एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का......
Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
ब्लॉग पर दिखाये गए विज्ञापन गूगल तथा थर्ड पार्टी द्वारा दिखाये जाते हैं । उनकी प्रमाणकिता, प्रासंगिकता तथा उपयोगिता पर स्वविवेक से निर्णय लें ।
नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशन, गीता प्रेस, चौखम्बा प्रकाशन, आदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।.
आवश्यक सामग्री :-
1. दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा .
2. घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )
3. कपूर आग जलाने के लिए .
4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,
5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।.
हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.
हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .
फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट , रेती रखें उसपर पात्र रखें.
कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें
· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।
· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |
· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |
· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।
· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।
इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. उसका पूजन करें.
लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .
नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें ।
"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"
अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.
सबसे पहले आप सभी को महामाया के नवरात्रि शक्ति पर्व की शुभकामनाएं
शक्ति पर्व साधनाओं के माध्यम से शक्ति अर्जित करने का पर्व है ।
इस अवसर पर साधनाएं और मंत्र जाप अवश्य करें ।.
इस विषय पर ब्लॉग पर बहुत सारी विधियाँ प्रकाशित हैं ।. आप उनमे से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं .
अगर आप काम की अधिकता , अस्वस्थता या स्थानाभाव के कारण पूजा स्थान मे बैठकर नहीं कर पा रहे हैं तो महाकाली के बीज मंत्र
"क्रीं "
( उचाचारण होगा क्रीम /kreem )
का चलते फिरते , उठते बैठते लेटते, सभी अवस्थाओं मे मानसिक जाप करके भी महामाया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर
क्या मैं नवरात्रि में देवी का मंत्र जाप कर सकता/सकती हूँ ?
हाँ ! अगर आपकी देवी पर आस्था और विश्वास है तो आप कर सकते हैं . स्त्री पुरुष दोनों मंत्र जाप कर सकते हैं . बच्चे अपने माता पिता की अनुमति और जानकारी में ही मंत्र जाप करें .
क्या मंत्र जाप के लिए गुरु आवश्यक है ?
हाँ ! मंत्र जाप से आपके शरीर में ऊर्जा बनती है उसे नियंत्रित करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती है . यह विशेष रूप से तब आवश्यक है जब आप सवा लाख या अधिक मंत्र जाप का अनुष्ठान कर रहे हों .
यदि आप एकाध माला रोज कर रहे हैं तो आप बिना गुरु के भी मंत्र जाप कर सकते हैं .
स्तोत्र पाठ और शतनाम सहस्रनाम का पाठ आप बिना गुरु के भी कर सकते हैं .
अगर जाप से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी या बेचैनी जैसा आभास हो तो समझ जाइएगा कि आपका शरीर उतनी ऊर्जा सहन नहीं कर पा रहा है , तब जप या पाठ की संख्या कम कर लेंगे . धीरे धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं .
मैं एक स्त्री हूँ मेरा मासिक नवरात्री के बीच में आ रहा है , क्या इससे मेरी साधना खंडित हो जाएगी ? मैं क्या करू?
विश्व विख्यात मंत्र तंत्र विशेषज्ञ पूज्यपाद गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा जो निर्देश हमें मिलते थे उसके अनुसार "अगर जाप शुरू करने के बाद मासिक आ जाए तो आप पूजा स्थान में बैठकर जाप करना रोक लें, मासिक पूरा हो जाने के बाद उसे कंटीन्यू कर सकते हैं ऐसे में साधना खंडित नहीं मानी जायेगी .
क्या मैं सुबह महाविद्या भुवनेश्वरी और रात में महाविद्या महाकाली साधना कर सकता/सकती हूँ ?
बहुत सारे मंत्र या पूजन करने की बजाय एक ही मंत्र या स्तोत्र को ज्यादा से ज्यादा बार करें । हर देवी या देवता सब कुछ देने मे समर्थ है., तभी तो वह देवता या देवी है ।
अगर जाप के दौरान कुछ गलती हो गयी तो क्या मातारानी मुझे सजा देगी और उससे मेरा नुकसान हो जाएगा ?
कोई नन्हा बच्चा अपनी माँ को बुलाने के लिए किसी भी शब्द या क्रिया का इस्तेमाल करे माता उसे समझ जाती है और उसकी आवश्यकता की पूर्ती कर देती है . जगदम्बा सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं . वे ममत्व और वात्सलय की अंतिम सीमा हैं . वे अपनी साधना करने वाले किसी साधक साधिका को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकती . इसलिए इस प्रकार के बेवजह के डर को अपने दिमाग से निकाल दीजिये . स्वयं को महामाया का नन्हा शिशु मानकर मन्त्र जाप करिये वे अवश्य सुनेंगी .
क्या मंत्र जाप करने से सम्बंधित देवी/देवता मेरे सामने प्रकट हो जायेंगे ?
