भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर
भक्त प्रह्लाद ने जब रक्षा के लिए भगवान विष्णु की अभ्यर्थना की तब वे नरसिंह के स्वरूप में प्रकट हुए थे । उनका आधा शरीर सिंह का था और आधा शरीर मनुष्य का था । उनके उसे विकराल स्वरूप को देखकर पूरी सृष्टि दहल गई थी । हिरण्यकश्प का वध कर देने के बाद भी भगवान नरसिंह की उग्रता शांत नहीं हो पा रही थी । उनके क्रोध और उनके जाज्वल्यमान रूप को देखकर सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच रहा था !
जैसा की समान्यतः होता है जब कोई स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो एक ही देवता याद आते हैं .....
और वह है देवाधिदेव महादेव !
सभी देवताओं ने भगवान महादेव की शरण ली और उनसे इस संकट से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना की । उन्होंने तुरंत ही एक अत्यंत प्रचंड और विकराल स्वरूप धारण किया । जिसे उनका शरभेश्वर स्वरूप कहा गया है ।
इस रूप में उनका मुख मंडल गरुड़ पक्षी की तरह है । देह सिंह की तरह और उनके दो पंख भी लगे हुए हैं ।
उनका यह स्वरूप इतना विकराल था कि जब वे भगवान नरसिंह के सामने प्रकट हुए तो स्वयं आवेशित नरसिंह हतप्रभ रह गए । उसके बाद भगवान शरभेश्वर ने नरसिंह स्वरूप को अपने पंजों में दबोचा और ब्रह्मांड का चक्कर लगा दिया । इस प्रकार चक्कर लगा लेने से भगवान नरसिंह की उग्रता शांत होकर नियंत्रित हो गई...
इस प्रकरण के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं या यूं कहा जाए कि इसका उल्लेख कम किया जाता है ....
भगवान शरभेश्वर एक अत्यंत गुप्त और तांत्रिक देवता है । उनकी आराधना, उनकी साधना करने वाले लोग नहीं के बराबर है ।
अगर आपके घर मे भगवान शरभ का कवच है, विग्रह है और आप नित्य उनका मंत्र जाप करते हैं तो वह आपके पूरे घर और परिवार को कवचित रखता है ।
यह साधना आपको अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा प्रदान करने मे समर्थ है !
विभिन्न प्रकार की रोग बाधाओं और तंत्र बाधाओं को यह समाप्त कर देती है ।
आपके आभामंडल को यह प्रबल बनाती है, जिससे लोग आपसे प्रभावित होने लगते हैं, या यूं कह लीजिये आपके अनुकूल होने लगेंगे ।
सेना, पुलिस जैसे जान जोखिम वाले कार्य करने वालों के लिए यह साधना अद्भुत रक्षाकारक परिणाम देती है ।
इसके अलावा भगवान शरभेश्वर की साधना उन लोगों को अवश्य करनी चाहिए जो किसी भी तरह से लोगों के कष्ट निवारण के लिए तंत्र साधना या प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं, दूसरों का कल्याण करना चाहते हैं, भूत प्रेत बाधा से मुक्त करवाना चाहते हैं, उन सभी के लिए यह साधना सर्वश्रेष्ठ साधना है ।
एक तांत्रिक के रूप मे इस साधना को सिद्ध कर लेने के बाद इस ब्रह्मांड की शायद ही कोई शक्ति हो जिसे आप नियंत्रित न कर सकें......
यहां तक कि आपके स्पर्श मात्र से भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति सामान्य हो जाए, इतनी क्षमता यह दिव्य साधना आपको प्रदान कर सकती है ।
मंत्र तो आपको किताब से मिल जाएँगे । लेकिन इस साधना में दिक्कत यह है कि इस साधना के गोपनीय सूत्रों को प्रदान करने की क्षमता केवल उसी साधक या गुरु में होती है जिसने स्वयं भगवान शरभेश्वर की साधना सम्पन्न की हो..... और उनके आशीर्वाद को प्राप्त किया हो ।
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी एक ऐसे ही प्रचंड साधक हैं, जिन्होंने न सिर्फ उनकी साधना सम्पन्न की है, बल्कि उनके अति दुर्लभ विग्रह को निखिलधाम, भोपाल मे स्थापित भी किया है । भगवान शरभ का मंदिर स्थापित करना एक अत्यंत जटिल तांत्रिक क्रिया है । इसीलिए पूरे भारत मे आपको गिनती के शरभ मंदिर मिलेंगे । निखिलधाम का शरभेश्वर मंदिर इतना प्रचंड है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.....
