एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
11 दिसंबर 2023
6 दिसंबर 2023
4 दिसंबर 2023
उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री
उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री
हवन सामग्री या हविष्य को देवताओं का भोजन माना गया है । हविष्य की उच्च गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखते हुये ,सफेद चंदन, काली तिल , इलायची, आंवला,सुगंध कोकिला,सफेद चिरमटी,जटामासी,जायफल, नागरमोथा, राल, शिलाजीत, गुग्गल,जैसी तमाम औषधियों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से हवन सामग्री तयार करने का विधान सनातन धर्म मे है ।
आजकल रेट कम रखने के चक्कर मे इनमे से अधिकांश चीजें हवन सामग्री मे से गायब हो गयी हैं । अब उसमे लकड़ी का बुरादा ज्यादा हो गया है । जिनकी वजह से हवन का पूरा लाभ नहीं मिल पाता ।
इस दिशा मे "वेद समृति" के द्वारा "हवन प्री मिक्स" के नाम से हवन सामाग्री प्रस्तुत की गयी है जिसमे दुर्लभ जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है ।
"हवन प्रीमिक्स" में जटामांसी, अश्वगंधा, तेजपत्ता, इंद्राज, अगर तगर, लाल गुंजा, सफेद गुंजा, केसर, भीमसेनी कपूर, नागर मोथा, नागकेसर, कपूर, हरी इलायची, शतावरी जैसी विशिष्ट औषधियों के अलावा जावित्री, सफेद चंदन, पाउडर, अक्षत, राल, गूगल, लोबान, सहित तमाम औषधियों का मिश्रण उचित अनुपात में किया जाता है । इस विधि से तैयार हविष्य या हवन सामग्री से हवन करने से साधक या यज्ञ करने वाले को इष्ट की कृपा से मनोकामना की पूर्ति मे सहायता मिलती है ।
विशिष्ट देवियों जैसे महाविद्या बगलामुखी और महालक्ष्मी के विशेष हवन की सामग्री भी आप ऑनलाइन मंगा सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 7404561986
काल भैरव मंत्र प्रयोग
काल भैरव मंत्र प्रयोग
- सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं के शमन मे उपयोगी है ।
- अमावस्या, कृष्ण पक्ष मे अष्टमी/ त्रयोदशी/चतुर्दशी या सावन माह की किसी भी रात्रि करें|
- अपने सामने एक सूखा नारियल , एक कपूर की डली , 11 लौंग, 11 इलायची, 1 डली लोबान या धुप रखें |
- सरसों के तेल का दीपक जलाएं |
- हाथ में नारियल लेकर अपनी मनोकामना बोलें | नारियल सामने रखें |
- दक्षिण दिशा कीओर देखकर इस मन्त्र का 108 बार जाप करें |
- अगले दिन जल प्रवाह करें ।
काल भैरव अष्टकम
काल भैरव अष्टकम
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
विधि :-
भैरवष्टमी,अमावस्या या नवरात्रि मे 108 पाठ करें ।
यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।
विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे इसे किया जा सकता है ।
काल भैरव साधना
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.
16 नवंबर 2023
4 नवंबर 2023
28 अक्तूबर 2023
चंद्रग्रहण : पति से संबंध अनुकूल बनाने का मंत्र
यदि आपका पति आपसे विरक्त हो गया हो लगातार झगड़ा होता रहता हो बेवजह दूरियां बन गई हो तो इस साधना से अनुकूलता मिलेगी |
विधि :-
कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
ना मिले तो जिस कुमकुम से आप बिंदी लगाती हैं वह ...... या फिर स्टिकर बिंदी का प्रयोग करती हैं तो स्टीकर बिंदी के पैकेट को अपने सामने लाल कपड़े में रख लेंगे । जाप करने के बाद उस लाल कपड़े में लपेटकर रख लेंगे अगले दिन फिर उसे खोल कर जाप करना है । यदि लाल कपडे में रखने में दिक्कत हो तो ऐसे भी पूजा स्थान में रखकर कर सकते हैं ,.
अगर आपका कोई गुरु हो या किसी देवता को गुरु मानते हो तो उनके मंत्र का तीन बार जाप कर लें
यदि गुरु नहीं हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र का 3 बार जाप कर ले
ॐ श्री गुरु मण्डलाय नमः
इसके बाद अपने दाएं हाथ में एक चम्मच पानी रख लें और अपनी इच्छा (अर्थात मेरा और मेरे पति के बीच में संबंध अच्छा बना रहे ) ऐसी भावना करके उस जल को जमीन पर छोड़ देंगे
उसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप करेंगे
"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?