सामान्य शब्दों में कहूँ तो यह वैसी ही बात है जैसे पैदल चलने वाला व्यक्ति चाँद पर पहुँचने की बात करे . चाँद पर पहुँचने के लिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना पड़ता है ! बेहद कठोर ट्रेनिंग होती है ! इसमें महीनों या सालों का समय लगता है . फिर एक अत्यंत उच्च तकनीक वाला रॉकेट होता है जिसमे बैठकर आप चाँद पर पहुँचते हैं ! विशेष स्पेस सूट पहनकर ही आप चाँद को स्पर्श कर सकते हैं ! उसपर चल सकते हैं !
ठीक वैसे ही साधना के रस्ते पर आपको कई वर्षों की कठोर साधना करनी होगी . उच्च कोटि के गुरु के सानिध्य में ट्रेनिंग लेनी होगी , अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाना होगा, अपने शरीर को जागृत करके उस लायक बनाना होगा तब देवी देवता का दर्शन संभव है .
हम सामान्य गृहस्थ हैं हम उतनी ज्यादा साधना नहीं करते परिणामतः उच्च स्तर की देवी ऊर्जा को सहन भी नहीं कर सकते हैं . इसलिए देवी शक्तियां हमें प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देतीं . वे स्वप्न में आभास देती हैं . कभी विचित्र गंध आपके पूजन कक्ष में आएगी . कभी घुंघरू जैसी ध्वनि सुनाई देगी . ऐसा होगा तो आपको समझना है कि कोई देवीय शक्ति आपसे प्रसंन्न होकर उपस्थित हुई है . ऐसे में उनको प्रणाम कर लेना चाहिये और उनसे कृपा का निवेदन करना चाहिए . इस प्रकार के आभास नवरात्री में विशेष रूप से होते हैं .....
मैं कैसे समझूँ कि मेरी साधना या मंत्र जाप सफल हुआ है ?
मंत्र जाप की सफलता के लक्षण :-
आपका मनोवांछित कार्य पूरा होगा या उसमे अनुकूलता मिलेगी .
आपको आतंरिक शांति का अनुभव होगा .
आपके अनावश्यक खर्चे कम होने लगेंगे .
आप और परिवार में अन्य सदस्य बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे .
पारिवारिक कलह जैसे पति/पत्नी के झगडे कम होने लगेंगे .
घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होगा .
मन्त्र जाप करते समय मुझे जम्हाई /नींद आती है ऐसा क्यों ?
हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियों और हमारे अपने आलस्य की वजह से मंत्र जाप शुरू करने पर कुछ समय तक सभी साधकों के साथ ऐसा होता है . जो धीरे धीरे कम होता जायेगा . अपने पास एक गिलास में पानी रखकर बीच बीच में उसके छींटे मारते रहें तो काफी लाभ मिलेगा .
एक दिन में या पंद्रह दिन में साधना सिद्ध हो सकती है क्या ?
ऐसा कुछ नहीं है . जैसे जैसे मंत्र जाप की संख्या बढ़ती जाती है आपका मंत्र जागृत और चैतन्य होने लगता है और धीरे धीरे कुछ सालों में आपको वह स्थिति प्राप्त होने लगती है जब आप उस मंत्र के माध्यम से अपने अभीष्ट कार्य संपंन्न कर सकते हैं .
दूसरों के कार्य करने के लिए मैं अपनी सिद्धियों का प्रयोग कैसे कर सकता हूँ ?
जब आप तीन से पांच लाख की संख्या में मंत्र जाप कर लेते हैं तो आप उस मंत्र की सहायता से स्वयं के या दूसरों के काम कर सकते हैं . इसके साथ साथ आपकी शक्तियां भी कम होंगी . सामान्य भाषा में आपको समझाऊं तो मंत्र जाप को आप मोबाइल के बैटरी चार्ज करने जैसा समझ लीजिये . सिंपल कालिंग होगा तो बैटरी ज्यादा लम्बे समय आपके काम आएगी . आप उसमे वीडियो चलाएंगे, बच्चे उसमे गेम खेलेंगे, दोस्त वीडियो कॉल करेगा तो बैटरी जल्दी ख़तम हो जायेगी . उसी प्रकार जब आप दूसरों का काम करेंगे तो आपकी साधना की ऊर्जा उस काम में लगेगी और आपकी ऊर्जा कम होती जाएगी . उसे रोज साधना के द्वारा रिचार्ज करते रहना पड़ेगा अन्यथा एक दिन बैटरी डेड हो जाएगी ...... उसके बाद ..... मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे . दूसरों का काम गारंटी से करने का दावा करने वाले और अचानक प्रकट होने वाले विश्वविख्यात तांत्रिक और ज्योतिष बाबा इसी कारण से चार पांच साल बाद गुमनामी के अँधेरे में चले जाते हैं .... फिर उनको कोई नहीं पूछता .....
यह बात दिमाग में स्पष्ट रखें कि ..... दूसरों का काम करने के लिए आपको नियमित साधना करनी ही होगी और संभव हो तो किसी दुसरे पूजा स्थान पर अपने नाम से अनुष्ठान आदि भी कराते रहना चाहिए . तभी आपकी शक्तियां आपके साथ लगातार बनी रहेंगी .
विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में मन लगने तथा बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग बसंत पंचमी/ नवरात्रि/गुप्त नवरात्री के अवसर पर आप कर सकते हैं ।
इसके लिए सामग्री 1 केसर आधा ग्राम या चौथाई ग्राम जो भी मिल जाए । 2 सरस्वती माता का चित्र । 3 तेल का दीपक।
सबसे पहले माँ या पिता जो भी अपने बच्चे को प्रयोग कराना चाहते हैं वह स्नान करके शुद्ध होकर सामने देवी का चित्र और दीपक जलाकर रख लेंगे ।
दीपक की लौ आपकी तरफ रहेगी ।
अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करें । 1 माला या 5 मिनट तक गुरु मंत्र ।।ॐ गुरुभ्यो नमः ।।
उसके बाद एक घंटा या 11 माला सरस्वती मंत्र का जाप करें । जाप करते समय मन मे भाव रखेंगे कि आपके बच्चे पर महामाया सरस्वती कृपा करें और उनकी बुद्धि का विकास करें । एक बच्चे के लिए करने के बाद दूसरे बच्चे के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया दुहरानि
।। ऐं ऐं ऐं सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः ।।
केसर के 5-6 धागे को आधा चम्मच पानी मे भिगो कर घोल लें । बच्चे की जीभ में अपनी तर्जनी उंगली से सरस्वती बीज मन्त्र लिखें ।
ऐं
उसके बाद बच्चे को 5 मिनट सरस्वती चित्र के सामने सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए कहें । नित्य एक माला या 5 मिनट मन्त्र जाप करते रहेंगे तो ज्यादा लाभ होगा ।
यदि बड़े बच्चे हों तो वे स्वयं पहले जाप कर लें तथा बाद में केसर से बीज मंत्र लिख लें ।
जीभ में लिख रहे हैं । वहां लिखाया या नही यह देखने नही जाएंगे । अंदाजे से जीभ पर ऐं लिखना है बस । जीभ को पकड़ कर खींचना नही है मुंह के अंदर ही तर्जनी से आराम से माताजी का ध्यान करते हुए मन्त्र लिखना है ।
नवरात्रि के विषय में सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर
सबसे पहले आप सभी को महामाया के नवरात्रि शक्ति पर्व की शुभकामनाएं
शक्ति पर्व साधनाओं के माध्यम से शक्ति अर्जित करने का पर्व है ।
इस अवसर पर साधनाएं और मंत्र जाप अवश्य करें ।.
इस विषय पर मेरे द्वारा प्रतिलिपि पर बहुत सारी विधियाँ प्रकाशित हैं ।. आप उनमे से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं .
अगर आप काम की अधिकता , अस्वस्थता या स्थानाभाव के कारण पूजा स्थान मे बैठकर नहीं कर पा रहे हैं तो महाकाली के बीज मंत्र
"क्रीं "
( उचाचारण होगा क्रीम /kreem )
का चलते फिरते , उठते बैठते लेटते, सभी अवस्थाओं मे मानसिक जाप करके भी महामाया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर
क्या मैं नवरात्रि में देवी का मंत्र जाप कर सकता/सकती हूँ ?
हाँ ! अगर आपकी देवी पर आस्था और विश्वास है तो आप कर सकते हैं . स्त्री पुरुष दोनों मंत्र जाप कर सकते हैं . बच्चे अपने माता पिता की अनुमति और जानकारी में ही मंत्र जाप करें .
क्या मंत्र जाप के लिए गुरु आवश्यक है ?
हाँ ! मंत्र जाप से आपके शरीर में ऊर्जा बनती है उसे नियंत्रित करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती है . यह विशेष रूप से तब आवश्यक है जब आप सवा लाख या अधिक मंत्र जाप का अनुष्ठान कर रहे हों .
यदि आप एकाध माला रोज कर रहे हैं तो आप बिना गुरु के भी मंत्र जाप कर सकते हैं .
स्तोत्र पाठ और शतनाम सहस्रनाम का पाठ आप बिना गुरु के भी कर सकते हैं .
अगर जाप से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी या बेचैनी जैसा आभास हो तो समझ जाइएगा कि आपका शरीर उतनी ऊर्जा सहन नहीं कर पा रहा है , तब जप या पाठ की संख्या कम कर लेंगे . धीरे धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं .
मैं एक स्त्री हूँ मेरा मासिक नवरात्री के बीच में आ रहा है , क्या इससे मेरी साधना खंडित हो जाएगी ? मैं क्या करू?
विश्व विख्यात मंत्र तंत्र विशेषज्ञ पूज्यपाद गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा जो निर्देश हमें मिलते थे उसके अनुसार "अगर जाप शुरू करने के बाद मासिक आ जाए तो आप पूजा स्थान में बैठकर जाप करना रोक लें, मासिक पूरा हो जाने के बाद उसे कंटीन्यू कर सकते हैं ऐसे में साधना खंडित नहीं मानी जायेगी .
क्या मैं सुबह महाविद्या भुवनेश्वरी और रात में महाविद्या महाकाली साधना कर सकता/सकती हूँ ?
