शिव पंचाक्षरी मन्त्र साधना : सरल साधकों के लिए सरल विधि
यह साधना भोले बाबा के उन भोले भक्तों के लिए है जो कुछ जानते नहीं और जानना भी नहीं चाहते |
शिव पंचाक्षरी मन्त्र है |
॥ ऊं नमः शिवाय ॥
जाप से पहले अपनी मनोकामना बाबा से कह दें..
नित्य जितनी आप की क्षमता हो उतना जाप करें..
चलते फिरते चौबीसों घंटे आप कर सकते हैं ।
कर सकें तो कम से कम 1 बेलपत्र और जल बाबा के ऊपर चढ़ा दें
बाकी बाबा देख लेंगे......
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जो नियमानुसार विधि विधान से करने के इच्छुक हैं उनके लिए विधि :-
भगवान शिव का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन सम्पन्न करें .
माथे , दोनों गाल, गला, हृदय, दोनों बांह , दोनों जांघ , दोनों तरफ कमर इस प्रकार 11 स्थान पर भस्म का तिलक/त्रिपुन्ड लगाएँ ।.
रुद्राक्ष की 108 दानों की माला धारण करें और रुद्राक्ष की माला से जाप करें ।.
नित्य 11, 21, 33, 51 , 108 माला जाप कर सकते हैं। सवा लाख मंत्र जाप का पुरास्चरण माना जाता है ।
माला में 108 दाने होते हैं जिसमे जाप किया जाता है । लेकिन एक माला जाप को 100 मंत्र जाप मान लें । बाकी 8 मंत्र को वचन त्रुटि या किसी अन्य गलती के लिए छोड़ देते हैं । एक पुरस्चरण सवा लाख मंत्र जाप का होगा यानी कुल 1250 मालाएं करनी हैं ।
ईशान यानि उत्तर और पूर्व के बीच की ओर देखते हुए मंत्र जाप करें ।.
नीचे कंबल का या मोटे कपड़े का आसन लगाकर बैठे ।
संभव हो तो रोज शिवलिंग पर 11 बेलपत्र चढ़ाएँ और/ या जल से अभिषेक करें ।
साधना काल में संभव हो तो ब्रह्मचर्य रख सकते हैं । विवाहित हैं तो पत्नी से संबंध रख सकते हैं ।
किसी स्त्री पर क्रोध न करें ।
यथा संभव मौन रहें । बेवजह की बकवास, प्रलाप, चुगली, बुराई आदि से बचें ।
किसी पर क्रोध न करें और न ही अपशब्द, श्राप, आदि दें।
Mujhe kuch personal issue hai aapse baat kaise kar sakta hun kripya batayenge
जवाब देंहटाएंanilshekhar.amas@gmail.com
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