24 मार्च 2011

विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र

हम एक विनाशकारी समय से गुजर रहे हैं. ऐसे में यथाशक्ति शांति मन्त्रों का जाप विश्वशांति के लिये करना लाभदायक होगा ।


विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥


जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥


चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥


ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥


दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥


ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥


शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥


इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर शांति हो.

21 मार्च 2011

पंचमुखी हनुमान



॥ ऊं पंचवक्त्राय हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा ॥

दक्षिण दिशा में मुख करके रात्रि ९ से ३ के बीच लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर वज्रासन या वीरासन में यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.

18 मार्च 2011

महाकाली




॥ क्रीं महाकाल्यै नमः ॥


  1. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
  2. दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
  3. रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
  4. पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.


15 मार्च 2011

शिवशक्ति साधना



॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

यह मन्त्र सतत [ चलते फ़िरते] जाप करें.यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

11 मार्च 2011

गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी : जन्म दिवस


११ मार्च

 मेरे आदरणीय गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथजी का जन्म दिवस

निखिलकृपा से आप शतायु हों....

आपकी कृपा शिष्यों को इसी प्रकार मिलती रहे...








गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी



एक विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर तन्त्र साधनाओं के विश्व्वविख्यात गुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.






डॉ . नारायण दत्त श्रीमाली जी के देहत्याग [ ३ जुलाई १९९८ ] के बाद साधनाओं के पुनरुत्थान तथा साधकों के निर्माण में सतत गतिशील गुरुवर स्वामी सुदर्शन नाथजी ने दस महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन किया है वह अपने आप में एक मिसाल है.


परम गोपनीय शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता तक ...... और कामकलाकाली तन्त्र से लेकर गुह्यकाली तक........


तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव की सीमा से परे नहीं है.



लुप्तप्राय हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर सहस्रनाम स्तोत्रों और दुर्लभ पूजन विधियों का अकूत भन्डार साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका के माध्यम से अपने शिष्यों के लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन है .


आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....


ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.








गुरु देव स्वामी सुदर्शननाथ जी से सीधे सम्पर्क का समय :



सायं  से  बजे तक (रविवार अवकाश)



दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681


10 मार्च 2011

काल भैरव



  1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है.
  2. नीचे लिखे मन्त्र की १०८ माला होली या मंगलवार या अमावस्या की रात्रि को करें.
  3. काले रंग का वस्त्र तथा आसन रहेगा.
  4. दिशा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें
  5. इस साधना से भय का विनाश होता है तथा साह्स का संचार होता है.
  6. यह तन्त्र बाधा, भूत बाधा,तथा दुर्घटना से रक्षा प्रदायक है.



॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

8 मार्च 2011

धूमावती साधना



धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.

यह साधना होली की रात्रि में की जा सकती है.

मन्त्र होगा :-
जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के के समाधान की प्रार्थना करें.

अब १०८ माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें

॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

5 मार्च 2011

तन्त्र बाधा : छिन्नमस्ता साधना


होली के अवसर पर संपन्न करें




॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऎं व ज्र वै रो च नी यै हुं हुं फ़ट स्वाहा ॥ 



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें....

1 मार्च 2011

महादेव भोलेनाथ



॥ ऊं नमः शिवाय ॥



शिवरात्रि की रात्रि शाम ६ से सुबह ६ तक जाप करें..
जाप से पहले अपनी मनोकामना कह दें..

28 फ़रवरी 2011

वज्र योगिनी मंडलम


तिब्बती साधना





इस यन्त्र के मध्य में त्राटक करते हुए निम्न मन्त्र का जाप करें


॥ ऊं मणिपद्मे हूं ॥



25 फ़रवरी 2011

श्री निखिलम


-: निखिलेश्वरानंद मंत्रम :-

॥ निं निखिलेश्वराय नमः ॥


शास्त्र कहता है कि  
य: गुरु स: शिव: = जो गुरु हैं वही शिव हैं

विधान :-

  1. तीन लाख जप ९० दिनों में पूरा करें.
  2. अद्भुत अनुभव होंगे. 

23 फ़रवरी 2011

बेल पत्र समर्पण मन्त्रम : सामान्य जानकारी



काशीवासनिवासनम, कालभैरव पूजिताम ।
कोटि कन्या महादानम, एक बिल्व पत्रम शिवार्पणम ॥

  1. बेल पत्र तीन के समूह में लगते हैं.इसे ऐसे ही चढाया जाता है.
  2. पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग की तरफ़ होना चाहिये.
  3. बेल पत्र साफ़ होने चाहिये.


22 फ़रवरी 2011

बेल पत्र समर्पण मन्त्रम



त्रिदलम त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुधम ।
त्रिजन्म पाप संहारकम एक बिल्व पत्रम शिवार्पणम ॥

16 फ़रवरी 2011

शिव ताण्डव स्तोत्र





शिव ताण्डव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं, चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम्‌ ॥१॥
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी, विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके, किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥


॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥



15 फ़रवरी 2011

अर्ध नारीश्वर साधना

शिव शक्ति कई संयुक्त साधना से ही संपूर्ण फ़ल प्राप्त होता है . मन्त्र है :-

॥ ऊं साम्ब सदाशिवाय नमः ॥

13 फ़रवरी 2011

छिन्नमस्ता साधना यन्त्र



चावल को लाल रंग से रंग लें.
पीले कपडे पर इससे यह यन्त्र बना लें.
इसके सामने बैठ कर साधना करें
साधना के बाद पूरे यन्त्र को उसी कपडे में लपेट कर नदी में प्रवाहित कर दे. आपकी समस्यायें भी उसी के साथ बह जायेंगी.