बहुत सारे मंत्र या पूजन करने की बजाय एक ही मंत्र या स्तोत्र को ज्यादा से ज्यादा बार करें । हर देवी या देवता सब कुछ देने मे समर्थ है., तभी तो वह देवता या देवी है ।
अगर जाप के दौरान कुछ गलती हो गयी तो क्या मातारानी मुझे सजा देगी और उससे मेरा नुकसान हो जाएगा ?
कोई नन्हा बच्चा अपनी माँ को बुलाने के लिए किसी भी शब्द या क्रिया का इस्तेमाल करे माता उसे समझ जाती है और उसकी आवश्यकता की पूर्ती कर देती है . जगदम्बा सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं . वे ममत्व और वात्सल्य की अंतिम सीमा हैं . वे अपनी साधना करने वाले किसी साधक साधिका को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकती . इसलिए इस प्रकार के बेवजह के डर को अपने दिमाग से निकाल दीजिये . स्वयं को महामाया का नन्हा शिशु मानकर मन्त्र जाप करिये वे अवश्य सुनेंगी .
क्या मंत्र जाप करने से सम्बंधित देवी/देवता मेरे सामने प्रकट हो जायेंगे ?
सामान्य शब्दों में कहूँ तो यह वैसी ही बात है जैसे पैदल चलने वाला व्यक्ति चाँद पर पहुँचने की बात करे . चाँद पर पहुँचने के लिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना पड़ता है ! बेहद कठोर ट्रेनिंग होती है ! इसमें महीनों या सालों का समय लगता है . फिर एक अत्यंत उच्च तकनीक वाला रॉकेट होता है जिसमे बैठकर आप चाँद पर पहुँचते हैं ! विशेष स्पेस सूट पहनकर ही आप चाँद को स्पर्श कर सकते हैं ! उसपर चल सकते हैं !
ठीक वैसे ही साधना के रस्ते पर आपको कई वर्षों की कठोर साधना करनी होगी . उच्च कोटि के गुरु के सानिध्य में ट्रेनिंग लेनी होगी , अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाना होगा, अपने शरीर को जागृत करके उस लायक बनाना होगा तब देवी देवता का दर्शन संभव है .
हम सामान्य गृहस्थ हैं, हम उतनी ज्यादा साधना नहीं करते इसलिए उच्च स्तर की देवी ऊर्जा को सहन भी नहीं कर सकते हैं . देवी शक्तियां हमें प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देतीं . वे स्वप्न में आभास देती हैं . कभी विचित्र गंध आपके पूजन कक्ष में आएगी . कभी घुंघरू जैसी ध्वनि सुनाई देगी . ऐसा होगा तो आपको समझना है कि कोई देवीय शक्ति आपसे प्रसंन्न होकर उपस्थित हुई है . ऐसे में उनको प्रणाम कर लेना चाहिये और उनसे कृपा का निवेदन करना चाहिए . इस प्रकार के आभास नवरात्री में विशेष रूप से होते हैं .....
मैं कैसे समझूँ कि मेरी साधना या मंत्र जाप सफल हुआ है ?
मंत्र जाप की सफलता के लक्षण :-
आपका मनोवांछित कार्य पूरा होगा या उसमे अनुकूलता मिलेगी .
आपको आतंरिक शांति का अनुभव होगा .
आपके अनावश्यक खर्चे कम होने लगेंगे .
आप और परिवार में अन्य सदस्य बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे .
पारिवारिक कलह जैसे पति/पत्नी के झगडे कम होने लगेंगे .
घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होगा .
मन्त्र जाप करते समय मुझे जम्हाई /नींद आती है ऐसा क्यों ?
हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियों और हमारे अपने आलस्य की वजह से मंत्र जाप शुरू करने पर कुछ समय तक सभी साधकों के साथ ऐसा होता है . जो धीरे धीरे कम होता जायेगा . अपने पास एक गिलास में पानी रखकर बीच बीच में उसके छींटे मारते रहें तो काफी लाभ मिलेगा .
एक दिन में या पंद्रह दिन में साधना सिद्ध हो सकती है क्या ?
ऐसा कुछ नहीं है . जैसे जैसे मंत्र जाप की संख्या बढ़ती जाती है आपका मंत्र जागृत और चैतन्य होने लगता है और धीरे धीरे कुछ सालों में आपको वह स्थिति प्राप्त होने लगती है जब आप उस मंत्र के माध्यम से अपने अभीष्ट कार्य संपंन्न कर सकते हैं .
दूसरों के कार्य करने के लिए मैं अपनी सिद्धियों का प्रयोग कैसे कर सकता हूँ ?
जब आप तीन से पांच लाख की संख्या में मंत्र जाप कर लेते हैं तो आप उस मंत्र की सहायता से स्वयं के या दूसरों के काम कर सकते हैं . इसके साथ साथ आपकी शक्तियां भी कम होंगी . सामान्य भाषा में आपको समझाऊं तो मंत्र जाप को आप मोबाइल के बैटरी चार्ज करने जैसा समझ लीजिये . सिंपल कालिंग होगा तो बैटरी ज्यादा लम्बे समय आपके काम आएगी . आप उसमे वीडियो चलाएंगे, बच्चे उसमे गेम खेलेंगे, दोस्त वीडियो कॉल करेगा तो बैटरी जल्दी ख़तम हो जायेगी . उसी प्रकार जब आप दूसरों का काम करेंगे तो आपकी साधना की ऊर्जा उस काम में लगेगी और आपकी ऊर्जा कम होती जाएगी . उसे रोज साधना के द्वारा रिचार्ज करते रहना पड़ेगा अन्यथा एक दिन बैटरी डेड हो जाएगी ......
