॥ हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा ॥
सामान्य निर्देश :-- साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
- इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
- साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
विधि :-
- रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य है |
- जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
- गुरु से अनुमति ले लें|
- पान का बीड़ा चबाएं फिर मंत्र जाप करें |
- दिशा दक्षिण की और देखते हुए बैठें |
- आसन लाल/पीले रंग का रखें|
- जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
- यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
- कम से कम 21 दिन जाप करने से अनुकूलता मिलती है |
- जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
- किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें | यथा सम्भव सम्मान करें |
- जिस बालिका/युवती/स्त्री के बाल कमर से नीचे तक या उससे ज्यादा लम्बे हों उसे देखने पर मन ही मन मातृवत मानते हुए प्रणाम करें |
- सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
- ब्रह्मचर्य का पालन करें |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com