और फ़िर.......
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
विशेष सिद्ध तन्त्रोक्त शरभेश्वर कवच : सर्व विध रक्षा हेतु
आज का समय संभवतः मानव इतिहास के सबसे कठिन दौर मे से एक है ।
पिछले कुछ सालों से लगातार युद्ध चल रहे हैं । एक भयंकर महामारी से हम बड़ी मुश्किल से बाहर निकल पाये । अभी यह कठिन समय कुछ साल और रहेगा जिसमे शायद बहुत कुछ देखना पड़ेगा ......
भगवान शरभेश्वर देवाधिदेव महादेव का सबसे प्रचंड और उग्र स्वरूप माना गया है ।
कथा है कि जब हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भगवान नरसिंह का आवेश अत्यधिक बढ़ गया था, और वे अनियंत्रित होकर पूरी सृष्टि का संहार कर डालेंगे, ऐसा प्रतीत हो रहा था,
तब.....
भगवान शरभेश्वर का स्वरूप धारण करके उन्हें देवाधिदेव ने नियंत्रित किया था । इसी प्रकार जीवन में आने वाली जटिल से जटिल समस्याओं में भी शरभेश्वर साधना के द्वारा कोई ना कोई हल अवश्य निकल जाता है ।
शरभेश्वर साधना करना थोड़ा कठिन है, जो कि सामान्य गृहस्थ के लिए संभव नहीं हो पता है । ऐसी स्थिति में वह चाहे तो तांत्रिक शरभेश्वर कवच धारण करके इसका लाभ प्राप्त कर सकता है ।
यह कवच विशेष प्रभाव कारी है अगर :-
आप कोई ऐसा कार्य करते हैं जिसमे हमेशा रिस्क रहता हो जैसे फ़ौज/पुलिस/फायर ब्रिगेड/लॉन्ग ट्रिप ड्राइवर आदि ....
घर में काली छाया दिखती हो .
सफाई रखने के बावजूद घर में अजीब सी बदबू का झोंका आता हो .
परिवार के सदस्यों की असामान्य अकाल मृत्यु होती हो या हमेशा कोई न कोई बेवजह बीमार पड़ता रहता हो .
बार बार मरणतुल्य कष्ट या दुर्घटनाओं से दो चार होना पड़ता हो .
अच्छे खासे चलते हुए व्यापार में एक झटके में ग्राहकों का आना एकदम बंद हो गया हो .
अपना मकान बनाना शुरू कर चुके हों, हाथ में पैसे भी हों, लेकिन मकान किसी न किसी कारण से नहीं बन पा रहा हो .
शिष्य को एक पूर्ण आध्यात्मिक और पूर्ण भौतिक जीवन देने की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी सद्गुरु के कंधों पर होती है। गुरु वही जो भविष्य देख सके। गुरुजी और गुरु मां की पैनी नजर हम शिष्यों पर हमेशा रहती ही है चाहे हम अपने भौतिक जीवन का भी कोई कार्य कर रहे हो इसे हजारों साधकों ने अनुभूत भी किया है। गुरुदेव ने शायद बहुत कुछ दूर का देखते हुए रात्रि काल के विशेष शिव पलो में अतिविशिष्ठ तन्त्रोक्त शरभेश्वर कवच तैयार किए हैं जो की आने वाले समय में साधक व शिष्यगण के जीवन के हर क्षेत्र में बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होंगे ।।
कवच प्राप्त करने के लिए संपर्क करें
मुकेश निखिलधाम (भोपाल) 9926670726
कवचों की संख्या गुरुदेव द्वारा बहुत ही सीमित रखी गई है
कवच के साथ-साथ गुरुदेव हमें विशेष मंत्र भी प्रदान करेंगे ।
अतः जो भी लाभ प्राप्त करना चाहता है शीघ्र अति शीघ्र संपर्क करें।।
धूमावती साधना : तंत्र बाधाओं की प्रचंड काट
अप्सरा एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारे सामने एक ऐसी स्त्री की परिकल्पना साकार हो जाती है जो अत्यंत ही सुंदर और मादक है !
हमारी प्राचीन कथाओं में भी हम विभिन्न ऋषियों की तपस्या को भंग करने के लिए अप्सराओं के भेजे जाने का विवरण सुनते आए हैं जो अपने आप में सौंदर्य की प्रतिकृति हुआ करती थी और साक्षात कामदेव का पुष्प बाण होती थीं जो अचूक होता था ।
ऋषि मुनि तक इस वार के सामने विवश दिखते थे.....
वास्तव में अप्सरा, यक्षिणी, किन्नरी आदि योनियाँ इस जगत मे मानव योनि के अलावा जो चौरासी लाख योनियाँ कही जाती हैं उनमे मौजूद हैं ।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि
"पिंडे ब्रह्मांडम"
अर्थात यह पिंड यानि मानव शरीर अपने आप में इस संपूर्ण ब्रह्मांड की प्रतिकृति है । इसके अंदर असीमित संभावनाएं मौजूद है ।
हम ब्रह्मांड की अनेक अनेक शक्तियों या तत्वों को को अपने शरीर के माध्यम से जागृत कर सकते हैं !
अप्सरा तत्व भी हमारे शरीर में मौजूद है ! ठीक उसी प्रकार जैसे इस ब्रह्मांड के अनेक शक्ति तत्व हमारे अंदर मौजूद है ।
अप्सरा की जब साधना की जाती है तो हमारे शरीर में स्थित अप्सरा तत्व जागृत होने लगता है ....
आमतौर पर अप्सरा साधक को ऐसा लगता है कि वह अप्सरा साधना करके एक ऐसी सुंदर स्त्री को शारीरिक सुख प्राप्त करने के लिए प्राप्त कर सकता है जो इसकी इच्छा अनुसार उसे भोग प्रदान करेगी....
