नाग पंचमी विशेष : सर्प सूक्त
यदि आपको अपने घर में बार बार सांप दिखाई देते हो .....
आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हो.........
या आप भगवान शिव के गण के रूप में नाग देवता की पूजा करना चाहते हो तो आप श्रावण मास में इस सर्प सूक्त का नित्य प्रयोग कर सकते हैं ।
सर्प सूक्त
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा: शेषनागपुरोगमा: ।।
नमोSस्तु तेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।। 1।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखास्तथा।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।2।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा:।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।3।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखास्तथा।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।4।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।5।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखास्तथा।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।6।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये च साकेत वासिन:।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।7।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।8।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पा: प्रचरन्ति च।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।9।।
समुद्रतीरे च ये सर्पा: ये सर्पा जलवासिन:।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।10।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोSस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।11।।
जिनको काल सर्प दोष है वे इसका १०८ बार पाठ नाग पंचमी से प्रारम्भ करके पूर्णिमा तक कर सकते हैं .
इसके अलावा आप अपने आसपास अगर कोई शिव मंदिर हो तो उसकी साफ़ सफाई या पोताई जैसी व्यवस्था करें तो भी लाभदायक है .
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