3 जुलाई 2012

निखिल पंचकम







आदोवदानं परमं सदेहं, प्राण प्रमेयं पर संप्रभूतम ।
पुरुषोत्तमां पूर्णमदैव रुपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ १॥


अहिर्गोत रूपं सिद्धाश्रमोयं, पूर्णस्वरूपं चैतन्य रूपं ।
दीर्घोवतां पूर्ण मदैव नित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ २॥


ब्रह्माण्ड्मेवं ज्ञानोर्णवापं,सिद्धाश्रमोयं सवितं सदेयं ।
अजन्मं प्रवां पूर्ण मदैव चित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ३॥


गुरुर्वै त्वमेवं प्राण त्वमेवं, आत्म त्वमेवं श्रेष्ठ त्वमेवं ।
आविर्भ्य पूर्ण मदैव रूपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ४॥


प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं परेशां,प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं विवेशां ।
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं सुरेशां, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ५॥




निखिल निर्वाण दिवस : ३ जुलाई : अश्रुपूरित श्रद्धांजलि


-:निखिलम शरणम :-


डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी)

    तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र के सिद्धहस्त आचार्य, ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, कर्मकांड के पुरोधा, प्राच्य विद्याओं के विश्वविख्यात पुनरुद्धारक,अनगिनत ग्रन्थों के रचयिता तथा पूरे विश्व में फ़ैले हुए करोडों शिष्यों को साधना पथ पर उंगली पकडकर चलाने वाले मेरे परम आदरणीय गुरुवर.....
जिनके लिये सिर्फ़ यही कहा जा सकता है कि....







२ जुन १९९२ 



जब मैने परम पुज्य गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी [परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ] से दीक्षा ली तब से आज तक मै गुरु कृपा से साधना के मार्ग पर गतिशील हूं.


अक्टूबर - १९९३

जब गुरुदेव भिलाई की धरती पर पधारे.....



.....


.....


.....

जब जब मेरे कदम लडखडाये गुरुवर की कृपा सदैव मुझपर बनी रही.जो मेरे जीवन का आधार है.

३ जुलाई १९९८

एक अपूरणीय क्षति का दिन जब मेरे गुरुवर ने अपनी भौतिक देह का त्याग किया .एक ममता भरा वात्सल्यमय साथ जो नही रहा.........



 

और फ़िर.......

गुरु देह की सीमा से परे होते हैं यह एह्सास गुरुवर ने करा दिया और फिर यह बालक निश्चिंत होकर निकल पडा खेल के मैदान में........



ब्रह्माण्डमय निखिलेश्वरानंद साधना



परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.

निखिल महात्म्य : गुरूदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी : ग्रन्थ



Books written by 




Dr. Narayan Dutta Shrimali Ji

[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ]





























  • Practical Palmistry
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  • Mein Baahen Feilaaye Khada Hoon
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      2 जुलाई 2012

      तंत्र साधना कैसे करें

      साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


      गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

      बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

      एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


      भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





       कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

      अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





      महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

      महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





      वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

       महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





      स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






      तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

      गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

      स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





      मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]


      तथा उनके बाद  
      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 
       और 

       गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

      के सानिध्य में किया है और......


      यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें







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      सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का  विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क  मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.


      नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

      1 जुलाई 2012

      शिव पूजन मे जल तथा दूध से अभिषेक की विधि






      पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम



      पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-

      यदि खुद कर रहे हैं तो:-

      ॥ ॐ जूं सः  मां  पालय पालय सः जूं ॐ॥

      यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
      ॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥

      • यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
      • यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
      • रुद्राक्ष माला धारण करें.
      • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
      • बेल पत्र चढायें.
      • भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.

      27 जून 2012

      कामकला काली माहात्म्य






      राज्यं दद्याद्ध्नं दद्यात स्त्रियं दद्याच्छिरस्तथा ।

      न तु कामकलाकालीं दद्यात्कस्मापि क्वचित ॥






      महाकाल और महाकाली तंत्र के अधिष्टाता हैं . महाकाल और महाकाली का सबसे तेजस्वी और अद्भुत स्वरुप है कामकला काली . तंत्र साधना में इस साधना को सर्वस्व प्रदायक साधना कहा गया है इस साधना से परे कोई साधना नहीं है सभी साधनाएं इसी साधना में समाहित हैं.






      साधनाओं के क्षेत्र में कामकला काली की साधना को सर्वोपरि माना जाता है, इसके लिये कहा गया है कि प्राण का दान देकर भी यह विद्या मिल जाये तो इसे सप्रयास ग्रहण करना चाहिये ।
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      21 जून 2012

      बच्चों के लिए : विद्या बुद्धि वर्धक प्रयोग



      यह सरस्वती प्रयोग है .

      1. मेरे वरिष्ट गुरु भाई स्वामी अदित्यानंद जी के द्वारा मुझे यह प्रयोग प्राप्त हुआ है.
      2. आप यह प्रयोग निम्नलिखित दिनों में कर सकते हैं :-

      • जगन्नाथ रथ यात्रा [ अषाढ़ शुक्ल २ ]
      • गुरुपूर्णिमा, 
      • बसंत पंचमी,
      • रामनवमी,
      • विजयादशमी,
      • शिवरात्रि , 
      • कालरात्री, 
      • और नवरात्रि की पंचमी 


      सर्वप्रथम ब्रह्मा मुहूर्त ४-६ बजे उठ जाएँ . केसर के ५-१० धागे पानी में भिगा दें.

      एक माला गुरु मन्त्र क जाप करें

      ॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

      अब निम्नलिखित मन्त्र का आधे घंटे तक जाप करें :-

      ॥ ऎं ऎं ऎं सरस्वत्यै ऎं ऎं ऎं नमः

      इसके बाद भीगे हुए केसर में तर्जनी उंगली डुबाकर बच्चे की जीभ पर

        ऎं  

      लिखें. यह देवी सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे लिखते समय देवी से प्रार्थना करें की वह बच्चे पर कृपा करे तथा उसके कंठ पर विराजमान होकर उसे बुद्धिशाली बनाए.