2 फ़रवरी 2011

कुंडलिनी जागरण मन्त्र

विशेष तथ्य :-

  1. कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
  2. कुन्डलिनी जागरण  साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
  3. यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
  4. इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
  5. यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
  6. यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
  7. यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी  को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
स्वामी सुदर्शननाथ जी

|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||  

  • यह एक अद्भुत मंत्र है. 
  • इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है. 
  • प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
  • जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
  • मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः

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