दक्षिणामूर्ति शिव भगवान शिव का सबसे तेजस्वी स्वरूप है । यह उनका आदि गुरु स्वरूप है । इस रूप की साधना सात्विक भाव वाले सात्विक मनोकामना वाले तथा ज्ञानाकांक्षी साधकों को करनी चाहिये ।
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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19 जुलाई 2014
18 जुलाई 2014
17 जुलाई 2014
16 जुलाई 2014
15 जुलाई 2014
देवाधिदेव महादेव - 3 : पंचाक्षरी मंत्र
॥ ऊं नमः शिवाय ॥
इस मंत्र का जाप आप चलते फ़िरते कर सकते हैं.तीन लाख जाप से शिव कृपा मिलती है....
----------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------
---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------
---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
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14 जुलाई 2014
13 जुलाई 2014
देवाधिदेव महादेव - 1 : अघोर शिव साधना
नोट -
- केवल अघोर पंथ में दीक्षित साधकों के लिए है.
- यह साधना अनुभवी साधक की देख रेख में ही करें.
- गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करेंगे.
॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
- १,२५,००० मंत्र का जाप .
- दिगंबर/नग्न अवस्था में जाप करें
- अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं.
- लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं करें. यह गम्भीर नुकसान कर सकता है.
- गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
- जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
- जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
- शिव कृपा होगी.
- रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
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--------------------------शिव शासनतः------------------------
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---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
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4 जुलाई 2014
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-
यदि खुद कर रहे हैं तो:-
॥ ॐ जूं सः मां पालय पालय सः जूं ॐ॥
यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥
- यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
- यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
- रुद्राक्ष माला धारण करें.
- रुद्राक्ष माला से जाप करें.
- बेल पत्र चढायें.
- भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.
3 जुलाई 2014
निखिल निर्वाण दिवस : ३ जुलाई : अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
-:निखिलम शरणम :-
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी)
तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र के सिद्धहस्त आचार्य, ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, कर्मकांड के पुरोधा, प्राच्य विद्याओं के विश्वविख्यात पुनरुद्धारक,अनगिनत ग्रन्थों के रचयिता तथा पूरे विश्व में फ़ैले हुए करोडों शिष्यों को साधना पथ पर उंगली पकडकर चलाने वाले मेरे परम आदरणीय गुरुवर.....
जिनके लिये सिर्फ़ यही कहा जा सकता है कि....
जब मैने परम पुज्य गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी [परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ] से दीक्षा ली तब से आज तक मै गुरु कृपा से साधना के मार्ग पर गतिशील हूं.
जब गुरुदेव भिलाई की धरती पर पधारे.....
अक्टूबर - १९९३
जब जब मेरे कदम लडखडाये गुरुवर की कृपा सदैव मुझपर बनी रही.जो मेरे जीवन का आधार है.
३ जुलाई १९९८
एक अपूरणीय क्षति का दिन जब मेरे गुरुवर ने अपनी भौतिक देह का त्याग किया .एक ममता भरा वात्सल्यमय साथ जो नही रहा.........
और फ़िर.......
गुरु देह की सीमा से परे होते हैं यह एह्सास गुरुवर ने करा दिया और फिर यह बालक निश्चिंत होकर निकल पडा खेल के मैदान में........
ब्रह्माण्डमय निखिलेश्वरानंद साधना
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- रुद्राक्ष माला से जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
2 जुलाई 2014
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना - 5
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ निखिलेश्वरानंदाय सच्चिदानंद शिष्याय दिव्य गुरुवे प्रसीद प्रसीद नमः ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- व्यवहार - गुरु साधना में सात्विक आहार आचार विचार रखना अनिवार्य है.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - पूर्व या ईशान की ओर देखते हुए बैठें.
- पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
- हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंग, हवन दशाश यानी जाप का दसवां हिस्सा किया जाता है १२५००० का दसवां हिस्सा १२५०० होगा ,१०००० मंत्र जाप का दसवां हिस्सा १००० होगा इसी प्रकार हवं की संख्या निकाल लेंग,
- यदि हवन न कर सकें तो दसवां हिस्सा जाप और कर लेंगे यानी १०००० पूरा होने पर १००० जाप और कर लेंगे.
- हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :-
हाथ
में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर
रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे
बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
अनुभव :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी साधकों को उनकी योग्यता तथा श्रद्धानुसार विभिन्न प्रकार से अनुभव जरूर कराते हैं. पुरस्चरण पूर्ण होते होते लगभग सभी साधकों को एक न एक बार उनके सानिध्य का अनुभव अवश्य हो जाता है. यही उनके अखंड तथा षोडश कला युक्त गुरुत्व का प्रमाण है. साधकों के सामान्य अनुभव इस प्रकार के होते हैं:-
अनुभव :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी साधकों को उनकी योग्यता तथा श्रद्धानुसार विभिन्न प्रकार से अनुभव जरूर कराते हैं. पुरस्चरण पूर्ण होते होते लगभग सभी साधकों को एक न एक बार उनके सानिध्य का अनुभव अवश्य हो जाता है. यही उनके अखंड तथा षोडश कला युक्त गुरुत्व का प्रमाण है. साधकों के सामान्य अनुभव इस प्रकार के होते हैं:-
- कई बार साधकों को सूक्ष्म रूप से दर्शन प्रदान करते हैं.
- कई बार साधक को स्वप्न में आभास करा देते हैं.
- कई बार श्वेत वस्त्र धारण किये हुए स्वरुप की उपस्थिति महसूस होती है.
- विशेष प्रकार की खुशबु साधना के दौरान आती है . इस प्रकार की खुशबु , गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
- यदि साधन पूरी श्रधा से किया जाए तो पूर्वाभास यानि घटनाओं के होने की पहले से जानकारी होना भी प्रारम्भ हो जाता है.
- जिस घर में गुरु साधना की जाती है वहां तांत्रिक प्रयोग अपना प्रभाव नहीं डाल पाते.
1 जुलाई 2014
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -4
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ ह्रीं परम तत्वाय निखिलेश्वराय ह्रीं नमः ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - दक्षिण की ओर देखते हुए बैठें.
- पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
- हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे
- हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :-
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
30 जून 2014
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -3
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ निं निखिलेश्वराये निं नमः ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
- पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
- हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे
- हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :-
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
29 जून 2014
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -2
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ श्रीं निखिलेश्वराय श्रीं ॐ ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
- पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
- हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे
.
- हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :-
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें
साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें
साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको
साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
28 जून 2014
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद गुरु साधना मंत्रम -1
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय नमः ||
वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
आसन - सफ़ेद होगा.
समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे .
हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :-
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
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