कैलास-पर्वत से आया।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।
सत्य नाम, आदेश गुरु की।
28 अक्तूबर को पूर्णिमा भी है चंद्र ग्रहण भी है उस दिन भी आप इसको १०८ बार या जितनी आपकी क्षमता हो उतनी बार कर सकते हैं . उसके बाद अगली पूर्णिमा तक इसे नित्य कम से कम ११ बार करें .
इसके आलावा आप निम्नलिखित समय में भी इस कर सकते हैं ;-
.....1....
इस मन्त्र को रोज 11 बार जाप होलिका दहन की रात्रि से प्रारंभ कर रामनवमी तक करें ।
हनुमान जयंती वाले दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
हनुमान जयंती के बाद किसी भी दिन से इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।
...,........2.....,
अगर ऐसा ना कर सके तो 108 जाप रोज पूरी नवरात्री में करें . आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।
.,........3......
यदि होली,नवरात्रि में ना कर पाएं तो किसी भी पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक रोज 11 बार जाप कर सकते हैं। आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
बिंदी या कुमकुम रखने में दिक्कत हो तो माता गौरी के भगवान शिव के साथ वाले स्वरूप का ध्यान करके जाप कर लेंगे । टीका या बिंदी लगाते समय इस मंत्र का जाप करते हुए टीका लगा लेंगे ।
.....,
ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
क्रोध करने से बचें और बेवजह का प्रलाप या बकवास ना करें
यह केवल आपके स्वयं के विवाहित पति के लिए काम करेगा .
प्रेमी के लिए काम नहीं करेगा .
चन्द्र ग्रहण में गुरु साधना
- चन्द्र ग्रहण में गुरु साधना करनी चाहिये.
- अप्सरा साधना, लक्ष्मी साधना के लिये यह सबसे श्रेष्ठ मुहुर्त होता है.
- सम्मोहन/वशीकरण साधना के लिये यह उपयुक्त समय होता है.
21 अक्तूबर 2023
शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर
शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर
हम सब गृहस्थ हैं । गृहस्थ व्यक्ति संसार छोडकर नहीं बैठा है । उसकी पत्नी है , पुत्र है , पुत्री है, माता है , पिता है , भाई है, बहन है , बंधु बांधव हैं । कुल मिलाकर उसके आसपास संबंधों का एक लंबा चौड़ा संसार है । जिसमें उसे कई प्रकार से धन की, लक्ष्मी की, आवश्यकता पड़ती है । अगर व्यवसाय है, तो वह चाहता है कि उसके पास ज्यादा ग्राहक आयें । उसका सामान ज्यादा बिके । उसे ज्यादा फायदा हो .... ऐसा चाहने में कुछ गलत भी नहीं है ।
अगर युवा है तो वह विविध प्रकार के भोग की इच्छा रखता है । विवाहित है, तो पत्नी के साथ भोग की इच्छा रखता है ; अगर आप उसे ब्रह्मचर्य रखने के लिए कहें तो वह उसके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है ।
ऐसी स्थिति में आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अपनी भोग की इच्छा की वजह से थोड़ा झिझक जाता है ; लेकिन सनातन धर्म में विशेष रूप से तंत्र साधनाओं में कई ऐसी विद्याएं हैं,जो भोग भी प्रदान करती है और आध्यात्मिक शक्तियां भी प्रदान करती है ।
इनमें सबसे प्रमुख है श्री विद्या या महाविद्या षोडशी त्रिपुर सुंदरी !
