॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....
प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.