- यह साधना अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
- यह दिगंबर साधना है.
- एकांत कमरे में साधना होगी.
- स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
- भोजन कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
- यथा संभव मौन रहना है.
- क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
- गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
- स्नान करने के बाद बिना शरीर पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
- अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
- जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
- माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
- जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
- आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.बहुत जोर नहीं लगाना है आराम से सहज ध्यान लगाना है । ज्यादा जोर लगाएंगे तो सिर और आँखों मे दर्द हो सकता है ।
- जाप के बाद भूमि पर सोयें.
- उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
- यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
- साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
- गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
- जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
16 फ़रवरी 2025
अघोर शिव
15 फ़रवरी 2025
पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
11 फ़रवरी 2025
रुद्राक्ष : एक अद्भुत आध्यात्मिक फल
रुद्राक्ष : एक अद्भुत आध्यात्मिक फल
रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है रूद्र और अक्ष ।
रुद्र = शिव, अक्ष = आँख
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के आंखों से गिरे हुए आनंद के आंसुओं से रुद्राक्ष के फल की उत्पत्ति हुई थी ।
रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं ।
रुद्राक्ष साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण चीज है लगभग सभी साधनाओं में रुद्राक्ष की माला को स्वीकार किया जाता है एक तरह से आप इसे माला के मामले में ऑल इन वन कह सकते हैं
अगर आप तंत्र साधनाएं करते हैं या किसी की समस्या का समाधान करते हैं तो आपको रुद्राक्ष की माला अवश्य पहननी चाहिए ।
यह एक तरह की आध्यात्मिक बैटरी है जो आपके मंत्र जाप और साधना के द्वारा चार्ज होती रहती है और वह आपके इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बनाकर रखती है जो आपकी रक्षा तब भी करती है जब आप साधना से उठ जाते हैं और यह रक्षा मंडल आपके चारों तरफ दिनभर बना रहता है ।
पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुलभ और सस्ते होते हैं । जैसे जैसे मुख की संख्या कम होती जाती है उसकी कीमत बढ़ती जाती है । एक मुखी रुद्राक्ष सबसे दुर्लभ और सबसे महंगे रुद्राक्ष है । इसी प्रकार से पांच मुखी रुद्राक्ष के ऊपर मुख वाले रुद्राक्ष की मुख की संख्या के हिसाब से उसकी कीमत बढ़ती जाती है । 21 मुखी रुद्राक्ष भी बेहद दुर्लभ और महंगे होते हैं ।
पांच मुखी रुद्राक्ष सामान्यतः हर जगह उपलब्ध हो जाता है और आम आदमी उसे खरीद भी सकता है पहन भी सकता है । पाँच मुखी रुद्राक्ष के अंदर भी आध्यात्मिक शक्तियों को समाहित करने के गुण होते हैं ।
गृहस्थ व्यक्ति , पुरुष या स्त्री , पांच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण कर सकते हैं और अगर एक दाना धारण करना चाहे तो भी धारण कर सकते हैं ।
रुद्राक्ष की माला से बीपी में भी अनुकूलता प्राप्त होती है
रुद्राक्ष पहनने के मामले में सबसे ज्यादा लोग नियमों की चिंता करते हैं ।
मुझे ऐसा लगता है कि जैसे भगवान शिव किसी नियम किसी सीमा के अधीन नहीं है, उसी प्रकार से उनका अंश रुद्राक्ष भी परा स्वतंत्र हैं । उनके लिए किसी प्रकार के नियमों की सीमा का बांधा जाना उचित नहीं है
रुद्राक्ष हर किसी को सूट नहीं करता यह भी एक सच्चाई है और इसका पता आपको रुद्राक्ष की माला पहनने के महीने भर के अंदर चल जाएगा । अगर रुद्राक्ष आपको स्वीकार करता है तो वह आपको अनुकूलता देगा ।
आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा आपको अपने शरीर में ज्यादा चेतना में महसूस होगी......
आप जो भी काम करने जाएंगे उसमें आपको अनुकूलता महसूस होगी ....
ऐसी स्थिति में आप रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं वह आपके लिए अनुकूल है !!!
