एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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28 सितंबर 2016
महाकाली का प्रिय स्तोत्र : "ककारादि सह्स्रनाम"
108 महालक्ष्मी यंत्र
आवश्यक सामग्री.
- भोजपत्र
- अष्टगंध
- कुमकुम.
- चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
- उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
- दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.
विधि विधान :-
- धुप अगर बत्ती जला दें.
- संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
- रात्रि 11 बजे के बाद , स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बिना किसी आसन के जमीन पर बैठें.
- मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.
- 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ". उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
- इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
- इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
- हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
- यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
- एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
- इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं" पर बिंदी लग जाएगी.
- पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
- जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
- कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
- उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
शिवषडक्षरस्तोत्र साधना
शिवषडक्षरस्तोत्र
साधना
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ऊँकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:।।
नमंति ऋषयो देवा नमंत्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।
महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नम:।।
शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकनुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नम:।।
यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।
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सामान्य निर्देश :-
· स्तोत्र, साधना के मार्ग में प्रवेश करने का सबसे उत्तम मार्ग है |
· स्तोत्र साधना के लिए गुरु अनिवार्य नहीं है |
· आप अपनी क्षमतानुसार नित्य पाठ करें |
· पाठ संख्या 21,51,108 तक हो सकती हैं | गिनती के लिए आप अपनी सुविधानुसार
कापी पेन या किसी अन्य वस्तु का प्रयोग कर सकते हैं |
· जैसे जैसे पाठ की संख्या बढती जायेगी स्तोत्र उतना बलवान होगा और
आपको कार्य में अनुकूलता प्रदान करेगा |
· साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
· इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
· साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर
निर्भर करता है |
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विधि :-
पाठ प्रारम्भ के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै
(अपना नाम बोले), आज अपनी
(मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह स्तोत्र पाठ
कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी
मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़
दें |
1. इशान (उत्तर पूर्व के बीच ) दिशा की और देखते हुए बैठें |
2. आसन सफ़ेद /पीले रंग का रखें|
3. स्त्रोत का पाठ ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4 से सुबह 6 के बीच करें | संभव ना हो तो दिन में भी कर सकते हैं |
4. पाठ के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें |
5. साधना काल में किसी को आशीर्वाद या श्राप ना दें | इससे आपकी साधनात्मक
शक्ति का ह्रास होगा |
6. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें | यथा संभव हर स्त्री को देवी के रूप में देखें |
7. सात्विक आहार/ आचार/ विचार/व्यवहार रखें |
8. ब्रह्मचर्य का पालन करें | विवाहित पुरुष अपनी विवाहिता स्त्री के साथ सम्बन्ध रख सकते हैं |
9. व्यर्थ के प्रलाप और अपनी साधना का ढिंढोरा पीटने से बचें | इससे आपकी
शक्ति कम होती जाती है | साधना को यथा संभव गोपनीय रखें |
10.
साधना
का प्रयोग यदि लोगों की समस्या के समाधान के लिए कर रहे हों तो नित्य साधना अवश्य
करें |
11.
यदि
नित्य साधना नहीं करेंगे और समस्या समाधान करेंगे तो धीरे धीरे आपकी शक्ति क्षीण
होती जायेगी और काम होने बंद हो जायेंगे |
27 सितंबर 2016
भगवती बगलामुखि साधना
भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-
- साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
- साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
- साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
- साधनाकाल में क्रोध ना करें.
- साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
- साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
- सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
- हवन पीली सरसों से किया जायेगा.
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