एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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13 जनवरी 2024
12 जनवरी 2024
पद्मावती स्तोत्र
पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है
दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धन्य सुतान्वदै च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||
धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
सन्यस्त रूप मपरम पूर्ण गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमालत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
विधि :-
- सबसे पहले तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- इस स्तोत्र को मकर संक्रांति से प्रारंभ करके 33 दिनों तक करें |
- नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
- सात्विक आहार /विचार /व्यवहार रखें |
- क्रोध ना करें |
- किसी स्त्री का अपमान ना करें |
- जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
- लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
- घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
- फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
- इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |
11 जनवरी 2024
सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र
सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र
दीपावली भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण मुहूर्त है. प्रत्येक गृहस्थ को इस अवसर पर देवी महालक्ष्मी का पूजन विधि विधान से संपन्न करना ही चाहिए क्योंकि गृहस्थ जीवन का आधार ही महालक्ष्मी हैं. महालक्ष्मी पूजन विविध प्रकार से किए जा सकते हैं लेकिन देवराज इंद्रकृत सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र अपने आप में अत्यंत ही प्रभावशाली तथा शीघ्र फलप्रदायक है. इस अवसर पर आप चाहें तो महालक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं जिससे आपको अनुकूलता प्राप्त होगी
यह स्तोत्र लक्ष्मी जी के यंत्र चित्र या मूर्ति के सामने करना चाहिए.
पहले लघु पूजन करें. तदुपरांत स्तोत्र का पाठ करें.
महालक्ष्मी पूजनः-
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः गंधम समर्पयामि । (इत्र कुंकुम चढायें)
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः पुष्पम समर्पयामि । (फूल चढायें )
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः धूपम समर्पयामि । (अगरबत्ती दिखायें)
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः दीपम समर्पयामि । (दीपक दिखायें )
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यम समर्पयामि । (प्रसाद चढायें )
क्षमतानुसार 11, 21,51 या 108 बार सहस्राक्षरी स्तोत्र मंत्र का पाठ करेंः-
(हाथ में जल लेकर)विनियोगः-
ऊँ अस्य श्री सर्व महाविद्या महारात्रि गोपनीय मंत्र रहस्याति रहस्यमयी पराशक्ति श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्राक्षरी सहस्र रूपिणि महाविद्याया श्री इंद्र ऋषिं गायत्रयादि नाना छंदांसि नवकोटि शक्तिरूपा श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थ जपे पाठे विनियोगः । (जल जमीन पर छोड़ दें )
अपने हाथ मे एक पुष्प रखें । एक पाठ पूरा हो जाने पर उसे देवी के चरणों मे चढ़ा दें और उनकी कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करें ।.
स्तोत्र मंत्र :-
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं हसौं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौः सौः ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी, जगदाद्ये,विजये सुरासुर त्रिभुवन निदाने दयांकुरे सर्व तेजो रूपिणी विरंचि संस्थिते, विधि वरदे सच्चिदानंदे विष्णु देहावृते महामोहिनी नित्य वरदान तत्परे महासुधाब्धि वासिनी महातेजो धारिणी सर्वाधारे सर्वकारण कारिणे अचिंत्य रूपे इंद्रादि सकल निर्जर सेविते सामगान गायन परिपूर्णोदय कारिणी विजये जयंति अपराजिते सर्व सुंदरि रक्तांशुके सूर्य कोटि संकाशे चंद्र कोटि सुशीतले अग्निकोटि दहनशीले यम कोटि वहनशीले ऊँकार नाद बिंदु रूपिणी निगमागम भाग्यदायिनी त्रिदश राज्य दायिनी सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी दिव्य देहिनि निर्गुणे सगुणे सदसद रूप धारिणी सुर वरदे भक्त त्राण तत्परे बहु वरदे सहस्राक्षरे अयुताक्षरे सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी अनेक लक्षलक्ष स्वरूपे अनंत कोटि ब्रहमाण्ड नायिके चतुर्विंशति मुनिजन संस्थिते चतुर्दश भुवन भाव विकारिणे गगन वाहिनी नाना मंत्र राज विराजिते सकल सुंदरी गण सेविते चरणारविंद्र महात्रिपुर सुंदरी कामेश दायिते करूणा रस कल्लोलिनी कल्पवृक्षादि स्थिते चिंतामणि द्वय मध्यावस्थिते मणिमंदिरे निवासिनी विष्णु वक्षस्थल कारिणे अजिते अमले अनुपम चरिते मुक्तिक्षेत्राधिष्ठायिनी प्रसीद प्रसीद सर्व मनोरथान पूरय पूरय सर्वारिष्टान छेदय छेदय सर्वग्रह पीडा ज्वराग्र भय विध्वंसय विध्वंसय सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय ज्ञानमार्ग प्रकाशय प्रकाशय अज्ञान तमो नाशय नाशय धनधान्यादि वृद्धिं कुरूकुरू सर्व कल्याणानि कल्पय कल्पय माम रक्ष रक्ष सर्वापदभ्यो निस्तारय निस्तारय वज्र शरीरं साधय साधय ह्रीं सहस्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महाविद्यायै नमः ।
10 जनवरी 2024
9 जनवरी 2024
एकाक्षी नारियल
एकाक्षी नारियल
हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे । धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है । उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है ।
इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है ।
इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल ।
सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।
एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।
यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है । ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं ।
जैसे तिजोरी या लॉकर । इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है ।
लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है ।
कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ......