इसके विपरीत स्थितियाँ होने से आप समझ जाइए कि आपको रुद्राक्ष की माला नहीं पहननी है ।
इसके बाद सबसे ज्यादा संशय की बात होती है कि रुद्राक्ष असली है या नहीं है । आज के युग में 100% शुद्धता की बात करना बेमानी है । ऑनलाइन में कई प्रकार के सर्टिफाइड रुद्राक्ष भी उपलब्ध है । उनमें से भी कई नकली हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में मेरे विचार से आप किसी प्रामाणिक गुरु से या आध्यात्मिक संस्थान से रुद्राक्ष प्राप्त करें तो ज्यादा बेहतर होगा ।
तमिलनाडु में कोयंबटूर नामक स्थान पर सद्गुरु के नाम से लोकप्रिय आध्यात्मिक संत जग्गी वासुदेव जी के द्वारा ईशा फाउंडेशन नामक एक संस्था की स्थापना की गई है । जो आदियोगी अर्थात भगवान शिव के गूढ़ रहस्यों को जन जन तक पहुंचाने के लिए निरंतर गतिशील है । उनके द्वारा एक अद्भुत और संभवतः विश्व के सबसे बड़े पारद शिवलिंग की स्थापना भी की गई है । यही नहीं एक विशालकाय आदियोगी भगवान शिव की प्रतिमा का भी निर्माण किया गया है , जिसके प्रारंभ के उत्सव में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी उपस्थित थे ।
ईशा फाउंडेशन के द्वारा कुछ विशेष अवसरों पर निशुल्क प्राण प्रतिष्ठित रुद्राक्ष भी उपलब्ध कराए जाते हैं जैसा कि शिवरात्रि के अवसर पर इस वर्ष किया गया था ।
इसके अलावा रुद्राक्ष की छोटे मनको वाली और बड़े मनको वाली माला जोकि सदगुरुदेव द्वारा प्राण प्रतिष्ठित होती है, वह आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं । ज्यादा जानकारी के लिए आप ईशा फाउंडेशन गूगल में सर्च करके देख सकते हैं ।
उनकी वेबसाइट का एड्रेस है .
31 जनवरी 2025
बच्चों मे बुद्धि और विद्या के विकास के लिए - सरस्वती कवच
बच्चों मे बुद्धि और विद्या के विकास के लिए - सरस्वती कवच
बसंत पंचमी के अवसर पर बच्चों के बुद्धि के विकास के लिए आप चाहें तो आपके बच्चे के नाम से अभिमंत्रित करके सरस्वती कवच भेजने की व्यवस्था हमारे प्रतिष्ठान " अष्टलक्ष्मी पूजा सामग्री" द्वारा की जा सकती है । इसे धारण करके या अपने पढ़ने के स्थान मे रखके नित्य पाँच मिनट सरस्वती मंत्र का जाप करें तो महामाया सरस्वती की कृपा से अनुकूलता मिलेगी और बालक मे बुद्धि और विद्या का विकास होगा ।
इसके लिए आप निम्नलिखित जानकारी भेज देंगे :-
बच्चे का नाम ।
जन्म तिथि, स्थान, समय, तथा गोत्र (यदि उपलब्ध हो ) ।
बच्चे की एक लेटेस्ट फोटो, जिसमे चेहरा दिखता हो ।
आपका पूरा पोस्टल एड्रेस, जिसमे कवच का पार्सल भेजा जाएगा , मोबाइल नंबर और पिन कोड़ भी अवश्य लिखें ।
कवच का शुल्क दो सौ एक रुपए [ 201 रुपये ] फोन पे से मेरे नंबर 7000630499 पर भेजकर उसका स्क्रीन शॉट भेज देंगे । यदि आप चाहें तो इस QR code का भी उपयोग कर सकते हैं ।
28 जनवरी 2025
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में मन लगने तथा बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग माघी नवरात्रि/ बसंत पंचमी के अवसर पर आप कर सकते हैं ।
इसके लिए सामग्री
1 केसर आधा ग्राम या चौथाई ग्राम जो भी मिल जाए ।
2 सरस्वती माता का चित्र ।
3 तेल का दीपक।
सबसे पहले माँ या पिता जो भी अपने बच्चे को प्रयोग कराना चाहते हैं वह स्नान करके शुद्ध होकर सामने देवी का चित्र और दीपक जलाकर रख लेंगे ।
दीपक की लौ आपकी तरफ रहेगी ।
अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करें ।
1 माला या 5 मिनट तक गुरु मंत्र
।।ॐ गुरुभ्यो नमः ।।
उसके बाद एक घंटा या 11 माला सरस्वती मंत्र का जाप करें । जाप करते समय मन मे भाव रखेंगे कि आपके बच्चे पर महामाया सरस्वती कृपा करें और उनकी बुद्धि का विकास करें । एक बच्चे के लिए करने के बाद दूसरे बच्चे के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया दुहरानि
।। ऐं ऐं ऐं सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः ।।
केसर के 5-6 धागे को आधा चम्मच पानी मे भिगो कर घोल लें ।
बच्चे की जीभ में अपनी तर्जनी उंगली से सरस्वती बीज मन्त्र लिखें ।
ऐं
उसके बाद बच्चे को 5 मिनट सरस्वती चित्र के सामने सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए कहें ।
नित्य एक माला या 5 मिनट मन्त्र जाप करते रहेंगे तो ज्यादा लाभ होगा ।
यदि बड़े बच्चे हों तो वे स्वयं पहले जाप कर लें तथा बाद में केसर से बीज मंत्र लिख लें ।
जीभ में लिख रहे हैं । वहां लिखाया या नही यह देखने नही जाएंगे । अंदाजे से जीभ पर ऐं लिखना है बस ।
जीभ को पकड़ कर खींचना नही है मुंह के अंदर ही तर्जनी से आराम से माताजी का ध्यान करते हुए मन्त्र लिखना है ।
विद्या तथा वाकपटुता के लिए : महासरस्वती साधना
वाग्वादिनि साधना : विद्यार्थियों के लिए लाभदायक
- प्रतिदिन 1008 बार जाप.