उसके बाद ..... मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे .
दूसरों का काम गारंटी से करने का दावा करने वाले और अचानक प्रकट होने वाले विश्वविख्यात तांत्रिक और ज्योतिष बाबा इसी कारण से चार पांच साल बाद गुमनामी के अँधेरे में चले जाते हैं .... फिर उनको कोई नहीं पूछता .....
किसी का भी दोष निवारण करेंगे तो उसका कुछ अंशों मे दोष आपको भी झेलना ही पड़ेगा । यह बात दिमाग में स्पष्ट रखें कि ..... दूसरों का काम करने के लिए आपको नियमित साधना करनी ही होगी और संभव हो तो किसी दुसरे पूजा स्थान पर अपने नाम से अनुष्ठान आदि भी कराते रहना चाहिए . तभी आपकी शक्तियां आपके साथ लगातार बनी रहेंगी , आपके ऊपर आने वाले नकारात्मक प्रभाव का शमन भी होता रहेगा ।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है . नवरात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है . 108 बार नित्य जाप करें
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं । इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
यदि आप किसी ऊपरी बाधा से ग्रस्त हैं तो नवरात्रि मे नौ दिन नित्य रात्रि काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच 1008 बार जाप करें । विजयदशमी के दिन यानि दशहरे के दिन 108 काली मिर्च के दाने सरसों के तेल मे भिगोकर अपने सामने रख लेंगे । लकड़ी या गोबर का कंडा जला लेंगे । एक काली मिर्च का दाना लेंगे उसे अपने माथे से स्पर्श कराकर इस मंत्र का एक बार पाठ करेंगे और फट बोलने के बाद उसे आग मे डाल देंगे । जब 108 दाने पूरे आपके अग्नि मे चले जाएँगे तो उसे प्रणाम करके माँ काली से रक्षा की प्रार्थना करके उठ जाएँगे । उस राख़ को नदी, तालाब या किसी सुनसान स्थान पर अगले दिन छोड़ देंगे ।. आपको इसका प्रभाव दिखने लगेगा । इसके बाद रक्षा के लिए नित्य सुबह बिस्तर से उठते समय इसका तीन बार उच्चारण करके बिस्तर से उठेंगे तो अनुकूलता बनी रहेगी ।
मेरे सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ने दसों महाविद्याओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन किया है . उनके प्रवचन के ऑडियो/वीडियो आप इंटरनेट पर सर्च करके या यूट्यूब पर सुन सकते हैं . तथा विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं .
जितना मैंने जाना है उसके आधार पर मुझे ऐसा लगता है कि सभी महाविद्याओं से आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि तथा सर्व मनोकामना की पूर्ती होती है . इसके अलावा जो विशेष प्रयोजन सिद्ध होते हैं उनका उल्लेख इस प्रकार से किया गया है .
महाकाली - मानसिक प्रबलता /सर्वविध रक्षा / कुण्डलिनी जागरण /पौरुष
तारा - आर्थिक उन्नति / कवित्व / वाक्शक्ति
त्रिपुर सुंदरी - आर्थिक/यश / आकर्षण
भुवनेश्वरी - आर्थिक/स्वास्थ्य/प्रेम
छिन्नमस्ता - तन्त्रबाधा/शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा
त्रिपुर भैरवी - तंत्र बाधा / शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा
धूमावती - शत्रु बाधा / सर्वविध रक्षा
बगलामुखी - शत्रु स्तम्भन / वाक् शक्ति / सर्वविध रक्षा
मातंगी - सौंदर्य / प्रेम /आकर्षण/काव्य/संगीत
कमला - आर्थिक उन्नति
सभी महाविद्याओं के शाबर मंत्र होते हैं , जिनका प्रयोग कोई भी कर सकता है . यदि आपके गुरु नहीं हैं तो भगवान शिव/महाकाली को गुरु मानकर आप इनका प्रयोग इस नवरात्रि में करें और लाभ उठायें . शाबर मंत्र सामान्य भाषा में होते हैं . उनको जैसा लिखा है वैसा ही पढ़ना चाहिए . उसमे व्याकरण सुधार करने के कोशिश न करें . ये मंत्र सिद्ध योगियों द्वारा उद्भूत हैं इसलिए जैसा उन्होंने रच दिया वैसा ही पढ़ने से ज्यादा लाभ होगा .
शाबर मन्त्रों के जाप करते समय दीपक और अगरबत्ती या धुप जलाये रखना चाहिए . गुग्गुल की धुप या अगरबत्ती का प्रयोग बेहतर होगा . न हो तो कोई भी अगरबत्ती जला लें .
