FAQ : साधनात्मक जानकारियां
1.साधना कौन कर सकता है ?
सनातन धर्म में जाति या धर्म का कोई बंधन नही माना जाता है. किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति जो सनातन धर्म पर निष्ठा रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह साधनायें कर सकता है.
२.क्या गुरु के बिना भी साधनायें की जा सकती हैं ?
गुरु के बिना साधनायें स्तोत्र तथा सहस्रनाम पाठ के रूप में की जा सकती हैं. मंत्र की सिद्धि के लिये गुरु का होना जरूरी माना गया है.
३. गुरु का साधनाओं में क्या महत्व है ?
गुरु का तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है. वह साधना के मार्ग पर चला है इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है. मंत्र साधनाओं से शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है, इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है. गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है.
४. क्या साधनाओं से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है ?
.साधनाओं से जीवन की विविध समस्याओं का समाधान का मार्ग मिलता है.
५. क्या आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो सकता है ?
. हाँ आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन संभव है. इसके लिए तीन बातें अनिवार्य हैं :-
- एक सक्षम गुरु का शिष्यत्व.
- इष्ट और मंत्र में पूर्ण विश्वास.
- शुद्ध ह्रदय से लगन और समर्पण के साथ साधना.
६. कुछ साधनाओं में ब्रह्मचर्य को अनिवार्य क्यों माना जाता है ?
.ब्रह्मचर्य से शरीर का आतंरिक बल बढ़ता है, उग्र साधनाएँ जैसे बजरंग बली या भैरव साधना में यह आतंरिक बल साधक को जल्द सफलता दिलाता है.
७. क्या साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा का निवारण संभव है ?
.मातंगी , हरगौरी, तथा शिव साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा दूर हो सकती है. इनका फल तब ज्यादा होता है जब वही व्यक्ति साधना करे जिसके विवाह में बाधा आ रही है.
८. क्या साधनाओं से धन की प्राप्ति संभव है ?
.साधना के द्वारा आसमान से धन गिरने जैसा चमत्कार नहीं होता है . लक्ष्मी, कुबेर जैसी साधनाएँ करने से धनागमन के मार्ग अवश्य खुलने लगते हैं. इसमें साधक को प्रयत्न तो स्वयं करना होता है , लेकिन सफलता दैवीय कृपा से जल्द मिलने लगती है.
.९. क्या यन्त्र चमत्कारी होते हैं ?
.यन्त्र मात्र एक धातु का टुकड़ा होता है जिसपर सम्बंधित देवी या देवता का यन्त्र अंकित होता है. यह चमत्कारी नहीं होता यदि ऐसा होता तो श्री यंत्र रखने वाला हर व्यक्ति धनवान होना चाहिये. लेकिन ऐसा नही होता.यंत्र की भी प्राण प्रतिष्ठा करनी पडती है.जब एक उच्च कोटि का गुरु या साधक उसका पूजन करके उस देवी या देवता की प्राण प्रतिष्टा यन्त्र में करता है तब वह चमत्कारी बन जाता है.
.तांत्रिक विग्रह क्या है ? उसके क्या लाभ हैं ?
.तांत्रिक विग्रह देवी या देवता के तांत्रोक्त स्वरूप होते है. इनका निर्माण जिस पदार्थ /धातु/रत्न से किया जाता है वह उस देवी या देवता की कृपा प्राप्ति को और सहज बना देता है. यूं समझ लें कि ८० प्रतिशत काम ऐसे विग्रह की स्थापना से ही हो जाता है. बाकी २० प्रतिशत काम उसके पूजन द्वारा हो जाता है.
- पारद शिवलिंग.
- पारद काली.
- पारद लक्ष्मी.
- पारद श्री यंत्र.
- पारद कवच.
- रत्न निर्मित गणपति/काली/लक्ष्मी/शिवलिंग.
- श्वेतार्क गणपति.
- तांत्रोक्त काली/भैरवि/योगिनी विग्रह. इत्यादि
ये विग्रह गुरुदेव के निर्देशानुसार ही प्राप्त /स्थापित और पूजित करें.