।



मूल मंत्र -

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।



विधि -

  1. महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
  2. अपनी क्षमतानुसार 1, 3,9,11,21,51,108 बार जाप रात्रिकाल मे करें।
  3. नवरात्रि मे करने से विशेष लाभदायक होगा। 
  4. धूप जलाकर रखें । 

13 मार्च 2020

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र



ॐ क्रीं  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं स्वाहा ।

शुचिजाया, महापिशाचिनी,  दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी,  वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं  महालक्ष्म्ये ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ  हसकहल ह्रीँ  हस्त्रैँ  ॐ ह्रीँ  क्लीँ  मे  स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ  ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।

खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ  ह्रीँ  नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच ।  मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय ।

मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे ।  घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ  रोँ रोँ  रीँ  ह्रीँ  श्रीँ  हसौः सौँ  वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ कति कति स्वाहा |

काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।

हृदयाये ॐ ह्रीँ  क्रीँ  मे स्वाहा ।

ठः ठः ठः क्रीँ  ह्रं  ह्रीँ  चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके ।  श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके ।  करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ ।  निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।

रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  हूं  हूं ह्रीँ  ह्रीँ फट् स्वाहा ।

शक्तिरुपायै ।  रोँ  वा गणपायै  । रोँ  रोँ  रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै ।  प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ  ह्रीँ  रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।  शक्ति । मार्तण्ड ।  भैरवि ।  विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।

पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय  महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके ।  स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।



  • 108 पाठ से लाभ मिलेगा |
  • चमेली के तेल का दीपक जलाएंगे । 
  • रात्रिकालीन साधना है |
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए जाप करें 
  • काला वस्त्र तथा काले कंबल का आसन रहेगा ।