महाविद्याओं की साधना उच्चकोटि की साधना है . आप अपनी रूचि के अनुसार किसी भी महाविद्या की साधना कर सकते हैं . महाविद्या साधना आपको जीवन में सब कुछ प्रदान करने में सक्षम है .
यदि आप सात्विक पद्धति से गृहस्थ जीवन में रहते हुए ही , महाविद्या साधना सिद्धि करना चाहते हैं तो आप महाविद्या से सम्बंधित दीक्षा तथा मंत्र प्राप्त करने के लिए मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से या गुरुमाता डा साधना सिंह जी से संपर्क कर सकते हैं .
विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए वेबसाइट तथा यूट्यूब चैनल का अवलोकन कर सकते हैं .
नवरात्रि : अखंड ज्योति तथा दुर्गा पूजन की सरल विधि
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा पूजन नहीं जानते ।
जो साधक हैं वे प्रामाणिक ग्रन्थों के आधार पर विस्तृत पूजन क्षमतानुसार सम्पन्न करें .
यह पूजन आप देवी के चित्र, मूर्ति या यंत्र के सामने कर सकते हैं ।
यदि आपके पास इनमे से कुछ भी नही तो आप शिवलिंग, रत्न या रुद्राक्ष पर भी पूजन कर सकते हैं ।
अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार घी या तेल का दीपक जलाये। धुप अगरबत्ती जलाये।
अगर अखंड दीपक जलाना चाहते हैं तो बड़ा दीपक और लंबी बत्ती रखें । इसे बुझने से बचाने के लिए काँच की चिमनी का प्रयोग कर सकते हैं । पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर देखता हुआ हो तो बेहतर है । दीपक की लौ को उत्तर या पूर्व की ओर रखें ।
बैठने के लिए लाल या काले कम्बल या मोटे कपडे का आसन हो।
जाप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा आपको निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी :-
एक बड़ा पीतल,तांबा,मिट्टी का कलश,
जल पात्र,
हल्दी, कुंकुम, चन्दन, अष्टगंध,
अक्षत(बिना टूटे चावल),
पुष्प ,
फल,
मिठाई / प्रसाद .
अगर यह सामग्री नहीं है या नहीं ले सकते हैं तो अपने मन में देवी को इन सामग्रियों का समर्पण करने की भावना रखते हुए अर्थात मन से उनको समर्पित करते हुए मानसिक पूजन करे ।
सबसे पहले गुरु का स्मरण करे। अगर आपके गुरु नहीं है तो ब्रह्माण्ड के समस्त गुरु मंडल का स्मरण करे या जगद्गुरु भगवान् शिव का ध्यान कर लें ।
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः।
श्री गणेश का स्मरण करे
ॐ श्री गणेशाय नमः।
भैरव बाबा का स्मरण करें
ॐ भ्रं भैरवाय नमः।
शिव शक्ति का स्मरण करें
ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः।
चमच से चार बार बाए हाथ से दाहिने हाथ पर पानी लेकर पिए। एक मन्त्र के बाद एक बार पानी पीना है।
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा ।
ॐ विद्या तत्वाय स्वाहा ।
ॐ शिव तत्वाय स्वाहा ।
ॐ सर्व तत्वाय स्वाहा ।
गुरु सभी पूजन का आधार है इसलिए उनके लिए पूजन के स्थान पर पुष्प अक्षत अर्पण करे। नमः बोलकर सामग्री को छोड़ते हैं।
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री परम गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नमः
हम पृथ्वी के ऊपर बैठकर पूजन कर रहे हैं इसलिए उनको प्रणाम करके उनकी अनुमति मांग के पूजन प्रारंभ किया जाता है जिसे पृथ्वी पूजन कहते हैं।
अपने आसन को उठाकर उसके नीचे कुमकुम से एक त्रिकोण बना दें उसे प्रणाम करें और निम्नलिखित मंत्र पढ़े और पुष्प अक्षत अर्पण करे।
ॐ पृथ्वी देव्यै नमः ।
देह न्यास :-
किसी भी पूजन को संपन्न करने से पहले संबंधित देवी या देवता को अपने शरीर में स्थापित होने और रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती है इसके निमित्त तीन बार सर से पाँव तक हाथ फेरे। इस दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करते रहे।
ॐ दुँ दुर्गायै नमः ।
कलश स्थापना :-
कलश को अमृत की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। हमें जीवित रहने के लिए अमृत तत्व की आवश्यकता होती है। जो भी भोजन हम ग्रहण करते हैं उसका सार या अमृत जिसे आज वैज्ञानिक भाषा में विटामिन और प्रोटीन कहा जाता है वह जब तक हमारा शरीर ग्रहण न कर ले तब तक हम जीवित नहीं रह सकते। कलश की स्थापना करने का भाव यही है कि हम समस्त प्रकार के अमृत तत्व को अपने पास स्थापित करके उसकी कृपा प्राप्त करें और वह अमृत तत्व हमारे जीवन में और हमारे शरीर में स्थापित हो ताकि हम स्वस्थ निरोगी रह सकें।
कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करके मन में उपरोक्त भावना रखकर कलश की स्थापना कर सकते हैं।
ॐ अमृत कलशाय नमः ।
