।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है .
निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं ।
इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
श्री गुरुवे नमः
जवाब देंहटाएंजय माई की
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