- बसंत पंचमी से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- सफ़ेद वस्त्र तथा आसन .
- पूर्व दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.
25 जनवरी 2025
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
14 जनवरी 2025
एकाक्षी नारियल
एकाक्षी नारियल
हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे । धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है । उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है ।
इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है ।
इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल ।
सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।
एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।
यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है । ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं ।
जैसे तिजोरी या लॉकर । इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है ।
लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है ।
कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ......
13 जनवरी 2025
भगवती लक्ष्मी का बीज मन्त्र
भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है...............
- भगवती लक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
- गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.
- न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
- अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
- विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
- रात्रि ९ से ५ के बीच 108 माला या यथा शक्ति जाप करें.
- क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।
12 जनवरी 2025
उच्चिष्ठ गणपति
यह भगवान श्री गणेश की अति विशिष्ट तांत्रिक स्वरूप की साधना है । इसे करने से सर्व अभीष्ट सिद्ध हो जाते हैं । इच्छुक साधक मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से उच्चिष्ठ गणपति दीक्षा प्राप्त करके इस साधना को संपन्न कर सकते हैं ।
उच्चिष्ठ गणपति मंत्र :-
- साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
- इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
- साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
विधि :-
- रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य है |
- जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
- गुरु से अनुमति ले लें|
- पान का बीड़ा चबाएं फिर मंत्र जाप करें |
- दिशा दक्षिण की और देखते हुए बैठें |
- आसन लाल/पीले रंग का रखें|
- जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
- यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
- कम से कम 21 दिन जाप करने से अनुकूलता मिलती है |
- जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
- किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें | यथा सम्भव सम्मान करें |
- जिस बालिका/युवती/स्त्री के बाल कमर से नीचे तक या उससे ज्यादा लम्बे हों उसे देखने पर मन ही मन मातृवत मानते हुए प्रणाम करें |
- सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
- ब्रह्मचर्य का पालन करें |
11 जनवरी 2025
गुरु श्रंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
[1933-1998]
10 जनवरी 2025
श्री गणपति माला मंत्र
श्री गणपति माला मंत्र
इस माला मंत्र मे 1008 से ज्यादा अक्षर हैं इसलिए इसका उपयोग वह साधक भी कर सकते हैं जो गुरु दीक्षा नहीं लिए है ।
ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं ऐं ग्लौं ॐ ह्रीं क्रौं गं ॐ ,
नमो भगवते महागणपतये स्मरणमात्रसंतुष्टाय सर्वविद्याप्रकाशकाय सर्वकामप्रदाय भवबंधविमोचनाय
ह्रीं सर्वभूतबंधनाय ।