इनके विषय मे कहा गया है कि :-
श्री सुंदरी साधन तत्पराणाम् ,
भोगश्च मोक्षश्च करस्थ एव
अर्थात जो साधक श्री विद्या त्रिपुरसुंदरी साधना के लिए प्रयासरत होता है, उसके एक हाथ में सभी प्रकार के भोग होते हैं, तथा दूसरे हाथ में पूर्ण मोक्ष होता है । ऐसा साधक समस्त प्रकार के भोगों का उपभोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है । ऐसा भी कहा जा सकता है कि यह एकमात्र ऐसी साधना है जो एक साथ भोग तथा मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है ।
श्री विद्या की साधना करने के इच्छुक गृहस्थ साधकों के लिए 27-28 अक्तूबर 2023 को निखिलधाम, भोपाल मे श्री विद्या से संबन्धित शिविर का आयोजन गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी और गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य मे किया जा रहा है ।
आप 26 और 27 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी समस्याओं से संबन्धित दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
28 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता के द्वारा श्री विद्या का विशेष पूजन सम्पन्न होगा जो रात 9 बजे तक चलेगा । इस दौरान लक्ष्मी के विशिष्ट स्वरूपों और श्री विद्या का विशेष पूजन संपन्न करवाया जाएगा जो आर्थिक अनुकूलता के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।
कई पाठकों ने आर्थिक तंगी, व्यापार न चलने जैसे विषयों पर साधनात्मक समाधान की आवश्यकता बताई थी । मेरा निजी अनुभव है कि श्री विद्या से संबन्धित दीक्षा और मंत्र जाप आर्थिक उन्नति प्रदान करता ही है, चाहे आप किसी भी क्षेत्र मे हों ।
शरद पूर्णिमा ऐसे भी लक्ष्मी और श्री साधनाओं का सिद्ध मुहूर्त है और इस बार तो चंद्रग्रहण से युक्त भी है इसलिए इसका प्रभाव हजार गुना बढ़ जाएगा ।
इस अवसर का आप भी लाभ उठा सकते हैं और आर्थिक अनुकूलता के लिए श्री विद्या की दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
संपर्क करें :-
साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय
जैस्मिन – 429,
न्यू मिनाल रेसिडेंसी,
जे.के.रोड, भोपाल,म.प्र.
फोन- 0755-4269368
आप महाविद्या साधक परिवार के वीडियो यूट्यूब पर देख कर साधनात्मक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ।
https://www.youtube.com/c/mahavidhyasadhakpariwar
किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें :-
http://namobaglamaa.org/
14 अक्तूबर 2023
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में मन लगने तथा बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग नवरात्रि के अवसर पर आप कर सकते हैं ।
इसके लिए सामग्री
1 केसर आधा ग्राम या चौथाई ग्राम जो भी मिल जाए ।
2 सरस्वती माता का चित्र ।
3 तेल का दीपक।
सबसे पहले माँ या पिता जो भी अपने बच्चे को प्रयोग कराना चाहते हैं वह स्नान करके शुद्ध होकर सामने देवी का चित्र और दीपक जलाकर रख लेंगे ।
दीपक की लौ आपकी तरफ रहेगी ।
अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करें ।
1 माला या 5 मिनट तक गुरु मंत्र
।।ॐ गुरुभ्यो नमः ।।
उसके बाद एक घंटा या 11 माला सरस्वती मंत्र का जाप करें । जाप करते समय मन मे भाव रखेंगे कि आपके बच्चे पर महामाया सरस्वती कृपा करें और उनकी बुद्धि का विकास करें । एक बच्चे के लिए करने के बाद दूसरे बच्चे के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया दुहरानि
।। ऐं ऐं ऐं सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः ।।
केसर के 5-6 धागे को आधा चम्मच पानी मे भिगो कर घोल लें ।
बच्चे की जीभ में अपनी तर्जनी उंगली से सरस्वती बीज मन्त्र लिखें ।
ऐं
उसके बाद बच्चे को 5 मिनट सरस्वती चित्र के सामने सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए कहें ।
नित्य एक माला या 5 मिनट मन्त्र जाप करते रहेंगे तो ज्यादा लाभ होगा ।
यदि बड़े बच्चे हों तो वे स्वयं पहले जाप कर लें तथा बाद में केसर से बीज मंत्र लिख लें ।
जीभ में लिख रहे हैं । वहां लिखाया या नही यह देखने नही जाएंगे । अंदाजे से जीभ पर ऐं लिखना है बस ।
जीभ को पकड़ कर खींचना नही है मुंह के अंदर ही तर्जनी से आराम से माताजी का ध्यान करते हुए मन्त्र लिखना है ।
12 अक्तूबर 2023
महालक्ष्मी के 108 नाम से पूजन
श्री लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम या महालक्ष्मी के 108 नाम
सबसे पहले महालक्ष्मी जी को हाथ जोड़कर ध्यान करलें :-
सरसिज निलये सरोज हस्ते धवलतरांशुक गन्ध माल्य शोभे ।
भगवति हरि वल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥
हिन्दी भावार्थ - हे महामाया महालक्ष्मी ! आप कमल फूलो से भरे हुए वन में निवास करनेवाली हो, आपके हाथों में सुंदर कमल है। आपके वस्त्र अत्यन्त उज्ज्वल हैं । आपके दिव्य देह पर अत्यंत मनोहर गन्ध और सुंदर सुंदर मालाएँ डाली हुई हैं । हे भगवान श्री हरी की प्रिया आपका स्वरूप अत्यंत मनमोहक है । आपकी कृपा से त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्राप्त हो सकता है आप मुझपर प्रसन्न होकर कृपा करें ।
ऐसा ध्यान करेंगे ।
इसके बाद अपने पूजा स्थान/दुकान/ एकांत कक्ष मे अपने सामने लक्ष्मी चित्र/ यंत्र/ श्रीयंत्र/ चाँदी सिक्का/ लक्ष्मी मूर्ति (जो आपके पास उपलब्ध हो ) रखकर भगवती लक्ष्मी के 108 नामों का उच्चारण करें और हर बार नम: के साथ फूल /कुमकुम/ चावल/ अष्टगंध चढ़ाएं ।
ॐ श्रीं अदित्यै नमः ।
ॐ श्रीं अनघायै नमः ।
ॐ श्रीं अनुग्रहप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं अमृतायै नमः ।
ॐ श्रीं अशोकायै नमः ।
ॐ श्रीं आह्लादजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दिरायै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दुशीतलायै नमः ।
ॐ श्रीं उदाराङ्गायै नमः ।
ॐ श्रीं कमलायै नमः ।
ॐ श्रीं करुणायै नमः ।
