तारा साधना मंत्रम
तारा साधना जीवन का सौभाग्य है। यह साधना
मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
शक्ति साधकों के लिए गुरुदेव डॉ. नारायण
दत्त श्रीमाली जी ने तारा शाक्त मन्त्र नवरात्री शिविर 1995 कराला
में प्रदान किया था. यह साधना आर्थिक लाभ प्रदायक है .
· यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.
· भगवती तारा
महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों
की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में
अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप
करें। कम ज्यादा जाप ना करें
- · सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
- · भगवती तारा अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने शिशु को ले जाती है.
|| ॐ ह्रीं
श्रीं क्लीं श्रीं तारायै नमः ||
· इसके अलावा भी
सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार
से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन
साधना है |
· उत्तर दिशा की
और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा
होना चाहिए |
साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये |
· दिन में भी मन
ही मन मन्त्र जाप करते रहें .
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