29 जुलाई 2025

नाग पंचमी : सर्प दोष निवारण का मुहूर्त

 नाग पंचमी : सर्प दोष निवारण का मुहूर्त


अधिकांश जातक अपनी कुंडली में कालसर्प दोष को लेकर चिंतित रहते हैं और उसके निवारण का उपाय खोजते रहते हैं ।
कालसर्प दोष पिछले कुछ समय से बहुत ज्यादा प्रचार में आया है और इसके नाम पर कई प्रकार के पूजन अनुष्ठान भी प्रचलित है ।
बैंगलोर के प्रख्‍यात ज्‍योतिषी वेंकट रमन ने ज्‍योतिषीय योगों पर किए अपने अध्‍ययन में पाया, कि प्राचीन भारतीय ज्‍योतिष में कहीं भी कालसर्प योग का उल्‍लेख नहीं है। केवल एक जगह एक सामान्‍य सर्प योग के बारे में जानकारी है ।

प्राचीन ग्रंथों में इतना ही बताया गया है कि राहू और केतु के मध्‍य सभी ग्रह होने पर सर्प योग बनता है।  मेष में राहू है और तुला में केतु इसके साथ सारे ग्रह मेष से तुला या तुला से मेष के बीच हों तो इसे सर्प योग कहा जाएगा।

कालसर्प योग के विषय में यह कहा जाता है कि राहु और केतु के मध्य सभी 7 ग्रहों के आने से कालसर्प योग बनता है। जब राहु से केतु के मध्य अन्य ग्रह होते हैं तो उदित और जब केतु से राहु के मध्य ग्रह होते हैं तो अनुदित काल सर्प योग की रचना होती है।
कुछ ज्योतिषियों के अनुसार यह भी एक ध्यान रखने योग्य तथ्य है कि सूर्य की गति के कारण कालसर्प योग कभी भी 6 माह से अधिक अवधि के लिए नहीं आता है। इस 6 माह में भी चंद्रमा की गति के कारण 2 सप्ताह यह योग रहता है और 2 सप्ताह नहीं रहता है, जबकि कभी चंद्रमा धुरी से बाहर हो जाता है तो आंशिक कालसर्प योग होता है।

इस विषय पर ज्योतिषियों के बीच में मत भिन्नता रही है । पिछली सदी के प्रसिद्ध ज्योतिषी स्वर्गीय डॉक्टर बीवी रमन, ने कालसर्प योग को सिरे से नकार दिया था। वह 60 वर्ष तक एस्ट्रोलॉजिकल-मैगजीन के संपादक रहे थे।

खैर....... 

जब कालसर्प योग को ज्योतिषियों ने मानना शुरु कर दिया तो इस कालसर्प योग पर आधारित कई ज्योतिषीय किताबें भी प्रकाशित हुईं । इनमें कालसर्प दोष की व्याख्या करते हुए इसे 12 तरह का बताया गया।

जो कि क्रमशः अनन्‍त, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर और शेषनाग नाम के कालसर्प योग हैं।

कालसर्प योग जिस व्यक्ति की कुंडली में रहता है वह अपने भविष्य को लेकर इस प्रकार से चिंतित रहता है जैसे उसे किसी सांप ने डस लिया हो या किसी अजगर ने उसे चारों तरफ से घेर लिया ।

कई बार उनके इस डर का श्रेय उन ज्योतिषियों को भी जाता है जो कालसर्प दोष के नाम पर जातक को डराने में किसी प्रकार की कमी नहीं रखते । जो व्यक्ति किसी समस्या से पीड़ित रहता है वह यह सारी बातें सुनकर बुरी तरह प्रभावित और भयभीत हो जाता है । उसे लगता है कि यह कालसर्प दोष ही सारी समस्या की जड़ में है ......
वास्तव में कालसर्प योग कई प्रकार की सफलताओं को भी प्रदान करने वाला भी माना गया है । अनेक विश्व विख्यात और सफल व्यक्तियों के जीवन में कालसर्प योग मौजूद रहा है ।
विख्यात ज्योतिषी के एन राव के अनुसार मुगल सम्राट अकबर, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंग्लैंड की प्रधानमंत्री मार्गरेट थेचर, अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को काल सर्प दोष था, लेकिन इन्होंने सफलता के नए सोपान अर्जित किए।

ग्वालियर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य सीताराम सिंह ने स्व. विजयाराजे सिंधिया की जन्मकुंडली का विश्लेषण करते हुए एक लेख में लिखा है कि उनकी कुंडली में महापदम नामक कालसर्प योग था । जिसके कारण वह जनता की परमप्रिय नेता बनीं । स्व. धीरूभाई अंबानी की कुंडली में वासुकी नामक कालसर्प योग था । इसमें ग्रहों की दशा के कारण गजकेसरी योग बना । फिल्म अभिनेता रजनीकांत की कुंडली में भी कर्कोटक नामक कालसर्प दोष है । वह आज दक्षिणी फिल्म जगत में सुप्रसिद्व सुपरस्टार हैं।

आचार्य किशोर यश शर्मा ने अपने एक लेख में उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की कुंडली का विशलेषण करते हुए लिखा है कि उनकी कुंडली में कालसर्प दोष था, जिसमें उनके ग्रहों की दशा के कारण राजयोग बना और वह उत्तरप्रदेश की कई बार मुख्यमंत्री बन गईं ।

अब आप अपने विवेक से कालसर्प दोष के अच्छा या बुरा होने या ना होने पर निर्णय ले सकते हैं ।

सर्प दोष के निवारण के लिए नागपंचमी को एक श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है । यदि आपको स्वप्न में बार-बार सर्प दिखाई देते हो और आपको इससे डर लगता हो तो इस अवसर पर निम्नलिखित पूजन संपन्न कर सकते हैं । पूजन आपको सर्प की प्रसन्नता प्रदान करने वाले हैं ।

सर्प सूक्त के विषय में मैंने पहले लिखा है आप उसका पाठ नागपंचमी के दिन कर सकते हैं । यह पाठ आप एक बार या एक से अधिक बार अपनी सुविधा और क्षमता के अनुसार कर सकते हैं ।


नाग पंचमी के दिन आप किसी ऐसे शिव मंदिर में जहां पर शिवलिंग के ऊपर नाग ना बना हो वहां पर नाग का दान कर सकते हैं यह भगवान शिव और सर्प दोनों की कृपा प्रदायक है ।

यदि आप दान आदि में विश्वास रखते हैं तो किसी गरीब ब्राह्मण को चांदी का बना हुआ सांप का जोड़ा भी दान कर सकते हैं ।

यदि दान पर आपका विश्वास नहीं है तो तांबे या चांदी से बना हुआ सर्प का जोड़ा आप किसी शिव मंदिर में या नाग देवता के मंदिर में अर्पित कर सकते हैं , यदि यह दोनों उपलब्ध नहीं हो तो आप किसी नदी या तालाब में भी इसे प्रवाह दे सकते हैं इससे भी आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।



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