ॐ श्रीं कान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं क्रोधसम्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं चतुर्भुजायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्ररूपायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रवदनायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रसहोदर्यै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रायै नमः ।
ॐ श्रीं जयायै नमः ।
ॐ श्रीं तुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं त्रिकालज्ञानसम्पन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दित्यै नमः ।
ॐ श्रीं दीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं धनधान्यकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं धन्यायै नमः ।
ॐ श्रीं धर्मनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं नवदुर्गायै नमः ।
ॐ श्रीं नारायणसमाश्रितायै नमः ।
ॐ श्रीं नित्यपुष्टायै नमः ।
ॐ श्रीं नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मगन्धिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मनाभप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममालाधरायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मसुन्दर्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्महस्तायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्माक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मालयायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मोद्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं परमात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं पुण्यगन्धायै नमः ।
ॐ श्रीं पुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं प्रकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रभायै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसन्नाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसादाभिमुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं बिल्वनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं बुद्धये नमः ।
ॐ श्रीं ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं भास्कर्यै नमः ।
ॐ श्रीं भुवनेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं मङ्गळा देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं महाकाल्यै नमः ।
ॐ श्रीं महादीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं महादेव्यै नमः ।
ॐ श्रीं यशस्विन्यै नमः ।
ॐ श्रीं रमायै नमः ।
ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं लोकमात्रे नमः ।
ॐ श्रीं लोकशोकविनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरारोहायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं वसुन्धरायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं वाचे नमः ।
ॐ श्रीं विकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विद्यायै नमः ।
ॐ श्रीं विभावर्यै नमः ।
ॐ श्रीं विभूत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विमलायै नमः ।
ॐ श्रीं विश्वजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुपत्न्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ।
ॐ श्रीं शान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं शिवकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं शिवायै नमः ।
ॐ श्रीं शुक्लमाल्याम्बरायै नमः ।
ॐ श्रीं शुचये नमः ।
ॐ श्रीं शुभप्रदाये नमः ।
ॐ श्रीं शुभायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रद्धायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रियै नमः ।
ॐ श्रीं सत्यै नमः ।
ॐ श्रीं समुद्रतनयायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वभूतहितप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं सिद्धये नमः ।
ॐ श्रीं सुधायै नमः ।
ॐ श्रीं सुप्रसन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं सुरभ्यै नमः ।
ॐ श्रीं स्त्रैणसौम्यायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वधायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वाहायै नमः ।
ॐ श्रीं हरिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं हरिवल्लभायै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्मय्यै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्यप्राकारायै नमः ।
ॐ श्रीं हेममालिन्यै नमः ।
अन्त मे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना कर लें ।
यह पूजन आप रात्री मे कर सकते हैं । अगर ऐसा संभव ना हो तो आप दिन में किसी भी समय इसे कर सकते हैं ।
अगर आपने श्री यंत्र के ऊपर पूजन किया है तो पूजा करने के बाद उस यंत्र को आप पूजा स्थान में या अपने पैसा रखने वाले गल्ले में रख सकते हैं ।
11 अक्तूबर 2023
रोगनाशक महाकाली मंत्र
॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥
- यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
- इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
- यथा शक्ति जाप करें.
- इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
- रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
- जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
- जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
- ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
- आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
- रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
- पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
- पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
- एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
- अगली पूर्णिमा को उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।