4 मई 2020

नवरात्रि विशेष : छिन्नमस्ता साधना




॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....



  1. प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
  2. यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. 
  3. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. 
  4. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. 
  5. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. 
  6. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. 
  7. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
----
साधना में गुरु की आवश्यकता
        मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.
        साधना से उठने वाली उर्जा को गुरु नियंत्रित और संतुलित करता हैजिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
        गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए. अगर बैठकर ना कर पायें तो चलते फिरते भी आप मन्त्र जाप कर सकते हैं.
गुरु के बिना साधना
        स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
        जिन मन्त्रों में 108 से ज्यादा अक्षर हों उनकी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
        शाबर मन्त्र तथा स्वप्न में मिले मन्त्र बिना गुरु के जाप कर सकते हैं .
        गुरु के आभाव में स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरश्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.
    
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखेंढिंढोरा ना पीटेंबेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y      बकवास और प्रलाप न करें.
Y      किसी पर गुस्सा न करें.
Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y      ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म लगातार गर्भपातसन्तान ना होना अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y      भूतप्रेतजिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
मंत्र जाप में दिशाआसनवस्त्र का महत्व
Y      साधना के लिए नदी तटशिवमंदिरदेविमंदिरएकांत कक्ष श्रेष्ट माना गया है .
Y      आसन में काले/लाल कम्बल का आसन सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ट माना गया है .
Y      अलग अलग मन्त्र जाप करते समय दिशाआसन और वस्त्र अलग अलग होते हैं .
Y      इनका अनुपालन करना लाभप्रद होता है .
माला तथा जप संख्या
Y      रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला धारण करने से आध्यात्मिक अनुकूलता मिलती है .
Y      रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती अगर अलग से निर्देश न हो तो सभी साधनाओं में रुद्राक्ष माला से मन्त्र जाप कर सकते हैं .
Y      एक साधना के लिए एक माला का उपयोग करें |
Y      सवा लाख मन्त्र जाप का पुरश्चरण होगा |
Y      गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं. इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
सामान्य हवन विधि
Y      जाप पूरा होने के बाद किसी गोल बर्तन, हवनकुंड में हवन अवश्य करें | इससे साधनात्मक रूप से काफी लाभ होता है जो आप स्वयं अनुभव करेंगे |
Y      अग्नि जलाने के लिए माचिस का उपयोग कर सकते हैं | इसके साथ घी में डूबी बत्तियां तथा कपूर रखना चाहिए
Y      जलाते समय “ॐ अग्नये नमः” मन्त्र का कम से काम 7 बार जाप करें | जलना प्रारंभ होने पर इसी मन्त्र में स्वाहा लगाकर घी की 7 आहुतियाँ देनी चाहिए |
Y      बाजार में उपलब्ध हवन सामग्री का उपयोग कर सकते हैं |
Y      हवन में 1250 बार या जितना आपने जाप किया है उसका सौवाँ भाग हवन करें | मन्त्र के पीछे “स्वाहा” लगाकर हवन सामग्री को अग्नि में डालें |
भावना का महत्व
Y      जाप के दौरान भाव सबसे प्रमुख होता है जितनी भावना के साथ जाप करेंगे उतना लाभ ज्यादा होगा.
Y      यदि वस्त्र आसन दिशा नियमानुसार ना हो तो भी केवल भावना सही होने पर साधनाएं फल प्रदान करती ही हैं .
Y      नियमानुसार साधना न कर पायें तो जैसा आप कर सकते हैं वैसे ही मंत्र जाप करें लेकिन साधनाएं करते रहें जो आपको साधनात्मक अनुकूलता के साथ साथ दैवीय कृपा प्रदान करेगा |
Y      देवी या देवता माता पिता तुल्य होते हैं उनके सामने शिशुवत जाप करेंगे तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगेगा |

