2 फ़रवरी 2011

वाग्वादिनी साधना



॥ ऊं नमः पद्मासने शब्द रूपे ऎं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनि स्वाहा ॥


  1. प्रतिदिन 1008 बार जाप.
  2. पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  3. सफ़ेद वस्त्र तथा आसन .
  4. पूर्व दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.

लाभ - विद्या तथा एकाग्रता

2 टिप्‍पणियां:

  1. aapki dee hui jankari se santusht hu lekin mujhe yeh btaie ki 1008 jap kis prkar se krne hai

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  2. एक बार मन्त्र पढने पर १ मन्त्र जाप हुआ, इसी प्रकार मन्त्र को १००८ बार बोलना है.

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