यह भी संभव है !
लेकिन.....
वर्तमान समय और अवस्था में जो साधक साधनाएं करते हैं, उनकी साधना में इतनी प्रबलता इतनी प्रचंडता नहीं होती, इतना पौरुष नहीं होता कि अप्सरा को वे इस प्रकार से प्राप्त कर सके !
ऐसे साधक बहुत कम है जो 8-10 साल अप्सरा साधना में लगातार लग रह सकें ....
अगर कोई ऐसा करता है तो आज भी ऐसी स्थिति को प्राप्त करना असंभव नहीं है ।
अप्सरा उसे राजा बना देती है !
धनवान और पौरुषवान !
क्योंकि….
महालक्ष्मी के मण्डल मे प्रवेश का रास्ता भी अप्सरा साधना से ही निकलता है .....
अप्सरा साधना का फल अनेक प्रकार से मिलता है ! जो कि सामान्यतः साधक समझ नहीं पाते हैं इसलिए कुछ स्थितियाँ स्पष्ट कर रहा हूँ ....
अगर आपने अप्सरा साधना की है और आप पुरुष है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपकी पत्नी या आपकी प्रेमिका के अंदर उसकी शक्तियों का कुछ अंश प्रवाहित होने लगेगा !
उसका व्यवहार या उसकी चपलता, चंचलता,मादकता पहले की तुलना में अलग हो जाएगी । वह आपको प्रसन्न करने के लिए अनेक प्रयास करती लगेगी । अगर वह इस प्रकार से व्यवहार करती हैं तो उन साधकों को समझ लेना चाहिए कि उनकी अप्सरा साधना फलीभूत हुई है.....
हाँ ! साधक के चेहरे मे भी और उसके व्यक्तित्व मे भी एक अलग सा आकर्षण आ जाता है ! चाहे वह गोरा हो या काला ! सुंदर हो या न हो ! उसके व्यक्तित्व मे एक अलग सा प्रभाव अप्सरा तत्व पैदा कर ही देता है ...
इसी प्रकार से जो स्त्री साधिकाऐं अप्सरा साधना करती हैं, उनके चेहरे पर और उनके सम्पूर्ण शरीर में एक अलग ही प्रकार का निखार दिखने लगता है । ऐसा निखार जो लोगों को पलटकर देखने के लिए मजबूर कर देता है !
अप्सराएँ अपने साधक को उचित अनुचित का मार्गदर्शन भी संकेतों से प्रदान करती हैं । इससे साधक या साधिका को एक ऐसा मार्गदर्शक मिल जाता है जो उनके हित मे उनके लाभ मे सहायक बन जाता है ...
अप्सरा साधना उन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए जो
मानसिक तनाव मे रहते हैं !
वैवाहिक सुख से वंचित हैं !
किसी का प्रेम पाना चाहते हैं !
पति पत्नी मे संबंध सुधारना चाहते हैं !
आर्थिक न्यूनता है !
व्यापार या व्यवसाय नहीं चल रहा है !
और सबसे महत्वपूर्ण अप्सरा को सहयोगी, सखी, मार्गदर्शक के रूप मे पाना चाहते हैं !
अब सौ टके का सवाल यह कि अप्सरा साधना कैसे करें ?
इसका पहला स्टेप है
"अप्सरा दीक्षा"
अब यह कहाँ से मिलेगी ?
अप्सरा दीक्षा वही गुरु दे सकता है:-
जिसके गुरु को अप्सरा सिद्ध हो !
जिसने उस अप्सरा सिद्ध गुरु से स्वयं अप्सरा दीक्षा प्राप्त की हो !
जिसने स्वयं अप्सरा साधना सम्पन्न की हो ! उसका साक्षात्कार किया हो !
जो स्वयं एक प्रचंड साधक हो .....
इस कसौटी पर खरा उतरने वाले गुरु नहीं के बराबर हैं !
सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी अप्सरा के सिद्ध साधक थे, वे ही थे जिन्होने अप्सरा साधना को जन सामान्य के लिए अपनी पत्रिका " मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञान" के माध्यम से स्पष्ट किया । उसी के माध्यम से मुझे भी इस विषय की जानकारी हुई !
उनकी प्रिय शिष्या हैं गुरुमाता डा साधना सिंह !
उन्होने सद्गुरुदेव से अप्सरा दीक्षा प्राप्त की है !
उन्होने स्वयं अप्सरा साधना सिद्ध की है !
उन्होने अप्सरा के विषय मे अपनी पत्रिका " साधना सिद्धि विज्ञान" मे विस्तृत विवेचन किया है ।
प्रचंड साधिका तो वे हैं ही !
पिछले पच्चीस वर्षों से उन्होंने अनेक अनुष्ठान स्वयं सम्पन्न किए हैं और अपने हजारों लाखों शिष्यों को सम्पन्न करवाए हैं ।
सबसे बड़ी बात वे स्त्री गुरु हैं !
तंत्र साधनाओं के क्षेत्र मे स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं !
स्त्री गुरु से प्राप्त साधनाएं बहुत जल्दी फलीभूत होती हैं, क्योंकि वे मातृ स्वरूप होती हैं और उनमे शक्तियों का संचरण सहज सम्पन्न होता रहता है ।
आप चाहें तो उनसे अगले महीने यानि जून की चार तारीख को भोपाल मध्यप्रदेश जाकर या फिर अपनी फोटो भेजकर यह दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।
विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें :-
साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय
0755 4269368
इसके अलावा आप देख सकते हैं अप्सरा तत्व की विस्तृत व्याख्या गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी के इस वीडियो मे :-