एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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8 जुलाई 2016
7 जुलाई 2016
तारा महाविद्या साधना
- तारा काली कुल की महविद्या है ।
- तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
- यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
- गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
- साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।
तारा मंत्रम
॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
- मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के
- बीच करना चाहिये.
- यह रात्रिकालीन साधना है.
- गुरुवार से प्रारंभ करें.
- गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
- उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
- यथासंभव एकांत वास करें.
- सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
- ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- क्रोध और बकवास ना करें.
- साधना को गोपनीय रखें.
- प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
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6 जुलाई 2016
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद ब्रह्मांडीय गुरु मन्त्र साधना
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| स ह् फ़्रे ह् स क्ष म ल व र यू म ||
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें . यदि गुरु चित्र न हो तो ऊपर दिए गए चित्र को फ्रेम कराकर रख सकते हैं या फिर भगवान् शिव या महाकाली के चित्र को फ्रेम करवाकर रख सकते हैं .
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए ब्रह्मांडीय गुरु मन्त्र का यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| स ह् फ़्रे ह् स क्ष म ल व र यू म ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें
- पुरश्चरण - तीन लाख मंत्र जाप का होगा
- हवन - 30,000 मंत्रों से
- हवन सामग्री - दशांग या घी
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें . यदि गुरु चित्र न हो तो ऊपर दिए गए चित्र को फ्रेम कराकर रख सकते हैं या फिर भगवान् शिव या महाकाली के चित्र को फ्रेम करवाकर रख सकते हैं .
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए ब्रह्मांडीय गुरु मन्त्र का यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
- यह ब्रह्मांडीय गुरु मन्त्र है . यह बीज मन्त्रों से बना है.
- इसके जाप से सभी गुरु शक्तियां जागृत होती हैं और साधक को उसके गुरु तक पहुंचा देती हैं .
- महाविद्या साधनों का मार्ग प्रशस्त करती है .
- साथ ही साथ साधक को पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
5 जुलाई 2016
गुरु क्या है ?
- गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
- गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
- वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
- बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
- गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
- गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
- शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.
- बेवजह गुरु बनने का ढोंग करने से साधक साधनात्मक रूप से नीचे गिरता जाता है और एक दिन अभिशप्त जीवन जीने को विवश हो जाता है .
- गुरु भी सदैव अपने गुरु के प्रति नतमस्तक ही रहता है इसलिए साधकों को अपने गुरुत्व के प्रदर्शन में अपने गुरु के सम्मान को ध्यान रखना चाहिए .
4 जुलाई 2016
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय नमः ||
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी नीचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
|| ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय नमः ||
- वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
- आसन - सफ़ेद होगा.
- समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
- दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें
- साधनाकाल में ब्रह्मचारी रहें .
- किसी से विवाद, क्रोध, बकवास ना करें .
- यथासंभव मौन धारण करें
- अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने का प्रयास करें .
- पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा
- हवन - १२,५०० मंत्रों से
- हवन सामग्री - दशांग या घी
विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी नीचे छोड़ दें.
लाभ :-
- पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी .
- जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
- यदि गुरु की प्राप्ति नहीं हुई है तो इस सम्बन्ध में कोई राह निकलेगी
- साधनात्मक बल बढेगा .
- उग्र साधनों में रक्षा कवच की तरह कार्य करेगा .
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