22 अप्रैल 2020

गुरुदेव के आडिओ वीडियो प्रवचन : सबके लिये






मेरे गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी तंत्र तथा
आयुर्वेद के ख्याति प्राप्त विद्वान थे ।
उनका जन्म 21 अप्रेल सन 1935 को हुआ था ।
उनका देहांत 3 जुलाई 1998 में हो गया । 

उन्होंने विभिन्न विषयों पर लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा
किताबें लिखी हैं ।
किताबों के विषय ज्योतिष और हस्तरेखा शास्त्र से लेकर
तंत्र और पारद विद्या तक विस्तृत है । 
प्रख्यात फिल्म रजनीगंधा की पटकथा भी
उन्होंने ही लिखी थी । 
विश्व का सर्वप्रथम तांत्रिक उपन्यास " शमशान भैरवी" 
उन्होंने ही लिखा था । 
जब वे किसी विषय पर बोलते थे ...
तो उस पर लगातार घंटों बोल लेते थे । 
ऐसा लगता था ....
जैसे उनके कंठ में साक्षात
भगवती सरस्वती विराजमान हो ।  

मंत्रों का और साधनाओं का
उनके पास अकूत भंडार था । 
जब वे तांत्रिक प्रयोग कराते थे...
तो 30-32 पेज के मंत्र ...
जिनको बोलने में लगभग
आधा से 1 घंटे का समय लगता है
वह बिना कोई कागज देखें बोल लेते थे ।
चारों वेद उनको कंठस्थ थे ..... 

उन्होंने अपने जीवन काल में
अनेक बड़ी-बड़ी हस्तियों को मार्गदर्शन दिया है । 
ज्योतिष के क्षेत्र में उनकी राय को
भारत का ज्योतिष जगत प्रमाणित मानता रहा है ....
भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर
भूतपूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा
और ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी तक
उनके कई प्रतिष्ठित समर्थक रहे हैं । 

उनके कई प्रयोगों के ऑडियो और वीडियो आज भी उपलब्ध हैं
जिन्हें सुनकर आप लाभ उठा सकते हैं ।  

https://www.youtube.com/@Nikhileshwaranandji


गुरुदेव निखिलेश्वरानंद साधना









परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  • तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
  • नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
  • जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
  • यथा संभव मौन रहेंगे.
  • किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.

  1. यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं. 
  2. यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
  3. यह साधना वैराग्य की साधना है.
  4. यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
  5. यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
  6. इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.

21 अप्रैल 2020

गुरु जन्मदिवस : 21 अप्रेल


पूज्यपाद गुरुदेव 
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी 
(डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) 


21 अप्रेल : जन्मदिवस

मेरे परम आदरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी जो सामान्यतः डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के नाम से जाने जाते हैं .

तन्त्र साधनाओं के पुरोधा, ज्योतिष विद्या के अनन्य ज्ञाता और कर्मकाण्ड के सिद्धहस्त विद्वान.

भारतवर्ष से लगभग विलुप्त हो चुकी आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का भागीरथ प्रयत्न करने वाले युगपुरुष......

संपूर्ण विश्व में साधनारत करोडों शिष्यों को साधना का अमृतपान कराने वाले जगद्गुरु के चरणों में सादर नमन..............

मैं आज इस क्षेत्र मे जो भी अल्प ज्ञान प्राप्त कर पाया हूं वह मेरे गुरु की अहेतुकि कृपा है.

मेरी लेखनी में वह क्षमता नहीं है कि मेरे सद्गुरुदेव के विराट व्यक्तित्व का अंश मात्र भी वर्णन कर सके....

क्षमस्व गुरुदेव ...
क्षमस्व गुरुदेव ......
क्षमस्व गुरुदेव .........

न गुरोरधिकम...........
न गुरोरधिकम...........................


न गुरोरधिकम.............................................


