31 दिसंबर 2011

नव वर्ष पर : विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र










विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र




नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥

चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥

ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥

दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥

ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥

शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥

इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर  सर्व विध शांति हो.

12 दिसंबर 2011

साधना सिद्धि विज्ञान - दिसंबर २०११


दिसंबर माह की पत्रिका एक अभूतपूर्व अंक है.


यह गायत्री अनुसंधान अंक है.


ब्रह्मांड में उपलब्ध लगभग सभी गायत्री मंत्रों का इसमें संकलन है.

इस अंक में पहली बार १००० से ज्यादा गायत्री मंत्रों का गुरुजी ने एक ही जगह संकलन कर एक प्रचंड पूजन विधि साधकों के लिये प्रकाशित की है.


यह अंक अद्भुत है और इस पूजन से सर्वकार्य सिद्धि होगी.

षट्कर्मों से लेकर मोक्ष तक सब कुछ इससे संभव है......











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समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये 
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वार्षिक सदस्यता शुल्क = २२० रुपये मनीआर्डर द्वारा भेजें..

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10 दिसंबर 2011

पूर्ण चंद्रग्रहण पर विशेष साधना


  • १० दिसम्बर ता. शनिवार के दिन पूर्ण चंद्रग्रहण है ..

  • उसी दिन श्री दत्तात्रेय जयंती भी होने के कारण इस ग्रहण काल पर्व का महत्त्व और भी बढ़ता है ..

  • ग्रहण काल का पर्व काल शाम ६.१५ से रात ९.४५ तक लगबग साडे तीन घंटे का है .. 

  • सभी साधक इस का लाभ उठाये

  • गुरु/दत्तात्रेय/ लक्ष्मी/षोडशी/भुवनेश्वरी/अप्सरा/सम्मोहन/वशीकरण/शांति  साधना का सिद्ध मुहुर्त है

7 दिसंबर 2011

चन्द्र ग्रहण : क्या साधना करें




चंद्र ग्रहण १०-१२-२०११ दिन शनिवार


  • चन्द्र ग्रहण में गुरु साधना करनी चाहिये.
  • अप्सरा साधना, लक्ष्मी साधना के लिये यह सबसे श्रेष्ठ मुहुर्त होता है.
  • सम्मोहन/वशीकरण साधना के लिये यह उपयुक्त समय होता है.

ग्रहण काल में किये गये मंत्र जाप का १००० गुना फ़ल मिलता है.



2 दिसंबर 2011

गुरु सूत्रम - ५




  • गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
  • गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
  • वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
  • बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
  • गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
  • गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
  • शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.

1 दिसंबर 2011

साधक : जिज्ञासा

प्रश्न :- प्रणाम मुजे संपूर्ण सम्मोहन दिक्ष लेनी हे कृपया मुजे कहे की में क्या करू में राजकोट /गुजरात के एक छोटे से गाव का हू कृपया मुजे मर्ग्दाश्ना दे एवम कृपा करके ऐ कहे की क्या में ऐ हर एशी साधना हे जिश में अलग अलग दिक्ष का विवरण किया हे क्या वो सब में यहाँ पे ले सकता हू में वहापर ना आजस्कने के कारन विवश हू इश लिए मुजे कहे की क्या मुजे वो सद् दिक्ष ऐ फोटो के जरिये संपूर्ण सक्तीपात दीक्षा लेसकता हू मुजे मर्दाश्ना दे और साधना में लगाने वाली सामग्री कहा से मिलेगी ऐ भाई कहे जय गुरुदेव

उत्तर :- 
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29 नवंबर 2011

श्री साधना गायत्री मंत्रम





॥ ॐ साधनायै विद्महे निखिलपुत्र्यै धीमहि तन्नो सद्गुरु प्रचोदयात ॥



  • अत्यंत मधुरता से , शिशु भाव से जाप करें.
  • गुरु कृपा होगी......

28 नवंबर 2011

श्री सुदर्शननाथ गायत्री मंत्रम




॥ ॐ सुदर्शननाथाय विद्महे निखिल तत्वाय धीमहि तन्नो सद्गुरु प्रचोदयात ॥


  • अत्यंत मधुरता से जाप करें.
  • गुरु कृपा होगी.....

22 नवंबर 2011

गुरु सूत्रम -४




  • गुरु के साथ छ्ल ना करें.
  • गुरु आपकी हर बात जानने में समर्थ होता है , उसके साथ झूठ बोलने से, छ्ल करने से फ़िर भयानक अधोगति भोगनी पडती है.
  • कैसी भी गलती की हो गुरु के सामने स्वीकार करके चरण पकड के माफ़ी मांग लेनी चाहिये.
  • ऐसा भी हो सकता है कि आपको बेवजह डांट पड जाये, अपमानित होना पडे, ये सब गुरु का परीक्षण होता है, इसे सहज होकर स्वीकार करें, गुरु कृपा अवश्य होगी. 


21 नवंबर 2011

निखिलधाम






परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













18 नवंबर 2011

काल भैरव साधना



  1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है.
  2. सभी प्रकार के पूजन/हवन/प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है.
  3. ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था.
  4. इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है.
  5. नीचे लिखे मन्त्र की १०८ माला  रात्रि को करें.
  6. काले रंग का वस्त्र तथा आसन रहेगा.
  7. दिशा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें
  8. इस साधना से भय का विनाश होता है तथा साह्स का संचार होता है.
  9. यह तन्त्र बाधा, भूत बाधा,तथा दुर्घटना से रक्षा प्रदायक है.



॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

17 नवंबर 2011

गुरु सूत्रम -२






श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के  लक्षण :-


श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को अपने गुरु का एक अच्छा शिष्य होना चाहिये. अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को साधक होना चाहिये. उसे निरंतर साधना करते रहना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को कम से कम एक महाविद्या सिद्ध होनी चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को वाक सिद्धि होनी चाहिये अर्थात उसे आशिर्वाद और श्राप दोनों देने में सक्षम होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को पूजन करना और कराना आना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को योग और मुद्राओं का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को रस सिद्धि होनी चाहिये, अर्थात पारद के संस्कारों का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को मन्त्र निर्माण की कला आती है. वह आवश्यकतानुसार मंत्रों का निर्माण कर सकता है और पुराने मंत्रों मे आवश्यकतानुसार संशोधन करने में समर्थ होता है.


16 नवंबर 2011

15 नवंबर 2011

गुर सूत्रम - १





  • गुरु मंत्र का कम से कम १,२५,००० जाप करने के बाद ही अन्य साधनाओं में प्रवृत्त हों
  • गुरु, इष्ट और मंत्र को एक ही मानें.
  • गुरु कृपा से ही साधनाओं में सफ़लता मिलती है.