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27 जून 2012

कामकला काली माहात्म्य






राज्यं दद्याद्ध्नं दद्यात स्त्रियं दद्याच्छिरस्तथा ।

न तु कामकलाकालीं दद्यात्कस्मापि क्वचित ॥






महाकाल और महाकाली तंत्र के अधिष्टाता हैं . महाकाल और महाकाली का सबसे तेजस्वी और अद्भुत स्वरुप है कामकला काली . तंत्र साधना में इस साधना को सर्वस्व प्रदायक साधना कहा गया है इस साधना से परे कोई साधना नहीं है सभी साधनाएं इसी साधना में समाहित हैं.






साधनाओं के क्षेत्र में कामकला काली की साधना को सर्वोपरि माना जाता है, इसके लिये कहा गया है कि प्राण का दान देकर भी यह विद्या मिल जाये तो इसे सप्रयास ग्रहण करना चाहिये ।
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समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये 
साधना सिद्धि विज्ञान पढें:-




वार्षिक सदस्यता शुल्क = २२० रुपये मनीआर्डर से भेजें 


पत्रिका कार्यालय का पता:-
साधना सिद्धि विग्यान
शोप न. ५ प्लाट न. २१०
एम.पी.नगर
भोपाल [म.प्र.] ४६२०११




Sadhana Siddhi Vigyaan
Shop No.- 5, Plot No.210
M.P. Nagar, Bhopal[M.P.] 462011


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जानकारी, जिज्ञासा, सूचना 
साधनात्मक मार्गदर्शन एवं दीक्षा प्राप्ति के लिये सम्पर्क
१० बजे से ७ बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681

21 जून 2012

बच्चों के लिए : विद्या बुद्धि वर्धक प्रयोग



यह सरस्वती प्रयोग है .

  1. मेरे वरिष्ट गुरु भाई स्वामी अदित्यानंद जी के द्वारा मुझे यह प्रयोग प्राप्त हुआ है.
  2. आप यह प्रयोग निम्नलिखित दिनों में कर सकते हैं :-

  • जगन्नाथ रथ यात्रा [ अषाढ़ शुक्ल २ ]
  • गुरुपूर्णिमा, 
  • बसंत पंचमी,
  • रामनवमी,
  • विजयादशमी,
  • शिवरात्रि , 
  • कालरात्री, 
  • और नवरात्रि की पंचमी 


सर्वप्रथम ब्रह्मा मुहूर्त ४-६ बजे उठ जाएँ . केसर के ५-१० धागे पानी में भिगा दें.

एक माला गुरु मन्त्र क जाप करें

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

अब निम्नलिखित मन्त्र का आधे घंटे तक जाप करें :-

॥ ऎं ऎं ऎं सरस्वत्यै ऎं ऎं ऎं नमः

इसके बाद भीगे हुए केसर में तर्जनी उंगली डुबाकर बच्चे की जीभ पर

  ऎं  

लिखें. यह देवी सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे लिखते समय देवी से प्रार्थना करें की वह बच्चे पर कृपा करे तथा उसके कंठ पर विराजमान होकर उसे बुद्धिशाली बनाए.



14 जून 2012

साधना सिद्धि विज्ञान : जून २०१२ : देवता खंड


साधना सिद्धि विज्ञान का हर अंक अपने आप में एक साधना विशेषांक होता है.

 जिसमे 


गुरूदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 

के द्वारा संकलित तथा पुनरुद्धार किये हुए अभूतपूर्व मन्त्रों का विशिष्ट संग्रह होता है.

जून  २०१२ का अंक देवोपासना अंक है. 






यह अंक एक तरह से देखा जाय तो तन्त्र के आधारभूत ग्रन्थ महाकाल संहिता के देवता खण्ड के वर्तमान युग के संस्करण के समान स्वीकारणीय है.

तंत्र के अधिपति देवाधिदेव महादेव द्वारा विरचित महाकाल संहिता तंत्र का आधारभूत ग्रन्थ रहा है. 

इस ग्रन्थ को समय समय पर 


शिव स्वरुप गुरुओं द्वारा


कालानुसार साधकों तथा शिष्यों के हितार्थ नए स्वरुप में प्रस्तुत किया जाता रहा है. 

उसी क्रम में


परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

 के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा देव मंत्रों का यह  अद्भुत और विशिष्ट संकलन प्रस्तुत किया गया है, जो साधकों तथा शिष्यों के लिए पाथेय का कार्य करेगा.

समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये मासिक   पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान पढें:- 




वार्षिक सदस्यता शुल्क = २२० रुपये मनीआर्डर द्वारा भेजें.


पत्रिका कार्यालय का पता:- 
साधना सिद्धि विज्ञान 
शोप न. ५ 
प्लाट न. २१०
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13 जून 2012

साधना सिद्धि विज्ञान : मई २०१२ : देवी खंड

साधना सिद्धि विज्ञान का हर अंक अपने आप में एक साधना विशेषांक होता है.

 जिसमे 


गुरूदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 

के द्वारा संकलित तथा पुनरुद्धार किये हुए अभूतपूर्व मन्त्रों का विशिष्ट संग्रह होता है.

मई २०१२ का अंक शाक्तोपासना अंक है. 


यह अंक एक तरह से देखा जाय तो तन्त्र के आधारभूत ग्रन्थ महाकाल संहिता के देवी खण्ड के वर्तमान युग के     संस्करण के समान स्वीकारणीय है.

तंत्र के अधिपति महादेव द्वारा विरचित महाकाल संहिता   तंत्र का आधारभूत ग्रन्थ रहा है. इस ग्रन्थ को समय समय पर शिव स्वरुप गुरुओं द्वारा कालानुसार साधकों तथा शिष्यों के हितार्थ नए स्वरुप में प्रस्तुत किया जाता रहा है. 

उसी क्रम में


परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

 के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा देवी मंत्रों का यह अद्भुत और विशिष्ट संकलन प्रस्तुत किया गया है, जो साधकों तथा शिष्यों के लिए पाथेय का कार्य करेगा.

समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये मासिक   पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान पढें:- 




वार्षिक सदस्यता शुल्क = २२० रुपये मनीआर्डर द्वारा भेजें.


पत्रिका कार्यालय का पता:- 
साधना सिद्धि विज्ञान 
शोप न. ५ 
प्लाट न. २१०
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निखिलधाम







परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













11 जून 2012

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]

तथा उनके बाद  
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 
 और 

 गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें







पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   



साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न५ प्लाट न२१०
एम.पी.नगर
भोपाल [.प्र.] ४६२०११

सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का  विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क  मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.


नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

8 जून 2012

बालकों के लिए नजर रक्षा प्रयोग


नन्हे शिशुओं को कई बार नजर लग जाती है 





इससे रक्षा क लिए मेरे गुरूदेव  स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने एक अचूक और सरल उपाय बताया था , यह उपाय जब भी मैंने आजमाया है यह १०० प्रतिशत सफल रहा है.






माता शिशु की सबसे बड़ी हितचिन्तक और रक्षक होती है. 






यदि माँ अपने सर के १-३ बाल को अपने शिशु की बांई कलाई पर बाँध दे तो उसपर किसी प्रकार की नजर नहीं लगती.

यह उपाय बहुत आसान है सरल है निशुल्क है और सौ प्रतिशत प्रभावी है . अजमा कर देखें .....