संक्षिप्त गुरुपूजन







संक्षिप्त गुरुपूजन
----------------------
यहाँ पर संक्षिप्त गुरुपूजन विधि प्रस्तुत कर रहा हूं .. इसे आप अपने नित्य दैनंदिन साधना मे कर सकते है ..
हाथ जोडकर प्रणाम करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ॐ ह्रीम दशमहाविद्याभ्यो नम:
फिर गुरुदेव का ध्यान करे
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:
ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं
मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा
गुरुकृपाहि केवल गुरुकृपाहि केवलं
गुरुकृपाहि केवलं गुरुकृपाहि केवलं
श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि
श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम:
अगर आपके पास समय कम है तो आप सीधे गुरुमंत्र का जाप शुरु करे .. नही तो सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे और पूजन के बाद गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का भी पाठ अवश्य करे ..
अब सदगुरुदेव का मानसिक पूजन या उपलब्ध सामुग्री से पंचोपचार पूजन करे .. मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामुग्री से पूजन करते समय उचित सामुग्री का उपयोग करे
ॐ " लं " पृथ्वी तत्वात्मकं गंधं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " हं " आकाश तत्वात्मकं पुष्पम समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " यं " वायु तत्वात्मकं धूपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " रं " अग्नी तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " वं " जल तत्वात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " सं " सर्व तत्वात्मकं तांबूलं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
अब हाथ जोडकर गुरु पंक्ति का पूजन करे
ॐ गुरुभ्यो नम:
ॐ परम गुरुभ्यो नम:
ॐ परात्पर गुरुभ्यो नम:
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
ॐ दिव्यौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ सिद्धौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ मानवौघ गुरुपंक्तये नम:
आप चाहे तो निम्न गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का पाठ करे .. अगर स्तोत्र पाठ नही करना है तो सीधे आगे का पूजन करे
गुरुपादुका पंचक स्तोत्र
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! १ !!
ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! २ !!
होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ
होमादि सर्वाकृति भासमानं
यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ३ !!
अनंत संसार समुद्रतार
नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां
जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ४ !!
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां
विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां
बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ५ !!
अब एक आचमनी जल मे चंदन मिलाकर अर्घ्य दे या मानसिक स्तर पर अर्घ्य दे ..
ॐ गुरुदेवाय विद्महे परम गुरवे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
अब गुरुमंत्र का यथाशक्ती जाप करे
ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
अंत मे जप गुरुदेव को अर्पण करे
ॐ गुह्याति गुह्यगोप्ता
त्वं गृहाणास्मत कृतं जपं
सिद्धिर्भवतु मे गुरुदेव त्वतप्रसादान्महेश्वर !!
अब एक आचमनी जल अर्पण करे
अनेन पूजनेन श्री गुरुदेव प्रीयंता मम !!


12 अप्रैल 2020

विश्व कल्याण हेतु समूहिक मंत्र जाप मे शामिल हो,



गुरुदेव प.पू. श्री सुदर्शननाथ जी ने आज के इस महामारी के भयावह वातावरण मे साधकों को आध्यात्मिक कवच प्राप्ति हेतु पाशुपत मंत्र की साधना करने के लिये कहा था .. 

और उनके आदेश अनुसार सभी साधक व्यक्तिगत स्तर पर पाशुपत मंत्र साधना कर रहे हे .. 

हम कुछ साधक मिलकर संकल्प लेकर सामुहिक स्तर पर अपने अपने घर मे बैठकर सोमवार 6 एप्रिल से सोमवार 13 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 की बीच कम से कम 11 माला पाशुपत मंत्र का जाप कर रहे है .. 

कल सोमवार दि.13 एप्रिल को वह सामूहिक अनुष्ठान समाप्त होगा ॥ 

जिसमे लगबग 400 लोगोका मिलकर करीब 40 लाख की संख्या मे पाशुपत मंत्र जाप पूरा होगा ..

Lock down अब 30 एप्रिल तक बढाया गया है .... 

इसलिए हम लोगो ने अब 14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक एक साधना और 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक एक और साधना करने का संकल्प लिया है .. 

आप चाहे तो आप भी इसमे शामिल हो सकते है .. 

अपने घर मे ही बैठकर साधना कर सकते है .. 

