एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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5 फ़रवरी 2011
4 फ़रवरी 2011
3 फ़रवरी 2011
2 फ़रवरी 2011
कुंडलिनी जागरण मन्त्र
विशेष तथ्य :-
- कुन्डलिनी जागरण साधनात्मक जीवन का सौभाग्य है.
- कुन्डलिनी जागरण साधना गुरु के सानिध्य मे करनी चाहिये.
- यह शक्ति अत्यन्त प्रचन्ड होती है.
- इसका नियन्त्रण केवल गुरु ही कर सकते हैं.
- यदि आप गुरु दीक्षा ले चुके हैं तो अपने गुरु की अनुमति से ही यह साधना करें.
- यदि आपने गुरु दीक्षा नही ली है तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही इस साधना में प्रवृत्त हों.
- यदि गुरु प्राप्त ना हो पाये तो आप मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी को गुरु मानकर उनसे मानसिक अनुमति लेकर जाप कर सकते हैं .
|| ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: ||
- यह एक अद्भुत मंत्र है.
- इससे धीरे धीरे शरीर की आतंरिक शक्तियों का जागरण होता है और कालांतर में कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होने लगती है.
- प्रतिदिन इसका १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.
- जाप करते समय महसूस करें कि मंत्र आपके अन्दर गूंज रहा है.
- मन्त्र जाप के अन्त में कहें :-
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम
शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः
1 फ़रवरी 2011
31 जनवरी 2011
30 जनवरी 2011
29 जनवरी 2011
26 जनवरी 2011
हनुमान मन्त्र - साधना के नियम
- ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
- साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
- साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
- जाप संख्या ११,००० होगी.
- प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
- हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
- हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
- वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा.
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
25 जनवरी 2011
22 जनवरी 2011
बगलामुखी 36 अक्षरी मन्त्रम
॥ ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा ॥
20 जनवरी 2011
18 जनवरी 2011
बगलामुखी ध्यान
मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्न वेधां, सिंहासनो परिगतां परिपीत्वर्णाम ।
पीताम्बराभरण माल्य विभूषितांगीम ,देवीं नमामि धृतमुद्गर वैरि जिह्वाम ॥
16 जनवरी 2011
भगवती बगलामुखी साधना के लिये सामान्य नियम
भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-
- साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
- साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
- साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
- साधनाकाल में क्रोध ना करें.
- साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
- साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
- सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
- हवन पीली सरसों से किया जायेगा.
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