इसका अनुभव आप तभी कर सकते हैं जब निशाकाल मे गुरुदेव के सानिध्य मे आप वहाँ उपस्थित हो सकें ।
आज से लगभग आठ साल पहले मैंने गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से यह दीक्षा प्राप्त की थी और मुझे ऐसे ऐसे अनुभव हुए, जो अद्भुत थे .... यह एक प्रकार से साधक के अंदर शिवत्व जागृत करने की साधना है ......
जिसके बाद वह उद्घोष कर उठता है.....
शिवो S हम......
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी इस नव वर्ष के अवसर पर इस अद्भुत साधना और दीक्षा को प्रदान करने का मानस आठ साल के बाद फिर से बना रहे हैं । उन्होंने इसके लिए इस बार 31 दिसंबर और 1 जनवरी को निखिलधाम, भोजपुर, भोपाल मध्यप्रदेश ( संपर्क फोन
07554269368 ) में
नववर्ष साधना शिविर आयोजित किया हुआ है । उसमे भाग लेकर आप इस अभूतपूर्व साधना को प्राप्त कर सकते हैं ....
यहां पर मैं आपको यह बताना जरूरी समझूंगा कि आज से लगभग 7-8 साल पहले उन्होंने एक बार यह दीक्षा और प्रयोग संपन्न करवाया था । उसके बाद एक लंबे अंतराल के बाद वे पुनः इस प्रयोग को संपन्न करवा रहे हैं । जो साधक इसका लाभ उठाना चाहते हैं वे इस अवसर का लाभ उठा लें.... क्योंकि हो सकता है कि इसकी दीक्षा और प्रयोग का अगला अवसर फिर से 8-10 साल के बाद ही आए.....
भगवान शरभेश्वर दीक्षा आपको सभी प्रकार से कवचित कर देती है ! क्योंकि जो नरसिंह जैसे उग्रतम देवता को दबोच ले उससे बड़ा कवच क्या हो सकता है ।
सर्वेश्वर दीक्षा प्राप्त व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार का तंत्र प्रयोग असर नहीं करता । यदि आप नित्य एक माला उनके मंत्र का जाप करते रहते हैं तो आपके आसपास एक ऐसा रक्षा कवच बन जाता है, जिसको तोड़कर आपको नुकसान पहुंचाने की क्षमता किसी भी इतर योनि में या किसी भी शक्ति में नहीं होती.....
क्योंकि.....
भगवान शरभेश्वर के नाम से ही बाकी सारे देवी देवता थरथर काँपते हैं, क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रचंड और सबसे उग्र रूप है .....
आप भी जानते हैं कि जब देवाधिदेव महादेव अपने प्रचंड संहारक रूप में आ जाते हैं तो उसके बाद सृष्टि में प्रलय प्रारंभ हो जाता है..... और उनके सामने कोई खड़ा ही नहीं हो सकता !
ऐसी अद्भुत साधना और दीक्षा को प्राप्त करने के लिए आप अगर इच्छुक हैं तो कोशिश करिए कि इस नव वर्ष के अवसर पर भोपाल पहुंचे और गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से इस दीक्षा को और इस प्रयोग को प्राप्त करें !
नित्य मंत्र जाप करें !!
साल दो साल के अंदर आपको ऐसे ऐसे अनुभव होंगे जिसके विषय में आपने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा होगा ।
बस आप इतना समझ लीजिए कि यह साधनाओं का सिरमौर है !
अद्भुत है !!
दुर्लभ है !!!
और.....
इसे प्राप्त करना जीवन का सौभाग्य है !