एक ही समय ज्यादा संख्या मे साधक एक ही मंत्र का जाप करते है तो निश्चित तौर पर एक बहुत बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होता है और कई साधकों ने अभी इसका अनुभव भी किया है .. 

इस साधना के दौरान कई साधकों को आध्यात्मिक अनुभूती हुयी है .सामुहिक संकल्प शक्ति मे उर्जा का निर्माण ज्यादा मात्रा मे होता है ..


गुरु मंत्र का सामूहिक जाप :-

14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक हमे ब्रह्मांडीय गुरु मंडल की कृपा प्राप्ती हेतु

" ॐ परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम: "

इस मंत्र का जाप करना है . 

इसे आपको मंगलवार 14 एप्रिल से मंगलवार 21 एप्रिल तक रोज शाम को 7 से 8 के बीच अपने घर मे बैठकर करना होगा .

अपने परिवार पर गुरुमंडल की कृपा प्राप्ति हेतु इस मंत्र का जाप अवश्य करे .. 

गुरुकृपा से बडे से बडे संकट टल जाते है और दुर्भाग्य सौभाग्य मे परिवर्तित होता है .. .. 

आज के इस माहोल मे गुरुओं की कृपा निश्चित तौर पर जरुरी है .. 

गुरुमंडल की कृपा से आप और आपका परिवार किसी भी प्रकार की बाधा से सदैव सुरक्षित रहेगा .. 

आप या तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप कर सकते है या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप कर सकते है या पुरे 7 से 8 के बीच जाप कर सकते है .. 

मंत्र जाप के लिये किसी भी माला का उपयोग कर सकते है चाहे वो स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला हो या और कोई माला हो .. 

माला अगर नही है तो बिना माला के भी जाप कर सकते है . 

आप कितनी भी संख्या मे इस मंत्र का जाप कर सकते है ..

21 एप्रिल को सिद्धाश्रम के महान योगी सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराजजी की जयंती है .

21 एप्रिल को यह साधना उन्हे समर्पित होगी और निश्चित ही साधना करनेवाले सभी को उनका अनमोल आशिर्वाद प्राप्त होगा ..


महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक जाप :- 


22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक हम गुरुमुख से प्राप्त तांत्रोक्त महामृत्युंजय मंत्र 

" ॐ ह्रौं जुं स: ॐ " 
( उच्चारण ॥  ॐ ह्रौम जुम स: ॐ ॥ ऐसा होगा ) 

इस मंत्र का जाप कमसेकम 11 माला जाप करेंगे .. 

यह मंत्र गुरुमाता डॉ. साधना जी ने सभी लोगों के लिये प्रदान किया है उत्तम स्वास्थ्य हेतु , समस्त रोग बाधा निवारण हेतु , अकाल मृत्यु एवं अपमृत्य निवारण हेतु ..
इस साधना को सभी को करना चाहिये .. 
यह एक बहुत भी चमत्कारिक और प्रभावशाली मंत्र है .. 

अपने जीवन मे मैने इस मंत्र की साधना से कई लोगों को लाभ प्राप्त हुआ देखा है .. 

गुरुकृपा से यह मंत्र प्राप्त हुवा है तो इसे अवश्य करे और अपनी नित्य साधना मे सदैव इस मंत्र का कमसेकम एक माला मंत्र जाप अवश्य करते रहे ..

आप कोई भी व्यक्ति अपने और अपने समस्त परिवार के उत्तम स्वास्थ हेतु इस मंत्र का जाप कर सकते है . 

जैसा उपर बताया गया है की आप 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 के बीच इस मंत्र का जाप करे 

आप चाहे तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप करे या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप करे या फिर शाम को 7 से 8 के बीच जाप करे .. 

आपको कमसेकम 11 माला मंत्र जाप करना है .. 
ज्यादा संख्या मे कर सकते है तो अतिउत्तम ..

आप अपने परिवार के अन्य सदस्य या मित्र परिवार या परिचित के लोगों को भी इस साधना मे शामिल होने के लिये कह सकते है .. 