सिद्ध मुहूर्त :-
अक्षय तृतीया
शरद पूर्णिमा
मकर संक्रांति
अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है । ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है ।
दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।
इस दिन लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है ..
25 दिसंबर 2023
भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर
भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर
भक्त प्रह्लाद ने जब रक्षा के लिए भगवान विष्णु की अभ्यर्थना की तब वे नरसिंह के स्वरूप में प्रकट हुए थे । उनका आधा शरीर सिंह का था और आधा शरीर मनुष्य का था । उनके उसे विकराल स्वरूप को देखकर पूरी सृष्टि दहल गई थी । हिरण्यकश्प का वध कर देने के बाद भी भगवान नरसिंह की उग्रता शांत नहीं हो पा रही थी । उनके क्रोध और उनके जाज्वल्यमान रूप को देखकर सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच रहा था !
20 दिसंबर 2023
श्री छिन्नमस्ता विशेषांक : साधना सिद्धि विज्ञान दिसंबर 2023
15 दिसंबर 2023
11 दिसंबर 2023
6 दिसंबर 2023
4 दिसंबर 2023
उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री
उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री
हवन सामग्री या हविष्य को देवताओं का भोजन माना गया है । हविष्य की उच्च गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखते हुये ,सफेद चंदन, काली तिल , इलायची, आंवला,सुगंध कोकिला,सफेद चिरमटी,जटामासी,जायफल, नागरमोथा, राल, शिलाजीत, गुग्गल,जैसी तमाम औषधियों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से हवन सामग्री तयार करने का विधान सनातन धर्म मे है ।
आजकल रेट कम रखने के चक्कर मे इनमे से अधिकांश चीजें हवन सामग्री मे से गायब हो गयी हैं । अब उसमे लकड़ी का बुरादा ज्यादा हो गया है । जिनकी वजह से हवन का पूरा लाभ नहीं मिल पाता ।
इस दिशा मे "वेद समृति" के द्वारा "हवन प्री मिक्स" के नाम से हवन सामाग्री प्रस्तुत की गयी है जिसमे दुर्लभ जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है ।
"हवन प्रीमिक्स" में जटामांसी, अश्वगंधा, तेजपत्ता, इंद्राज, अगर तगर, लाल गुंजा, सफेद गुंजा, केसर, भीमसेनी कपूर, नागर मोथा, नागकेसर, कपूर, हरी इलायची, शतावरी जैसी विशिष्ट औषधियों के अलावा जावित्री, सफेद चंदन, पाउडर, अक्षत, राल, गूगल, लोबान, सहित तमाम औषधियों का मिश्रण उचित अनुपात में किया जाता है । इस विधि से तैयार हविष्य या हवन सामग्री से हवन करने से साधक या यज्ञ करने वाले को इष्ट की कृपा से मनोकामना की पूर्ति मे सहायता मिलती है ।
विशिष्ट देवियों जैसे महाविद्या बगलामुखी और महालक्ष्मी के विशेष हवन की सामग्री भी आप ऑनलाइन मंगा सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 7404561986
काल भैरव मंत्र प्रयोग
काल भैरव मंत्र प्रयोग
- सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं के शमन मे उपयोगी है ।
- अमावस्या, कृष्ण पक्ष मे अष्टमी/ त्रयोदशी/चतुर्दशी या सावन माह की किसी भी रात्रि करें|
- अपने सामने एक सूखा नारियल , एक कपूर की डली , 11 लौंग, 11 इलायची, 1 डली लोबान या धुप रखें |
- सरसों के तेल का दीपक जलाएं |
- हाथ में नारियल लेकर अपनी मनोकामना बोलें | नारियल सामने रखें |
- दक्षिण दिशा कीओर देखकर इस मन्त्र का 108 बार जाप करें |
- अगले दिन जल प्रवाह करें ।
काल भैरव अष्टकम
काल भैरव अष्टकम
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
विधि :-
भैरवष्टमी,अमावस्या या नवरात्रि मे 108 पाठ करें ।
यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।
विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे इसे किया जा सकता है ।
काल भैरव साधना
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.