उसपर पुष्प,अक्षत,पानी छिड़के । ऐसी भावना करें कि जितनी पवित्र नदियां हैं उनका अमृततुल्य जल कलश मे समाहित हो रहा है ।
संकल्प :-(यह सिर्फ पहले दिन करना है )
संकल्प का तात्पर्य होता है कि आप महामाया के सामने एक प्रकार से एक एग्रीमेंट कर रहे हैं कि हे माता मैं आपके चरणों में अपने अमुक कार्य के लिए इतने मंत्र जाप का संकल्प लेता हूं और आप मुझे इस कार्य की सफलता का आशीर्वाद दें।
दाहिने हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर संकल्प (सिर्फ पहले दिन) करे।
“ मैं (अपना नाम और गोत्र
[गोत्र न मालूम हो तो भारद्वाज गोत्र कह सकते हैं ])
इस नवरात्री पर्व मे
भगवती दुर्गा की कृपा प्राप्त होने हेतु /अपनी समस्या निवारण हेतु /अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु
( यहाँ समस्या या मनोकामना बोलेंगे )
यथा शक्ति (अगर रोज निश्चित संख्या मे नहीं कर सकते तो, अगर आप निश्चित संख्या में करेंगे तो वह संख्या यहाँ बोल सकते हैं जैसे 11 या 21 माला नित्य जाप )
करते हुए आपकी साधना नवरात्रि मे कर रहा हूँ। आप मेरी मनोकामना पूर्ण करें ”
पूजन के स्थान पर पुष्प अक्षत अर्पण करे ऐसी भावना करे की भगवती वहाँ साक्षात् उपस्थित है और आप उन्हें सारे उपचार अर्पण कर रहे है ।
भगवती का स्वागत कर पंचोपचार पूजन करे ,
अगर आपके पास सामग्री नहीं है तो मानसिक रूप से यानि उस वस्तु की भावना करते हुए पूजन करे।
ॐ दुँ दुर्गायै नमः गन्धम् समर्पयामि
(हल्दी कुमकुम चन्दन अष्टगंध अर्पण करे )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः पुष्पम समर्पयामि
(फूल चढ़ाएं )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः धूपं समर्पयामि
(अगरबत्ती या धुप दिखाएं )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः दीपं समर्पयामि
(दीपक दिखाएँ )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः नैवेद्यम समर्पयामि
(मिठाई दूध या फल अर्पण करे )
मां दुर्गा के 108 नाम से पूजन करें :-
·आप इनके सामने नमः लगाकर फूल,चावल,कुमकुम,अष्टगंध, हल्दी, सिंदूर जो आप चढ़ाना चाहें चढ़ा सकते हैं ।
·यदि कुछ न हो तो पानी चढ़ा सकते हैं ।
·वह भी न हो तो प्रणाम कर सकते हैं ।
( हर एक नाम मे "-"के बाद उस नाम का अर्थ लिखा हुआ है । आप केवल नाम का उच्चारण करके नमः लगा लेंगे । जैसे सती नमः , साध्वी नमः ..... )
1.सती- जो दक्ष यज्ञ की अग्नि में जल कर भी जीवित हो गई
2.साध्वी- सरल
3.भवप्रीता- भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली
4.भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली
5.भवमोचनी- भव अर्थात संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली
6.आर्या- देवी
7.दुर्गा- अपराजेय
8.जया- विजयी
9.आद्य- जो सृष्टि का प्रारंभ है
10.त्रिनेत्र- तीन नेत्रों से युक्त
11.शूलधारिणी- शूल नामक अस्त्र को धारण करने वाली
12.पिनाकधारिणी- शिव का धनुष पिनाक को धारण करने वाली
13.चित्रा- सुरम्य
14.चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली
15.सुधा- अमृत की देवी
16.मन- मनन-शक्ति की स्वामिनी
17.बुद्धि- सर्वज्ञाता
18.अहंकारा- अभिमान करने वाली
19.चित्तरूपा- वह जो हमारी सोच की स्वामिनी है
20.चिता- मृत्युशय्या
21.चिति- चेतना की स्वामिनी
22.सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
23.सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
24.सत्यानंद स्वरूपिणी- सत्य और आनंद के रूप वाली
25.अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं
26.भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली
27.भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य
28.भव्या-जो भव्यता की स्वामिनी है
29.अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
30.सदागति- हमेशा गतिशील या सक्रिय
31.शाम्भवी- शंभू की पत्नी
32.देवमाता- देवगण की माता
33.चिन्ता- चिन्ता की स्वामिनी
34.रत्नप्रिया- जो रत्नों को पसंद करती है उनकी की स्वामिनी है
35.सर्वविद्या- सभी प्रकार के ज्ञान की की स्वामिनी है
36.दक्षकन्या- प्रजापति दक्ष की बेटी
37.दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
38.अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
39.अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली
40.पाटला- लाल रंग वाली
41.पाटलावती- गुलाब के फूल
42.पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली
43.कलामंजीरारंजिनी- पायल की ध्वनि से प्रसन्न रहने वाली