12 फ़रवरी 2011

छिन्नमस्ता साधना मन्त्र



॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....

10 फ़रवरी 2011

छिन्नमस्ता साधना, सामान्य नियम

प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.

  1. यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है.
  3. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है.
  4. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें.
  5. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें.
  6. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें.
  7. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.


8 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना





विद्या तथा बुद्धि के विकास के लिये सरस्वती साधना की जाती है.

सरस्वती बीज मन्त्रम:-


॥ ऎं ॥



इस मन्त्र का १.२५ लाख जाप ब्रह्म मुहुर्त में करने से लाभ होता है.

5 फ़रवरी 2011

दुर्गा मन्त्रम




॥ ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ॥

सर्वविध गृहस्थ सुख प्रदायक साधना है.
सवा लाख जप संख्या है.

4 फ़रवरी 2011

कृष्णं वन्दे जगद्गुरु,,,,,



॥ क्लीं कृष्णाय नमः ॥

  1. सवा लाख जाप.
  2. पूर्ण गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिये.
  3. समय तथा दिशा का बंधन नही.

3 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना




॥ वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ॥





  1. ब्रह्म मुहुर्त में २१,००० जाप करें.
  2. स्फ़टिक माला का प्रयोग करें
  3. जाप के बाद माला गले मे पहन लें.

2 फ़रवरी 2011

कुंडलिनी जागरण मन्त्र

विशेष तथ्य :-

  1. कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
  2. कुन्डलिनी जागरण  साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
  3. यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
  4. इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
  5. यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
  6. यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
  7. यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी  को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
स्वामी सुदर्शननाथ जी

|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||  

  • यह एक अद्भुत मंत्र है. 
  • इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है. 
  • प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
  • जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
  • मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः

वाग्वादिनी साधना



॥ ऊं नमः पद्मासने शब्द रूपे ऎं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनि स्वाहा ॥


  1. प्रतिदिन 1008 बार जाप.
  2. पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  3. सफ़ेद वस्त्र तथा आसन .
  4. पूर्व दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.

लाभ - विद्या तथा एकाग्रता

1 फ़रवरी 2011

सरस्वती साधना




॥ ऎं श्रीं ऎं ॥

  1. कुल १,२५,००० जाप
  2. सफ़ेद वस्त्र तथा आसन
  3. प्रातः ब्रह्म मुहुर्त में जाप सुबह ४ से ६ बजे तक.
  4. साधना काल में किसी को बुरा भला ना कहें
  5. क्रोध से बचें

लाभ - विद्या तथा वाकपटुता





31 जनवरी 2011

जगदम्बा



॥ ऊं साम्ब सदाशिवाय नमः ॥

शिव तथा जगदम्बा का संयुक्त मन्त्र है, शिव शक्ति की कृपा प्राप्त होती है ।

26 जनवरी 2011

हनुमान मन्त्र - साधना के नियम


  1. ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
  2. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
  3. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
  4. जाप संख्या ११,००० होगी.
  5. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
  6. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
  7. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
  8. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा.
  9. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.

25 जनवरी 2011

22 जनवरी 2011

बगलामुखी 36 अक्षरी मन्त्रम

॥ ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा ॥

18 जनवरी 2011

बगलामुखी ध्यान

मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्न वेधां, सिंहासनो परिगतां परिपीत्वर्णाम ।

पीताम्बराभरण माल्य विभूषितांगीम ,देवीं नमामि धृतमुद्गर वैरि जिह्वाम ॥

16 जनवरी 2011

भगवती बगलामुखी साधना के लिये सामान्य नियम


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

12 जनवरी 2011

तान्त्रिक ग्रन्थ

 तन्त्र साधनाओं से संबंधित प्रामाणिक ग्रन्थों के लिये 
संपर्क करें:-

परावाणी आध्यात्मिक शोध संस्थान
श्री चण्डी धाम
अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग
211006
फोन - 9450222767
www.paravani.org

11 जनवरी 2011

नव काली




तन्त्र साधनाओं में नौ कालियों का विवेचन है वे हैं:-


  1. दक्षिणकाली.
  2. भद्रकाली.
  3. श्मशानकाली.
  4. कालकाली.
  5. गुह्यकाली.
  6. कामकलाकाली.
  7. धनकाली.
  8. सिद्धिकाली.
  9. चण्डकाली.

8 जनवरी 2011

कामकला काली माहात्म्य





राज्यं दद्याद्ध्नं दद्यात स्त्रियं दद्याच्छिरस्तथा ।

न तु कामकलाकालीं दद्यात्कस्मापि क्वचित ॥



साधनाओं के क्षेत्र में कामकला काली की साधना को सर्वोपरि माना जाता है, इसके लिये कहा गया है कि प्राण का दान देकर भी यह विद्या मिल जाये तो इसे सप्रयास ग्रहण करना चाहिये ।

5 जनवरी 2011

कामाख्या मन्त्रम

भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं , जो सभी साधनाओं का मूल हैं ।


॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥

3 जनवरी 2011

नव वर्ष



गुरुकृपा जीवन का आधार है..........

आपको जीवन मे श्रेष्ठ गुरु का सानिध्य प्राप्त हो ऐसी ही शुभकामना है......

नववर्ष आपके लिये मंगलमय हो...

न गुरोरधिकम....


न गुरोरधिकम..........


न गुरोरधिकम..................