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29 अक्तूबर 2024

महालक्ष्मी का सहोदर : दक्षिणवर्ती शंख

 दक्षिणावर्ती शंख : महालक्ष्मी का सहोदर 

लक्ष्मी साधना का सबसे दिव्य मुहूर्त है दीपावली ! इस दिन विभिन्न प्रकार के प्रयोग संपन्न करके आप अपने जीवन में लक्ष्मी की उपस्थिति सुनिश्चित कर सकते हैं ।
लक्ष्मी को समुद्र से उत्पन्न माना जाता है इसलिए समुद्र से उत्पन्न निर्मित पदार्थ उनके सहोदर माने जाते हैं और इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है शंख । प्रकार के होते हैं लेकिन इसमे सबसे महत्वपूर्ण होता है दक्षिणावर्ती शंख !



यह शंख सामान्य शंख से उल्टा होता है , यानि शंख के पतले हिस्से को आप अपनी तरफ रखेंगे तो उसका गड्ढा दाहिने तरफ की बजाये बाएं तरफ होता है, और यह उससे काफी महंगा होता है । इसे घर में रखने मात्र से धन की और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है । आजकल नकली शंख भी बहुत मात्रा में उपलब्ध हैं इसलिए किसी प्रामाणिक स्थान से ही इसे प्राप्त करें अन्यथा आप को पूर्ण लाभ नहीं होगा ।

दक्षिणावर्ती शंख का पूजन
दक्षिणावर्ती शंख का पूजन कई प्रकार से किया जा सकता है और आगे की पंक्तियों में नए सरल पूजन विधि बता रहा हूं जिसका प्रयोग आप कर सकते हैं .

यह विधि बेहद सरल है और आप इसे किसी भी प्रकार के शंख के ऊपर प्रयोग कर सकते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख के ऊपर प्रयोग करने से यह ज्यादा प्रभावी होता है ।


अक्षत अर्थात बिना टूटे हुए चावल रख ले । इसकी मात्रा शंख के आकार के अनुसार तय करें । यह इतना होना चाहिए कि शंख पूरा भर जाए । शंख पूरा भर जाए तो आप उसे चांदी के वर्क से या सोने के वर्क से जो आपकी क्षमता हो लपेट लें । उसके बाद उसे एक सुंदर लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या पूजा स्थान में रखें । हो सके तो नित्य उसका दर्शन करें ।
कोशिश करें कि आपके अलावा कोई और उसे खुला ना देख पाए ।

दीपावली के दिन स्थिर लग्न के विषय में गूगल में, पेपर में या पंचांग में देख तय कर लेंगे ।

इस पूजन के लिए आपको कुछ चीजें लगेंगी

पहला है बिना टूटे हुए चावल यानि अक्षत। इसके अलावा शंख को लपेटने के लिए लाल कपड़ा और उसे रखने के लिए एक तांबे या कांसे की थाली भी लगेगी । शंख को आखिरी में लपेटने के लिए चांदी का वर्क भी लगेगा । 

पूजा स्थान में गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र / श्री यंत्र / शंख/ महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी उपलब्ध हो वह रखें ।

गुरु को प्रणाम करें ।
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः

इसके बाद भगवान गणेश को याद करें और उन्हें पूजा में सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करें ।

ॐ श्री गणेशाय नमः

भगवान भैरव को याद करें और पूजन की रक्षा करने की प्रार्थना करें ।

ॐ भ्रम भैरवाय नमः ।
इसके बाद तंत्र के अधिपति भगवान शिव और मां जगदंबा को ज्ञात करें उन्हें प्रणाम करें उनसे आशीर्वाद लें कि आपको पूजन में सफलता प्राप्त हो और भगवती महालक्ष्मी आपकी पूजा को स्वीकार कर अनुकूलता प्रदान करें ।

ॐ सांब सदाशिवाय नमः

देवी महालक्ष्मी से प्रार्थना करें कि मैं आपका पूजन करने जा रहा हूं और आप मुझे इसके लिए अनुमति प्रदान करें
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः


इसके बाद देवी लक्ष्मी का ध्यान करें ।
महालक्ष्मी ध्यान
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या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणि गण खचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता

इस प्रकार से महालक्ष्मी का आह्वान करने के बाद ऐसी भावना करें कि वे अपने दिव्य स्वरुप में आपके घर में ! आपके कुल में !! आपके पूजा स्थान में !!! आकर स्थापित हो रही हैं और आपको अपने आशीर्वाद से आप्लावित कर रही हैं ....

अब निम्नलिखित लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते हुए थोड़ा थोड़ा चावल शंख के अंदर तब तक डालते रहे जब तक वह भरकर छलक ना जाए । जब वह पूरा भर जाए तब उसके ऊपर चाँदी के वर्क को लपेट देंगे और उसके बाद लाल कपड़े से उसे बांध देंगे । यह आपको लक्ष्मी की कृपा प्रदान करेगा । नित्य उसके दर्शन करें और एक बार महालक्ष्मी मंत्र का उच्चारना करें । 

.. ॐ श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः .. 

om shreem hreem shreem mahalaxmaiye namah 

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