10 फ़रवरी 2011

छिन्नमस्ता साधना, सामान्य नियम

प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.

  1. यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है.
  3. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है.
  4. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें.
  5. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें.
  6. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें.
  7. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.


8 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना





विद्या तथा बुद्धि के विकास के लिये सरस्वती साधना की जाती है.

सरस्वती बीज मन्त्रम:-


॥ ऎं ॥



इस मन्त्र का १.२५ लाख जाप ब्रह्म मुहुर्त में करने से लाभ होता है.

5 फ़रवरी 2011

दुर्गा मन्त्रम




॥ ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ॥

सर्वविध गृहस्थ सुख प्रदायक साधना है.
सवा लाख जप संख्या है.

4 फ़रवरी 2011

कृष्णं वन्दे जगद्गुरु,,,,,



॥ क्लीं कृष्णाय नमः ॥

  1. सवा लाख जाप.
  2. पूर्ण गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिये.
  3. समय तथा दिशा का बंधन नही.

3 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना




॥ वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ॥





  1. ब्रह्म मुहुर्त में २१,००० जाप करें.
  2. स्फ़टिक माला का प्रयोग करें
  3. जाप के बाद माला गले मे पहन लें.

2 फ़रवरी 2011

कुंडलिनी जागरण मन्त्र

विशेष तथ्य :-

  1. कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
  2. कुन्डलिनी जागरण  साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
  3. यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
  4. इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
  5. यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
  6. यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
  7. यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी  को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
स्वामी सुदर्शननाथ जी

|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||  

  • यह एक अद्भुत मंत्र है. 
  • इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है. 
  • प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
  • जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
  • मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः

वाग्वादिनी साधना



॥ ऊं नमः पद्मासने शब्द रूपे ऎं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनि स्वाहा ॥


  1. प्रतिदिन 1008 बार जाप.
  2. पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  3. सफ़ेद वस्त्र तथा आसन .
  4. पूर्व दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.

लाभ - विद्या तथा एकाग्रता

1 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना




॥ ऎं श्रीं ऎं ॥

  1. कुल १,२५,००० जाप
  2. सफ़ेद वस्त्र तथा आसन
  3. प्रातः ब्रह्म मुहुर्त में जाप सुबह ४ से ६ बजे तक.
  4. साधना काल में किसी को बुरा भला ना कहें
  5. क्रोध से बचें

लाभ - विद्या तथा वाकपटुता





31 जनवरी 2011

जगदम्बा



॥ ऊं साम्ब सदाशिवाय नमः ॥

शिव तथा जगदम्बा का संयुक्त मन्त्र है, शिव शक्ति की कृपा प्राप्त होती है ।

26 जनवरी 2011

हनुमान मन्त्र - साधना के नियम


  1. ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
  2. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
  3. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
  4. जाप संख्या ११,००० होगी.
  5. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
  6. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
  7. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
  8. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा.
  9. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.

25 जनवरी 2011

22 जनवरी 2011

बगलामुखी 36 अक्षरी मन्त्रम

॥ ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा ॥

18 जनवरी 2011

बगलामुखी ध्यान

मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्न वेधां, सिंहासनो परिगतां परिपीत्वर्णाम ।

पीताम्बराभरण माल्य विभूषितांगीम ,देवीं नमामि धृतमुद्गर वैरि जिह्वाम ॥