एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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6 दिसंबर 2013
2 दिसंबर 2013
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
- नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
- जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
- यथा संभव मौन रहेंगे.
- किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
- यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
- यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
- यह साधना वैराग्य की साधना है.
- यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
- यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
- इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.
30 नवंबर 2013
26 नवंबर 2013
25 नवंबर 2013
काल भैरव साधना
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- कलि मिर्च , तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
24 नवंबर 2013
गुरु साधना
- गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
- गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
- जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है, तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
- ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...
गुरु मंत्रम:-
॥ ॐ गुं गुरुभ्यो नमः ॥
- सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
- रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
- माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.
- सवा लाख मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी.
यदि आप इच्छुक हों तो मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी से भी निःशुल्क दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
नटराज मंत्रम
यह मंत्र उनके लिए है जो .....
जीवन को एक उत्सव मानते हैं ....
उल्लास जिनकी जीवन शैली है ....
मुस्कान जिनके होंठों का श्रृंगार है.....
सहजता जिनकी प्रवृत्ति है ..................
....................यह शिवत्व की यात्रा है...........
जीवन को एक उत्सव मानते हैं ....
उल्लास जिनकी जीवन शैली है ....
मुस्कान जिनके होंठों का श्रृंगार है.....
सहजता जिनकी प्रवृत्ति है ..................
....................यह शिवत्व की यात्रा है...........
13 नवंबर 2013
पूज्यपाद गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा रचित : पद्मावती स्तोत्रम
पूज्यपाद गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी
द्वारा रचित
पद्मावती स्तोत्रम
दिव्योवताम वै पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धान्य सुतान्वदै च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||
धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं , पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||
सन्यस्त रूपमपरम पूर्ण गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमलत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद विरचित पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
व्यवसाय की सफलता और जैन धर्मावलम्बी आज एक दुसरे के पर्याय माने जाते हैं. जैन मार्गी लक्ष्मी के पद्मावती स्वरुप की पूजा करते हैं. देवी का यह स्वरुप अतुलनीय ऐश्वर्य प्रदान करता है.पूज्यपाद गुरुदेव ने इस स्तोत्र को अत्यंत प्रभावशाली बताया था.
विधि:-
- दक्षिणावर्ती शंख या पारद श्रीयंत्र या किसी भी प्रकार के श्रीयंत्र को सामने रखें.
- प्रतिदिन एक पाठ करें.
- १०८ दिन तक करें.
- यदि व्यवसाय करते हों तो दूकान पर पाठ करें.
- लाभ होगा .
7 नवंबर 2013
31 अक्तूबर 2013
21 अक्तूबर 2013
7 अक्तूबर 2013
साधना सिद्धि विज्ञान : मासिक पत्रिका
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1999 से भोपाल से हो रहा है.
यह पत्रिका साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.
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गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता साधनाजी के साधनात्मक अनुभव के प्रकाश मे प्रकाशित साधनात्मक ज्ञान आप को स्वयम अभिभूत कर देगा
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महाविद्या छिन्नमस्ता विशेषांक
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महाविद्या कामकला काली विशेषांक
महाविद्या तारा विशेषांक
महाविद्या बगलामुखी विशेषांक
निखिल तंत्रम
निखिल तंत्रम
निखिल तंत्रम
निखिल महामृत्युंजय तंत्रम
महाविद्या भुवनेश्वरी विशेषांक
महाविद्या महाकाली विशेषांक
महाविद्या तारा विशेषांक
- गुरु तन्त्रम.
- शरभ तन्त्रम.
- बगलामुखी तन्त्रम.
- श्री विद्या रहस्यम.
- तारा तन्त्रम.
- महाकाल तन्त्रम.
- मातंगी तन्त्रम.
- अप्सरा तन्त्रम.
- नाग तन्त्रम.
- योगिनी तन्त्रम.
- लक्ष्मी तन्त्रम.
- कामकलाकाली तन्त्रम.
- गुह्यकाली तन्त्रम.
- भुवनेश्वरि तन्त्रम.
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- कामाख्या तन्त्रम.
- रस तन्त्रम
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- रुद्राक्ष रहस्यम.
- रत्न रहस्यम.
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