कोई भी श्रद्धालू व्यक्ति इन साधनाओं को संपन्न कर सकता है .. 

वैसे भी आनेवाले कुछ दिन और lock down हर जगह होगा तो हमे साधना के लिये समय भी मिल रहा है और समय का सदुपयोग अवश्य करना चाहिये .. 

इतने लोग एक साथ एक समय अपने अपने घर मे बैठकर साधना करते है तो निश्चित ही बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होगा .... 

जो एक साधक को और पुरे समाज को आध्यात्मिक शक्तियों की कृपा से किसी भी आपदा से सुरक्षित रखेगा ..



8 अप्रैल 2020

साधना सिद्धि विज्ञान PDF : श्री हनुमान विशेषांक



साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका 
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना भैरव साधनाकाली साधनाअघोर साधनाअप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी . इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा . देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी . 
------------------------------------------------------------------------------------ 
वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
------------------------------------------------------------------------------------ 
साधना सिद्धि विज्ञान शोप न. प्लाट न. 210 एम.पी.नगर भोपाल [म.प्र.] 462011 
------------------------------------------------------------------------------------ 
साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है . यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
------------------------------------------------------------------------------------ 
पत्रिका सदस्यतासमस्या तथा विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा निशुल्क दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें 
समय = सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक [ रविवार अवकाश ] phone -[0755]-4283681

श्री हनुमान सामान्य हवन विधि





  • पहले एक हवन कुंड या पात्र में लकडियां जमायें.
  • अब उसमें "आं अग्नये नमः" मंत्र बोलते हुए आग लगायें.
  • ७ बार "ॐ अग्नये स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • ३ बार "ॐ गं गणपतये स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • ३ बार "ॐ भ्रं भैरवाय स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • २१ बार "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • 11 बार  "ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा"  मंत्र से आहुति डालें.
  • अब जिस हनुमान मन्त्र का जाप कर रहे थे उस मन्त्र से स्वाहा लगाकर  १०८ बार आहुति डालें.
  • अंत में अपने दोनों कान पकडकर गलतियों के लिये क्षमा मांगे.

बीज मंत्रात्मक हनुमान साधना



॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॐ ॥

  • यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है. 
  • जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें.
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • एक समय भोजन करें.
  • बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
  • दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें.
  • रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें.
  • लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर  जाप करें.
  • गुड तथा चने का भोग लगायें.
  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.

  • ११००० जाप करें
  • ११०० मन्त्रों से हवन करें.
  • साधना पूर्ण होने पर एक छोटे बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.

हनुमान जी पर सिन्दूर चोला



  • हनुमान जी पर सिन्दूर घोलकर लेप करने को चोला चढाना कहते हैं .

  • हनुमान जी पर चोला चढाने के लिये सिन्दूर को तेल में घोलकर पूरी मूर्ति पर लेप किया जाता है.

  • लेप करने के बाद उनके चरणों से सिन्दूर लेकर अपने माथे तथा हृदय पर लगाना चाहिये.कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें.
  •  यदि संभव हो तो सुंदर कांड का पाठ भी लाभदायक रहेगा.
  • चोला चढाने से पहले कम से कम एक दिन का ब्रह्मचर्य जरूर रखें. चोला चढाने के बाद कम से कम एक दिन सात्विक आहार आचार व्यवहार रखें तो ज्यादा लाभ होगा.

साथ में बंदरों को चने या उनके पसंद की कोई सामग्री खिलाना भी लाभ प्रद होगा.








रुद्ररूप हनुमान साधना





॥ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं रुद्ररूपाय महासिद्धाय ह्रीं ह्रीं ह्रीं नमः 

यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है.  
जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें. 
ब्रह्मचर्य का पालन करें. 
एक समय भोजन करें. बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें. 
रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें. 
लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर  जाप करें. 
गुड तथा चने का भोग लगायें. 
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
११००० जाप करें ११०० मन्त्रों से हवन करें. 


साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.