3 अप्रैल 2011

त्रिपुर भैरवी साधना



॥ हसै हसकरी हसै ॥


लाभ - शत्रुबाधा, तन्त्रबाधा निवारण.


विधि ---

  • नवरात्रि में जाप करें.
  • दिये हुए चित्र को फ़्रम करवा लें.
  • यन्त्र के बीच में देखते हुए जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • काला रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधना काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.


2 अप्रैल 2011

सरस्वती साधना




॥ ऎं श्रीं ऎं ॥ 


लाभ - विद्या तथा वाकपटुता 



विधि ---

  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.

चामुण्डा साधना




  ॥    ऐं 
ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै  ॥


यह नवार्ण मन्त्र है.

इसमे 

ऐं  महासरस्वति का बीज मन्त्र है.

ह्रीं महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है.

क्लीं महकाली का बीज मन्त्र है.


इससे तीनों देवियों की कृपा मिलती है.

नवरात्रि मे इस मन्त्र का यथा शक्ति जप करने से महामाया की कॄपा प्राप्त होती है .

विधि ---
नवरात्रि में जाप करें.
रात्रि काल में जाप होगा.
रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
किसी स्त्री का अपमान न करें.
किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
यथा संभव मौन रखें.
साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.

धूमावती साधना




  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना ३ अप्रेल अमावस्य की रात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें



जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.

अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
काले रंग का धागा अपनी कमर पर तीन लपेट लगाकर बान्धें. 

अब रुद्राक्ष की माला से १०८ माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें

॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


जाप के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल पर धागे को लपेट दें. इसे अब तीन बार सिर से पांव तक तथा पांव से सिर तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.
अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को बाहर फ़ेंक दें इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडि होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें

1 अप्रैल 2011

काल भैरव




  1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है.
  2. नीचे लिखे मन्त्र की १०८ माला ३ अप्रेल अमावस्या की रात्रि को करें.
  3. काले रंग का वस्त्र तथा आसन रहेगा.
  4. दिशा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें
  5. इस साधना से भय का विनाश होता है तथा साह्स का संचार होता है.
  6. यह तन्त्र बाधा, भूत बाधा,तथा दुर्घटना से रक्षा प्रदायक है.



॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

ललिता त्रिपुरसुन्दरी


॥ ह्रीं क ए इ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॥



लाभ - सर्व ऐश्वर्य प्रदायक साधना है.

विधि ---
  • नवरात्रि में जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • गुलाबी रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  • बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.



31 मार्च 2011

महाकाली साधना


॥ क्रीं महाकाल्यै नमः ॥

लाभ - शत्रु बाधा, कवित्व, बुद्धि, मानसिक प्रबलता,पुरुषत्व.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. काले रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  8. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  9. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  10. यथा संभव मौन रखें.
  11. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.


बगलामुखी मन्त्रम

बगलामुखी मन्त्रम :-


॥ ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय

 जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा ॥


लाभ - आंतरिक तथा बाह्य दोनों,शत्रु बाधा निवारण के लिये.

विधि ---
  • नवरात्रि में जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • पीले रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.भोजन में बेसन की बनी एक वस्तु अवश्य रखें.
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.

30 मार्च 2011

दुर्गा साधना





मंत्रम ---  ॥ ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ॥

लाभ :--- सर्वविध गृहस्थ सुख प्रदायक साधना है.

विधि :-
  • नवरात्रि में जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  • बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.


29 मार्च 2011

महाकाली यन्त्रम



॥ क्रीं ॥

यन्त्र के मध्य के बिन्दु पर ध्यान लगाकर काली बीज का जाप करें 

27 मार्च 2011

विश्वशान्ति हेतु : शान्ति मन्त्र


हम एक विनाशकारी समय से गुजर रहे हैं. ऐसे में यथाशक्ति शांति मन्त्रों का जाप विश्वशांति के लिये करना लाभदयक होगा ।

विश्वशान्ति हेतु : शान्ति मन्त्र

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुं) शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: । वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्व (गुं) शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥ 


इस मन्त्र का जाप इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर शांति हो.


24 मार्च 2011

विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र

हम एक विनाशकारी समय से गुजर रहे हैं. ऐसे में यथाशक्ति शांति मन्त्रों का जाप विश्वशांति के लिये करना लाभदायक होगा ।


विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥


जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥


चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥


ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥


दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥


ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥


शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥


इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर शांति हो.

21 मार्च 2011

पंचमुखी हनुमान



॥ ऊं पंचवक्त्राय हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा ॥

दक्षिण दिशा में मुख करके रात्रि ९ से ३ के बीच लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर वज्रासन या वीरासन में यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.

18 मार्च 2011

महाकाली




॥ क्रीं महाकाल्यै नमः ॥


  1. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
  2. दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
  3. रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
  4. पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.


15 मार्च 2011

शिवशक्ति साधना



॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

यह मन्त्र सतत [ चलते फ़िरते] जाप करें.यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

11 मार्च 2011

गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी : जन्म दिवस


११ मार्च

 मेरे आदरणीय गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथजी का जन्म दिवस

निखिलकृपा से आप शतायु हों....

आपकी कृपा शिष्यों को इसी प्रकार मिलती रहे...








गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी



एक विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर तन्त्र साधनाओं के विश्व्वविख्यात गुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.






डॉ . नारायण दत्त श्रीमाली जी के देहत्याग [ ३ जुलाई १९९८ ] के बाद साधनाओं के पुनरुत्थान तथा साधकों के निर्माण में सतत गतिशील गुरुवर स्वामी सुदर्शन नाथजी ने दस महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन किया है वह अपने आप में एक मिसाल है.


परम गोपनीय शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता तक ...... और कामकलाकाली तन्त्र से लेकर गुह्यकाली तक........


तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव की सीमा से परे नहीं है.



लुप्तप्राय हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर सहस्रनाम स्तोत्रों और दुर्लभ पूजन विधियों का अकूत भन्डार साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका के माध्यम से अपने शिष्यों के लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन है .


आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....


ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.








गुरु देव स्वामी सुदर्शननाथ जी से सीधे सम्पर्क का समय :



सायं  से  बजे तक (रविवार अवकाश)



दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681