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20 जुलाई 2016

साम्ब सदाशिवाय नमः








||  ऊं रुद्राय पशुपतये साम्ब सदाशिवाय नमः ||









  • शिवलिन्ग के सामने १०८ बार बेल पत्र चढाते हुए जाप करें ।



  • अपने जीवन मे पशुवृत्तियों से उठ कर देवत्व प्राप्ति के लिये सहयोगी साधना ।
  • इस मंत्र में जगदम्बा सहित शिव समाहित हैं.
  • देखने में सरल मगर अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है.
  • 18 जुलाई 2016

    गुरु की प्राप्ति


    • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
    • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
    • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
    • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...



    गुरु मंत्रम:-

    ॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥


    • ऊपर छपे चित्र को फ्रेम करा लें. नित्य जाप उसी के सामने करेंगे .
    • जाप पूरा हो जाने के बाद ऊंचे स्थान पर उसे टांग दें .
    • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
    • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
    • यदि न हो तो तूलसी माला या किसी भी माला से जाप कर सकते हैं .
    • नित्य अपनी क्षमतानुसार 5 माला या अधिक मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी या गुरु प्राप्ति के सम्बन्ध में दिशा मिलेगी.



    17 जुलाई 2016

    श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के लक्षण







     श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के  लक्षण :-


    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को अपने गुरु का एक अच्छा शिष्य होना चाहिये.
    • अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को साधक होना चाहिये. 
    • उसे निरंतर साधना करते रहना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को कम से कम एक महाविद्या सिद्ध होनी चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को वाक सिद्धि होनी चाहिये अर्थात उसे आशिर्वाद और श्राप दोनों देने में सक्षम होना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को पूजन करना और कराना आना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को योग और मुद्राओं का ज्ञान होना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को रस सिद्धि होनी चाहिये, अर्थात पारद के संस्कारों का ज्ञान होना चाहिये.
    • श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को मन्त्र निर्माण की कला आती है.
    • वह आवश्यकतानुसार मंत्रों का निर्माण कर सकता है और पुराने मंत्रों मे आवश्यकतानुसार संशोधन करने में समर्थ होता है.

    16 जुलाई 2016

    साधना : प्रत्यक्ष मार्गदर्शन

    साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


    गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

    बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

    एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


    भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





     कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

    अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





    महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



    गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

    महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





    वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

     महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





    स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






    तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

    गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

    स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





    मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]


    तथा उनके बाद  
    गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 
     और 

     गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

    के सानिध्य में किया है और......


    यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें







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