क्रों साध्याकर्षणाय ।
क्लीं जगतत्रयवशीकरणाय ।
सौ: सर्वमनक्षोभणाय ।
श्रीं महासंपत्प्रदाय ।
ग्लौं भूमंडलाधिपत्यप्रदाय ।
महाज्ञानप्रदाय चिदानंदात्मने गौरीनंदनाय महायोगिने शिवप्रियाय सर्वानंदवर्धनाय सर्वविद्याप्रकाशनप्रदाय
द्रां चिरंजिविने ।
ब्लूं सम्मोहनाय ।
ॐ मोक्षप्रदाय ।
फट वशी कुरु कुरु ।
वौषडाकर्षणाय ।
हुं विद्वेषणाय विद्वेषय विद्वेषय ।
फट उच्चाटय उच्चाटय ।
ठ: ठ: स्तंभय स्तंभय ।
खें खें मारय मारय ।
शोषय शोषय ।
परमंत्रयंत्रतंत्राणि छेदय छेदय ।
दुष्टग्रहान निवारय निवारय ।
दु:खं हर हर ।
व्याधिं नाशय नाशय नम: ।
संपन्नय संपन्नय स्वाहा ॥
सर्वपल्लवस्वरुपाय महाविद्याय गं गणपतये स्वाहा ॥
यन्मंत्रे क्षितलांछिताभमनघं मृत्युश्च वज्राशिषो भूत प्रेत पिशाचका: प्रतिहता निर्घातपातादिव उत्पन्नं च समस्त दु:ख दुरितं उच्चाटनोत्पादकं वंदेsभीष्टगणाधिपं भयहरं विघ्नौघनाशं परम ॥
ॐ गं गणपतये नम: ।
ॐ नमो महागणपतये , महावीराय , दशभुजाय , मदनकाल विनाशन , मृत्युं हन हन , यम यम , मद मद , कालं संहर संहर , सर्व ग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मूढय मूढय , रुद्ररूप, त्रिभुवनेश्वर , सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा ॥
ॐ नमो गणपतये , श्वेतार्क गणपतये , श्वेतार्क मूल निवासाय , वासुदेव प्रियाय , दक्ष प्रजापति रक्षकाय , सूर्य वरदाय , कुमार गुरवे , ब्रह्मादि सुरावंदिताय , सर्प भूषणाय , शशांक शेखराय , सर्पमालालंकृत देहाय , धर्म ध्वजाय , धर्म वाहनाय , त्राहि त्राहि , देहि देहि , अवतर अवतर , गं गणपतये , वक्रतुंड गणपतये , वरवरद , सर्व पुरुष वशंकर , सर्व दुष्टमृग वशंकर , सर्वस्व वशंकर , वशी कुरु वशी कुरु , सर्व दोषान बंधय बंधय , सर्व व्याधीन निकृंतय निकृंतय , सर्व विषाणि संहर संहर , सर्व दारिद्र्यं मोचय मोचय , सर्व विघ्नान छिंदि छिंदि , सर्व वज्राणि स्फोटय स्फोटय , सर्व शत्रून उच्चाटय उच्चाटय , सर्वसिद्धिं कुरु कुरु , सर्व कार्याणि साधय साधय , गां गीं गूं गैं गौं गं गणपतये हुं फट स्वाहा ॥
ॐ नमो गणपते महावीर दशभुज मदनकालविनाशन मृत्युं हन हन , कालं संहर संहर , धम धम , मथ मथ , त्रैलोक्यं मोहय मोहय , ब्रह्म विष्णु रुद्रान मोहय मोहय , अचिंत्य बल पराक्रम , सर्व व्याधीन विनाशाय , सर्वग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मोटय मोटय , त्रिभुवनेश्वर सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा ॥
यह एक सिद्ध माला मंत्र है ।
आप इसे नित्य पूजन मे प्रयोग कर सकते है ।
किसी समस्या समाधान हेतु इसका 21, 51 या 108 पाठ कर सकते है ।
8 जनवरी 2025
कलौ चण्डी विनायकौ
- गणपति साधना का यह विवरण सामान्य गृहस्थों के लिए है। इसे किसी भी जाति, लिंग,आयु का व्यक्ति कर सकता है।
- मंत्र का जाप प्रतिदिन निश्चित संख्या या समय तक करना चाहिये ।
- माला की व्यवस्था हो सके तो माला से तथा अभाव में किसी भी गणनायोग्य वस्तु से गणना कर सकते हैं ।
- ऐसा न कर सकें तो एक समयावधि निश्चित समयावधि जैसे पांच, दस, पंद्रह मिनट, आधा या एक घंटा अपनी क्षमता के अनुसार निश्चित कर लें ।
- इस प्रकार १, ३, ७, ९, ११, १६, २१, ३३, या ५१ दिनों तक करें। यदि किसी दिन जाप न कर पायें तो साधना खण्डित मानी जायेगी । अगले दिन से पुनः प्रारंभ करना पडेगा। इसलिये दिनों की संख्या का चुनाव अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। महिलायें रजस्वला होने पर जाप छोडकर उस अवधि के बाद पुनः जाप कर सकती हैं। इस अवस्था में साधना खण्डित नही मानी जायेगी।
- यदि संभव हो तो प्रतिदिन निश्चित समय पर ही बैठने का प्रयास करें ।
- जप करते समय दीपक जलता रहना चाहिये ।
- साफ वस्त्र पहनकर स्नानादि करके जाप करें । पूर्व की ओर देखते हुए बैठें। सामने गणपति का चित्र, मूर्ति या यंत्र रखें।
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