44.अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं
45.विक्रमा- असीम पराक्रमी
46.क्रूरा- कठोर
47.सुन्दरी- सुंदर रूप वाली
48.सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर
49.वनदुर्गा- जंगलों की देवी
50.मातंगी- महाविद्या
51.मातंगमुनिपूजिता- ऋषि मतंगा द्वारा पूजनीय
52.ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति
53.माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति
54.इंद्री- इंद्र की शक्ति
55.कौमारी- किशोरी
56.वैष्णवी- भगवान विष्णु की शक्ति
57.चामुण्डा- चंडिका
58.वाराही- वराह पर सवार होने वाली
59.लक्ष्मी- ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी
60.पुरुषाकृति- वह जो पुरुष रूप भी धारण कर ले
61.विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली
62.ज्ञाना- ज्ञान की स्वामिनी है
63.क्रिया- हर कार्य की स्वामिनी
64.नित्या- जो हमेशा रहे
65.बुद्धिदा- बुद्धि देने वाली
66.बहुला- विभिन्न रूपों वाली
67.बहुलप्रेमा- सर्व जन प्रिय
68.सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
69.निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
70.महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली
71.मधुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली
72.चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली
73.सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली
74.सर्वदानवघातिनी- सभी दानवों का नाश करने वाली
75.सर्वशास्त्रमयी- सभी शास्त्रों को अपने अंदर समाहित करने वाली
76.सत्या- जो सत्य के साथ है
77.सर्वास्त्रधारिणी- सभी प्रकार के अस्त्र या हथियारों को धारण करने वाली
78.अनेकशस्त्रहस्ता- कई शस्त्र हाथों मे रखने वाली
79.अनेकास्त्रधारिणी- अनेक अस्त्र या हथियारों को धारण करने वाली
80.कुमारी- जिसका स्वरूप कन्या जैसा है
81.एककन्या- कन्या जैसे स्वरूप वाली
82.कैशोरी- किशोरी जैसे स्वरूप वाली
83.युवती- युवा स्त्री जैसे स्वरूप वाली
84.यति- जो तपस्वीयों मे श्रेष्ठ है
85.अप्रौढा- जो कभी वृद्ध ना हो
86.प्रौढा- जो वृद्ध भी है
87.वृद्धमाता- जो वृद्ध माता जैसे स्वरूप वाली है
88.बलप्रदा- शक्ति देने वाली
89.महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली
90.मुक्तकेशी- खुले बाल वाली
91.घोररूपा- भयंकर रूप वाली
92.महाबला- अपार शक्ति वाली
93.अग्निज्वाला- आग की ज्वाला की तरह प्रचंड स्वरूप वाली
94.रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर स्वरूप वाली
95.कालरात्रि- जो काल रात्री नामक महाशक्ति है
96.तपस्विनी- तपस्या में लगी हुई
97.नारायणी- भगवान नारायण की शक्ति
98.भद्रकाली- काली का भयंकर रूप
99.विष्णुमाया- भगवान विष्णु की माया
100.जलोदरी- जल में निवास करने वाली
101.शिवदूती- भगवान शिव की दूत
102.कराली- प्रचंड स्वरूपिणी
103.अनन्ता- जिसका ओर छोर नहीं है
104.परमेश्वरी- जो परम देवी है
105.कात्यायनी- महाविद्या कात्यायनी
106.सावित्री- देवी सावित्री स्वरूपिणी
107.प्रत्यक्षा- जो प्रत्यक्ष है
108.ब्रह्मवादिनी- ब्रह्मांड मे हर जगह वास करने वाली
अंत में एक आचमनी(चम्मच) जल चढ़ाये और प्रार्थना करें कि महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपा श्री दुर्गा जी मुझ पर कृपालु हों।
इसके बाद रुद्राक्ष माला से नवार्ण मन्त्र या दुर्गा मंत्र का यथाशक्ति या जो संख्या आपने निश्चित की है उतनी संख्या मे जाप करे ।
नवार्ण मंत्र :-
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
(ऐम ह्रीम क्लीम चामुंडायै विच्चे ऐसा उच्चारण होगा )
[Aim Hreem Kleem Chamundaaye vichche ]
सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी) के अनुसार इसके प्रारम्भ में प्रणव अर्थात ॐ लगाने की जरुरत नहीं है ।
दुर्गा मंत्र:-
ॐ ह्रींम दुं दुर्गायै नम:
[Om Hreem doom durgaaye namah ]
रोज एक ही संख्या में जाप करे।
एक माला जाप की संख्या 100 मानी जाती है । माला में 108 दाने होते हैं । शेष 8 मंत्रों को उच्चारण त्रुटि या अन्य गलतियों के निवारण के लिए छोड़ दिया जाता है ।
अपनी क्षमतानुसार 1/3/5/7/11/21/33/51 या 108 माला जाप करे।
जब जाप पूरा हो जाये तो अपने दोनों कान पकड़कर किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करे .
उसके बाद भगवती का थोड़ी देर तक आँखे बंद कर ध्यान करे और वहीँ 5 मिनट बैठे रहें।
अंत मे आसन को प्रणाम करके उठ जाएँ।
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